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Friday, 22 November, 2024
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काफी वक्त टलने के बाद चांदनी चौक के कायाकल्प का दूसरा चरण जल्द होगा शुरू

पुनर्विकास परियोजना के चरण-2 के लिए पिछले हफ्ते ही एक नया चीफ नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है और इस चरण में धरोहर भवनों के अगले हिस्सों का पुराना स्वरूप बहाल करने पर फोकस किया जाएगा.

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नई दिल्ली: पुरानी दिल्ली के व्यस्ततम बाजारों में से एक ऐतिहासिक चांदनी चौक इलाका फिलहाल अपने कायाकल्प और पुनर्विकास का दूसरा चरण शुरू होने का इंतजार कर रहा है. यह बात अलग है कि एक साल पूर्व पहले दौर में इसका जो कायाकल्प हुआ था, वो अब पूरी तरह सही-सलामत नहीं बचा है.

पिछले साल सितंबर में पुनर्विकास के पहले चरण के समापन पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रतिष्ठित बाजार के नए अवतार का उद्घाटन किया था. अब काफी समय तक टलने के बाद पुनर्विकास योजना का दूसरा चरण अगले कुछ महीनों में शुरू होने के आसार हैं.

लोक निर्माण विभाग के प्रधान सचिव एच. राजेश प्रसाद का सितंबर में दिल्ली से बाहर ट्रांसफर होने की वजह से परियोजना के लिए मुख्य नोडल अधिकारी (सीएनओ) का पद खाली होने से परियोजना की गति धीमी पड़ गई थी. इसका कारण दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा निर्धारित समयसीमा के भीतर यातायात प्रबंधन, शौचालयों और कचरे की सफाई आदि से संबंधित शिकायतों को दूर कर पाने में नाकामी को बताया गया.

व्यवसायी और सर्व व्यापार मंडल (व्यापारी कल्याण संघ) के अध्यक्ष संजय भार्गव का कहना है कि परियोजना की निगरानी करने वाले सीएनओ का न होना इस देरी का कारण रहा है.

भार्गव ने कहा, ‘दूसरे चरण में काम शायद इस वजह से भी आगे नहीं बढ़ रहा हैं क्योंकि सभी मंत्रियों और अधिकारियों के पास समय नहीं है. वे चुनाव में व्यस्त हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘यहां तक कि पहले चरण का कायाकल्प भी अभी पूरा नहीं हो पाया है. बेघर लोगों और फेरीवालों ने इलाके में फिर से कब्जा जमा लिया है.’ उन्होंने कहा कि अधिकारियों के लापरवाह रवैये के कारण यह प्रोजेक्ट बर्बाद होने के कगार पर है.

हालांकि, इस बीच गुरुवार को दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के विशेष अधिकारी अश्विनी कुमार को परियोजना के लिए नया सीएनओ नियुक्त कर दिया गया.

दूसरे चरण में इमारतों की सूरत बदलने पर पर फोकस

पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के अनुसार पुनर्विकास कार्य का दूसरा चरण मुख्य तौर पर इमारतों की शक्ल-सूरत सुधारने पर फोकस होगा. इसमें अन्य कार्यों में चांदनी चौक की संकरी और आंतरिक सड़कों से लेकर जामा मस्जिद परिसर और नेताजी सुभाष मार्ग (दिल्ली गेट से कश्मीरी गेट तक) का पुनर्विकास शामिल है.

पीडब्ल्यूडी के परियोजना प्रभारी मुकुल जोशी ने बताया, ‘लाल किले के सामने की तरफ वाले इलाके में ऐसी सामग्री का इस्तेमाल किया जाएगा जिससे चांदनी चौक की पुरानी रंगत खिलकर सामने आ सके. इन सड़कों पर अभी कुछ ऐतिहासिक स्ट्रक्चर हैं, और इन पुराने ढांचों के सामने के हिस्से का पुनर्विकास किया जाएगा. इनका मूल स्वरूप पुनर्जीवित करने के लिए वास्तुशिल्प के साथ कुछ सजावटी सामान का भी इस्तेमाल किया जाएगा. सभी दुकानों का अगला हिस्सा एक समान थीम पर बनाया जाएगा.’

