scorecardresearch
सोमवार, 2 जून, 2025
होमदेशचंद्रबाबू नायडू ने कोल्लेरू झील क्षेत्र के सिलसिले में मानवीय समाधान पर बल दिया

चंद्रबाबू नायडू ने कोल्लेरू झील क्षेत्र के सिलसिले में मानवीय समाधान पर बल दिया

Text Size:

अमरावती, दो जून (भाषा) आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने सोमवार को इस बात पर जोर दिया कि पर्यावरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण कोल्लेरू झील के संरक्षण का प्रयास करते समय उसके आसपास रह रहे लोगों के सामने आने वाली चुनौतियों को भी ‘मानवीय दृष्टिकोण’ से संबोधित किया जाना चाहिए।

कोल्लेरू झील भारत में ताजा पानी की सबसे बड़ी झील है।

मुख्यमंत्री के हवाले से एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘नायडू ने पर्यावरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण कोलेरू झील की रक्षा करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया और साथ ही स्थानीय लोगों की समस्याओं को मानवीय दृष्टिकोण से हल करने पर भी जोर दिया।’’

एक समीक्षा बैठक के दौरान नायडू ने कोल्लेरू झील के सिलसिले में अदालती फैसलों, विनियमों, केंद्र के निर्देशों, स्थानीय परिस्थितियों और पारिस्थितिकी संबंधी मुद्दों के साथ-साथ बाह्य आकृति से जुड़े मामलों पर चर्चा की। यह झील 308.5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई है और कृष्णा और गोदावरी नदियों के बीच एक प्राकृतिक बाढ़-संतुलन जलाशय के रूप में कार्य करती है।

विज्ञप्ति के अनुसार, कोल्लेरू क्षेत्र में लगभग तीन लाख लोग रहते हैं और वे वर्षों से कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। इसमें कहा गया है कि तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) की पिछली सरकार ने इन मुद्दों को हल करने के प्रयास किए थे।

राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड ने 2018 में कोल्लेरू अभयारण्य से 20,000 एकड़ (जिरायत और डी-पट्टा भूमि) भूमि को बाहर करने की सिफारिश की थी और नयी सीमाओं का प्रस्ताव दिया था।

झील के बारे में एक सिफारिश केंद्रीय उच्चाधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) को भेजी गई थी। हालांकि, आपत्तियां उठाए जाने के बाद केंद्र ने राज्य सरकार की राय मांगी, लेकिन पिछली वाईएसआरसीपी सरकार ने इस मुद्दे को हल करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया।

बीस हजार एकड़ भूमि के बारे में नायडू ने कहा कि पहले किसानों के लिए न्याय सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘राज्य के प्रस्तावों को सीईसी और उच्चतम न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए तथा उन्हें मनाने का प्रयास किया जाना चाहिए। कार्य योजना से न केवल पर्यावरण और पक्षियों के लिए, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भी न्याय सुनिश्चित किया जाना चाहिए।’’

भाषा

राजकुमार पारुल

पारुल

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments