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सोमवार, 28 अप्रैल, 2025
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चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग 23 अगस्त को शाम पांच बजकर 47 मिनट पर किये जाने की योजना : इसरो प्रमुख

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श्रीहरिकोटा, 14 जुलाई (भाषा) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने शुक्रवार को कहा कि भारत का तीसरा चंद्र अभियान ‘चंद्रयान-3’ चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास 23 अगस्त को करेगा। सॉफ्ट लैंडिंग को तकनीकी रूप से चुनौतिपूर्ण कार्य माना जाता है।

सोमनाथ ने 600 करोड़ रूपये की अनुमानित लागत वाले इस मिशन के सफल प्रक्षेपण के बाद संवाददाताओं से कहा कि चंद्रयान-3 को एक अगस्त से चंद्रमा की कक्षा में स्थापित करने की योजना है।

उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग 23 अगस्त को शाम पांच बजकर 47 मिनट पर किये जाने की योजना है।

भारत ने शुक्रवार को यहां एलवीएम3-एम4 रॉकेट के जरिए अपने तीसरे चंद्र मिशन-‘चंद्रयान-3’ का सफल प्रक्षेपण किया।

सोमनाथ ने कहा कि शुक्रवार को प्रक्षेपण के बाद राकेट दीर्घ वृताकार चंद्र कक्षा में आगे बढ़ेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘ हमें चंद्रयान-3 को एक अगस्त से चंद्रमा की कक्षा में स्थापित करने की उम्मीद है और इसके दो-तीन सप्ताह के बाद प्रणोदन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल अलग होगा जो 17 अगस्त को होगा।’’

सोमनाथ ने कहा कि अगर सभी चीजें निर्धारित कार्यक्रम के अनुरूप रहती हैं तो इसका अंतिम चरण 23 अगस्त को शाम पांच बजकर 47 मिनट पर किये जाने की योजना है।

वर्ष 2019 में चंद्रयान-2 के बाद वर्तमान मिशन में हुई देरी के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह अध्ययन करने में एक वर्ष लग गया कि पिछले मिशन में क्या गलती हुई।

उन्होंने कहा कि दूसरा हमने विचार किया कि इसे बेहतर बनाने के लिए क्या कदम उठाने की जरूरत है और क्या-क्या गलत हो सकता है।

सोमनाथ ने कहा कि इस बात पर भी विचार किया गया कि क्या कोई छिपी समस्या है और हमने इस आधार पर समीक्षा की और तीसरे वर्ष परीक्षण किया तथा अंतिम वर्ष एलवीएम3-एम4 रॉकेट को जोड़ने का रहा।

उन्होंने कहा कि आज जो हुआ है, उसके लिए हजारों लोगों की बड़ी टीम थी।

यह पूछे जाने पर कि वर्तमान मिशन के वैज्ञानिक प्रयोग करने के लिए दक्षिण ध्रुव को क्यों चुना गया, उन्होंने कहा, ‘‘ हमारा लक्ष्य चंद्रमा के सतह पर सभी भू भौतिकी एव रासायनिक विशेषताओं का पता लगाना है। दूसरा यह कि दक्षिण ध्रुव का अध्ययन अभी तक नहीं किया गया है।’’

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों ने एलवीएम3-एम4 रॉकेट में कई बदलाव किये जिसमें इंजन की संख्या को पूर्ववर्ती पांच से घटाकर चार करना शामिल है।

उन्होंने कहा, ‘‘ यह वाहन के वजन को कम करने के लिए किया गया।’’

वहीं, चंद्रयान मिशन की लागत के बारे में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा, ‘‘ यह करीब 600 करोड़ रूपये है।’’

केंद्र सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान का उल्लेख करते हुए सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले चार-पांच वर्षो में अंतरिक्ष से जुड़ी व्यवस्था तैयार करने में व्यक्तिगत तौर पर रूचि दिखायी है।

उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष से जुड़ी व्यवस्था को तैयार करने में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के साथ बड़ी संख्या में स्टार्टअप सहयोग कर रहे हैं।

भारत को गौरवान्वित करने के लिए इसरो टीम की सराहना करते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का धन्यवाद व्यक्त किया और कहा कि उन्होंने ‘‘श्रीहरिकोटा के द्वार खोलकर तथा भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को सक्षम करके इसे संभव बनाया है।’’

भाषा दीपक

दीपक धीरज

धीरज

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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