उन्होंने अमृतसर में नवीनीकृत स्वर्ण मंदिर हेरिटेज स्ट्रीट को इसकी प्रेरणा बताया.

इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (इनटैक) के दिल्ली चैप्टर के प्रोजेक्ट डायरेक्टर अजय कुमार ने कहा, ‘इस आकार के किसी प्रोजेक्ट को एक बार में पूरा नहीं किया जा सकता. पहले चरण में स्ट्रीटस्केपिंग की गई और इसे पूरा भी कर लिया गया. लेकिन यह काम रुकना नहीं चाहिए और परियोजना के अन्य चरणों में जारी रखा जाना चाहिए और साथ ही जो काम हो चुका है, उसे व्यवस्थित बनाए रखने के इंतजाम होने चाहिए. अब सभी धरोहर भवनों के आकलन पर ध्यान देना चाहिए. यह देखा जाना चाहिए कि उनके सामने वाले हिस्से को किस तरह ठीक किया जा सकता है, और यदि यह कोई सरकारी इमारत है, तो इसे संरक्षित किया जाना चाहिए.’


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पहले की तरह शोरशराबा और अव्यवस्था नहीं रही

एक समय था जब चांदनी चौक की गलियों से गुजरना आसान नहीं होता था—हर तरफ बाहर तक दुकानदारों की भीड़, फेरीवालों का शोरगुल, और स्ट्रीट फूड की गंध आती रहती थी, लेकिन अभी यही सड़कें व्यवस्थित दिखती हैं. इसमें सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक मोटर वाहनों के लिए ‘नो-ट्रैफिक जोन’ और पैदल यात्रियों के लिए कॉरिडोर जैसी विभिन्न नई सुविधाओं ने अहम भूमिका निभाई है.

हर तरफ बिखरे बिजली के तारों का झुंड अब भूमिगत किया जा चुका है और सड़कों के किनारे एक लाइन से सीसीटीवी कैमरे भी लगे नजर आते हैं जो नियम तोड़ने वालों को संभलकर चलने के लिए प्रेरित करते हैं.

1.3 किमी लंबा ‘पैदल यात्रियों के अनुकूल कॉरिडोर’ लाल ग्रेनाइट पत्थर से बना है. जगह-जगह रंगीन प्लांटर्स लगे हैं और साथ ही इसे आधुनिक लैंप पोस्ट से रोशन किया गया है. लोगों के आराम करने के लिए बेंच पड़ी हैं और साफ-सफाई सुनिश्चित करने के लिए गीला और सूखा कचरा अलग-अलग डालने के लिए जगह-जगह कूड़ेदान भी रखे हैं.

साफ-सफाई का जिम्मा लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने जहां एक निजी कंपनी सोनी मैनेजमेंट को सौंप रखा है, यातायात प्रबंधन प्रशासन की तरफ से नियुक्त शहर के सिविल डिफेंस वालंटियर्स संभाल रहे हैं. परियोजना के पहले चरण में बाजार को लेकर जो परिकल्पना की गई थी, उसे बहाल रखने के लिए दोनों समूह मिलकर काम कर रहे हैं.

क्या कहते हैं क्षेत्र के व्यापारी

पिछले 35 सालों से इस इलाके में कारोबार कर रहे अयान हार्ट्स एंड रेस्टोरेंट्स के मालिक आरजू खान ने कहा, ‘पिछले साल कई बदलाव हुए थे और यह साफ नजर भी आता है. पहले कभी इतना विकास नहीं हुआ और ज्यादा कारोबार भी नहीं था, लेकिन अब सब कुछ बेहतर हो गया है.’

जय भगवती नमकीन नामक दुकान एक अन्य विक्रेता विनय गुप्ता ने कहा कि नए बदलावों ने उन्हें अच्छी-खासी ब्रीदिंग स्पेस मुहैया कराई है और बाजार की पहचान बन चुकी भीड़भाड़ वाली छवि से भी निजात मिली है. उन्होंने कहा, ‘फ़ुटपाथ खाली होने से खरीदारों को आराम से चलने-फिरने के लिए पर्याप्त जगह मिल रही है जो व्यवसाय के लिए अच्छी बात है. रोशनी भी अच्छी है और सड़कें देर रात तक जगमगाती रहती हैं.’

ओमैक्स चौक

चांदनी चौक, जिसे मूनलाइट स्क्वायर के तौर पर भी जाना जाता है, के कायाकल्प के बाद आधिकारिक तौर पर पिछले साल इसका अनावरण भी किया गया था. लेकिन उसके बाद भी कई नई सुविधाएं जोड़ी गई हैं. पहले से काफी बदल चुके इस बाजार में नई परियोजनाएं भी आ रही हैं और निर्माणाधीन ‘ओमैक्स चौक’ ऐसी ही एक प्रमुख परियोजना है.

मल्टी-स्टोरी पार्किंग के साथ शॉपिंग सेंटर वाले प्रोजेक्ट ओमेक्स चौक की परिकल्पना 2013 में की गई थी. लेकिन दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की मंजूरी के बावजूद इसकी प्रस्तावित ऊंचाई को लेकर एनडीएमसी और दिल्ली शहरी कला आयोग (डीयूएसी) के बीच तनातनी सहित तमाम मुद्दों की वजह से निर्माण 2019 में जाकर शुरू हो पाया.

नगर निगम का लक्ष्य इसे सड़क से 30 मीटर ऊपर तक बनाने का था, लेकिन डीयूएसी चाहता था कि ऊंचाई इससे लगभग आधी ही रखी जाए. डीयूएसी ने यह कहते हुए इतनी ऊंचाई के प्रस्ताव को खारिज कर दिया कि ऐसी संरचना क्षेत्र के सौंदर्य को बिगाड़ देगी. इसलिए वह इसे मंजूरी नहीं दे सकता, भले ही अन्य एजेंसियां इसके लिए हामी भर दें.

डीयूएसी ने आखिरकार अप्रैल 2019 में परियोजना को अपनी मंजूरी दे दी. अंतत: ऊंचाई 22 मीटर रखने पर सहमति बनी जिसमें 3.6 लाख वर्ग फुट जगह फुटकर दुकानों और 1.25 लाख वर्ग फुट जगह फूड कोर्ट के लिए निर्धारित की गई.

जैसा एमसीडी अधिकारियों ने बताया काम पूरा होने की प्रस्तावित तिथि 8 अप्रैल 2023 है और डेवलपर्स का कहना है कि इसका 80 प्रतिशत काम पहले ही पूरा हो चुका है.

मॉल उस जगह पर बनाया जा रहा है जहां पूर्व में गांधी मैदान पार्किंग स्थल हुआ करता था. और ये तकनीकी तौर पर चांदनी चौक के उस हिस्से में नहीं आता है जहां पैदल यात्री प्रोजेक्ट चल रहा है. क्षेत्र में सभी तीन पार्किंग स्थलों का पुनर्विकास परियोजना का हिस्सा है, जिसमें दो अन्य दंगल मैदान और परेड ग्राउंड हैं.

‘300 सालों में चांदनी चौक में पहला कॉमर्शियल डेवलपमेंट’ बताए जा रहे ओमेक्स चौक में पांच मंजिलें होंगी, जिनमें तीन भूमिगत होंगी. इसमें 2,100 कारों और 81 पर्यटक बसों को खड़े करने की पार्किंग की जगह होने की उम्मीद है.

इसके कमर्शियल कॉम्प्लेक्स में दो फ्लोर रिटेल दुकानों के लिए होंगे और एक फ्लोर फूड कोर्ट को समर्पित होगा. यह सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत पूर्व उत्तरी डीएमसी के साथ ली गई एकमात्र परियोजना है और इसकी निगरानी दिल्ली हाई कोर्ट की तरफ से की जा रही है.

शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में पार्किंग सुविधा मिलने को लेकर व्यापारी काफी खुश हैं क्योंकि उन्हें निचले बेसमेंट में मुफ्त पार्किंग मिलने की उम्मीद है.

कस्तूरी फैशन के मालिक और एक बुजुर्ग दुकानदार प्रवीण जैन ने कहा कि यह ‘सभी के लिए अच्छा’ होगा और उन्हें ‘खुशी है कि इसका निर्माण किया जा रहा है.’

अन्य दुकान मालिक और यहां तक कि सेल्समैन भी परियोजना को लेकर उत्साहित दिखे. उन्होंने कहा कि यह न केवल उनके लिए बल्कि यहां आने वाले लोगों के लिए भी अच्छा होगा जो बाजार में अपनी कारों को पार्क करने की सुविधा न होने से खिन्न रहते हैं. उन्हें यह उम्मीद भी है कि इससे व्यवसाय और बढ़ेगा.

पीडब्ल्यूडी परियोजना प्रभारी ने कहा कि ओमैक्स चौक के आसपास की सड़कों का निर्माण एमसीडी के साथ एक संयुक्त उद्यम के तहत किया जाएगा, जिसमें योजनाओं को मंजूरी एमसीडी देगी.


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‘मॉल शहर की सूरत बदल देते हैं’

हालांकि, पुरानी दिल्ली के आसपास निजी स्तर पर हेरिटेज वाक का आयोजन करने वाले संगठन दिल्ली मेट्रो वॉक की संस्थापक सुरेखा नारायण

का मानना है कि मॉल किसी भी शहर के चरित्र को बदल देते हैं. वह कहती हैं ‘मुझे मॉल का कॉन्सेप्ट पसंद ही नहीं है. वाणिज्यिक उद्देश्यों के पारंपरिक पहलुओं को दरकिनार किए जाने की वजह से दुकानों की सूरत पहले ही काफी खराब हो चुकी है.’ हालांकि, साथ ही जोड़ा कि वह अपनी राय बनाने में कोई जल्दबाजी नहीं करेंगी और देखेंगी कि वहां किस तरह की दुकानें खुलती हैं.

सफेद जाल पौधों की रक्षा के लिए | फोटो: सुकृति वत्स| दिप्रिंट

अब एकीकृत हो चुके दिल्ली नगर निगम की तरफ से एक बयान में दिप्रिंट को बताया गया कि उसका मानना है कि मॉल ‘चांदनी चौक क्षेत्र की पार्किंग समस्या दूर करने में मददगार होगा. इससे लोगों को पैदल चलने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा और विक्रेताओं को भी लाभ होगा.’

और क्या सुविधाएं मुहैया कराई गईं

कायाकल्प के पहले चरण के तहत व्यस्त बाजार क्षेत्र में जो अन्य बदलाव किए गए, उनमें पेड़ों के सुरक्षा घेरे के तौर पर सफेद जालियां लगाना और पब्लिक टॉयलेट की सुविधा के लिए फाउंटेन चौक के पास पीडब्ल्यूडी की तरफ से नया परिसर बनाया जाना शामिल है.

व्यापारियों का कहना है कि इलाके की भीड़भाड़ के कारण पौधों को किसी तरह का नुकसान न होने देने के उद्देश्य से तीन-चार महीने पहले ही सफेद जालियां लगाई गई हैं.

करीब 40 साल से ब्राइडल वियर शॉप आशिका कलेक्शन चला रहे मोंटी रोइला ने बताया, ‘सड़क के बीच व्हाइट डिजाइन अभी दो से तीन महीने पहले ही की गई थी, तब पौधे भी लगाए गए थे. कुछ अच्छी तरह बढ़े हैं, जबकि कहीं-कहीं नहीं भी विकसित हुए हैं. एमसीडी की गाड़ी हफ्ते या 15 दिन में एक बार पौधों को पानी देने आती है. लेकिन हम लोग भी इन्हें पानी देते रहते हैं जिसकी वजह से ये फल-फूल रहे हैं. देखिए, हमारी तरफ के पेड़ लंबे हैं क्योंकि हमने उनकी देखभाल की, अन्य क्षेत्रों में ऐसा नहीं है.’

फाउंटेन चौक के पास पिछले महीने ही खोला गया परिसर चांदनी चौक मेट्रो स्टेशन के सामने एक पुराने कचरे के ढेर पर बना है. इसमें पहली मंजिल पर पुरुषों, महिलाओं और दिव्यांगो के लिए पब्लिक टॉयलेट हैं, जबकि ऊपरी दो मंजिलों का उपयोग नहीं किया जा रहा है. इसके साथ ही बाजार में वॉशरूम फैसिलिटी की कुल संख्या चार हो गई है. अन्य तीन वॉशरूम फैसिलिटी लाल मंदिर के सामने, भागीरथ पैलेस के पास और टाउन हॉल के नजदीक हैं.

नारायण कहते हैं, ‘बहुत अच्छी बात है कि ये शौचालय बन गए हैं. क्षेत्र में बिखरा रहने वाला कचरा आंखों में चुभता था, और अब स्थिति बदल गई है. ये वॉशरूम विशेष रूप से महिला दुकानदारों के लिए बहुत सुविधाजनक हैं.’

हालांकि, सर्व व्यापार मंडल के भार्गव ने बताया कि परिसर के शौचालयों में बिजली नहीं है. उन्होंने कहा, ‘वैसे भी, रात में सभी शौचालय बंद कर दिए जाते हैं और फिर क्षेत्र में डेरा डाले रहने वाले तमाम लोग खुली जगहों का ही इस्तेमाल करते हैं.’

दिप्रिंट ने भी परिसर का दौरा किया तो पाया कि वहां बिजली नहीं थी. परिसर में मौजूद सफाई कर्मियों के मुताबिक काफी समय से ये ऐसे ही चल रहे हैं. वॉशरूम जल्दी बंद होने या गंदे रहने की शिकायत अन्य व्यापारियों और यहां आने वाले तमाम लोगों ने भी की.

15 साल पहले हुई थी पहल

2007 में गैर-मोटर चालित वाहनों के लिए अलग लेन और चांदनी चौक के मुख्य मार्ग पर वाहनों की भीड़भाड़ घटाने की मांग को लेकर एक गैर सरकारी संगठन मानुषी की तरफ से याचिका दायर किए जाने के बाद पुनर्विकास परियोजना को गति मिली थी. इसने खासकर रिक्शों के लिए जारी होने वाले लाइसेंसों की संख्या सीमित करने पर जोर दिया था.

दिल्ली हाई कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को इस मामले पर गौर करने का आदेश दिया, जिसके कारण ही डीडीए द्वारा गठित निकाय यूनिफाइड ट्रैफिक एंड ट्रांसपोर्टेशन इंफ्रास्ट्रक्चर सेंटर की तरफ से पुनर्विकास योजना प्रस्तावित की जा सकी. 4 मार्च 2011 को दिल्ली के तत्कालीन एलजी तेजिंदर खन्ना ने योजना को मंजूरी दी.

दो साल बाद तय किया गया कि चूंकि इसमें काफी ज्यादा काम होना है इसलिए परियोजना को दो चरणों में पूरा किया जाएगा.

इस परियोजना में शाहजहानाबाद पुनर्विकास निगम दिल्ली, जल बोर्ड, परिवहन विभाग, डीडीए, भारतीय रेलवे, दिल्ली सरकार और केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय सहित दो दर्जन से अधिक हितधारक जुड़े.

65.63 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली संशोधित योजना को आखिरकार 23 अगस्त 2019 को मंजूरी दी गई और फिर 2021 के अंत में इस काम के पहले चरण की शुरुआत हुई.

अन्य चिंताएं क्या हैं?

भार्गव ने बताया कि पुलिस की तरफ से क्षेत्र में वाहनों की आवाजाही पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया, जो अदालती आदेश का उल्लंघन है.

प्रशासन की तरफ से नियुक्त सिविल डिफेंस वालंटियर्स में से एक ने दिप्रिंट को बताया कि मरम्मत के बाद सड़कों पर रिक्शे निर्धारित संख्या—400—से काफी ज्यादा है और इस दिशा में कुछ खास नहीं किया जा रहा.

सार्वजनिक सुविधाओं और यातायात की स्थिति पर टिप्पणी के लिए दिप्रिंट ने जब एमसीडी अधिकारियों से संपर्क साधा तो उन्होंने पीडब्ल्यूडी के पास इसकी जिम्मेदारी होने की बात कही. हालांकि, पीडब्ल्यूडी की तरफ से अभी तक इस पर कोई जवाब नहीं आया है. उनका जवाब मिलने पर रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.

(अनुवाद: रावी द्विवेदी)

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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