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Sunday, 22 December, 2024
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राम मंदिर निर्माण को आगे बढ़ाएंगे संतों के संत नृत्य गोपाल दास और वीएचपी-संघ के बीच सेतु बनेंगे चंपत राय

अब से कुछ देर में राम मंदिर ट्रस्ट के सभी सदस्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे. मंदिर आंदोलन के रणनीतिकारों के तौर पर जाने जाते हैं नृत्य गोपाल दास और चंपत राय.

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नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार ने राम मंदिर के लिए ट्रस्ट की घोषणा कर दी है. इस ट्रस्ट में नृत्य गोपाल दास को अध्यक्ष और विश्व हिंदू परिषद् के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय को महासचिव नियुक्त किया गया है. दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में बुधवार को राम श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक हुई जिसमें मंदिर निर्माण से लेकर ट्रस्ट से जुड़े कई निर्णय लिए गए. गुरुवार शाम को ट्रस्ट के सभी सदस्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे.

संतो के संत है नृत्य गोपाल दास

अयोध्या में यूं तो सैकड़ों संत रहते हैं लेकिन उनमें सबसे अधिक प्रसिद्ध महंत नृत्‍य गोपाल दास को माना जाता है. वह 1984 से राम मंदिर आंदोलन से जुड़े हैं. उनके मठ मणिराम छावनी में 200 से अधिक साधुओं की जमात स्थाई तौर पर रहती है. उनकी अध्यक्षता में ही कारसेवकपुरम में स्थित मंदिर कार्यशाला में राम मंदिर के लिए पत्थरों को तराशने का काम चला. उन पर बाबरी मस्जिद  के ढांचे को गिराए जाने की घटना में सीबीआई कोर्ट में केस भी चल रहा है.

छावनी से जुड़े एक सदस्य ने दिप्रिंट को बताया, ‘ट्रस्ट के सदस्यों की शुरुआती घोषणा में महंत नृत्य गोपाल दास का नाम न होने पर वह नाराज हो गए थे, इसके बाद खुद गृहमंत्री अमित शाह ने फोन पर बात कर महंत को आश्‍वासन दिया था जिसके बाद उनकी नाराजगी दूर हुई. नृत्य गोपाल अपने साथ मोबाइल फोन भी नहीं रखते.’

कृष्ण की नगरी मथुरा को छोड़कर राम की नगरी में बसे नृत्यगोपाल दास ने राम मंदिर आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. 1992 की घटना के बाद से राम मंदिर को लेकर हुए हर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले नृत्यगोपाल दास को ​सपा, बसपा और कांग्रेस के राज में कई तरह के उत्पीड़न भी झेलना पड़ा है.


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रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्यगोपाल दास का जन्म 11 जून 1938 को मथुरा में हुआ. महज 12 वर्ष की उम्र में ही वैराग्य धारण कर लेने के बाद वे अयोध्या आकर बस गए थे. अयोध्या में प्रारंभिक शिक्षा के बाद संस्कृत की पढ़ाई के लिए कुछ समय काशी में भी गुजारा. इसके बाद से वह आयोध्या में रहने लगे.

सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक श्रीराम जन्मभूमि के मामले को लेकर लड़ाई लड़ने वाले में दिगंबर अखाड़ा के महंत परमहंस रामचंद्र दास के बाद मणिरामदास छावनी के महंत नृत्यगोपाल दास ने विरासत संभाली और वह लगातार राममंदिर को लेकर लड़ाई लड़ते रहे. राम—जानकी रथ यात्रा जब सीतामढ़ी से अयोध्या पहुंची तो यात्रा मणिरामदास की छावनी में ही रुकी.

जिस दौरान महंत परमहंस कोर्ट के कामों में ज्यादा व्यस्त रहते थे, उस दौरान नृत्यगोपाल दास ही आंदोलन के साधु—संतों व अन्य लोगों के लिए सुविधाएं जुटाने का काम करते थे. जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी शिवरामाचार्य महाराज के द्वारा श्रीराम जन्भूमि न्यास की स्थापना की गई. अप्रैल 1989 में नृत्यगोपाल दास को उपाध्यक्ष नियुक्ति किया गया.

अक्टूबर 1990 में अयोध्या पहुंचे हजारों कारसेवकों का नेतृत्व व मार्गदर्शन में नृत्यगोपाल दास की अहम भूमिका रही. इसके अलावा 2002 से दिल्ली तक चेतावनी यात्रा और पीएम से मिलने गए संतों के प्रतिनिधि मंडल में उन्होंने अहम भूमिका अदा की.

मार्च 2003 में नृत्यगोपाल दास को श्रीराम जन्मभूमि न्यास का अध्यक्ष बनाया गया. इनके ही कार्यकाल में मंदिर में लगने वाले पत्थरों का काम तेजी से हुआ. नृत्यगोपाल दास द्वारा राम मंदिर आंदोलन से लेकर कोर्ट की लड़ाई में प्रमुख ​भूमिका निभाने में आगे रहने के ही चलते सरकार ने उन्हें राम मंदिर ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाया गया है.

चंपत राय बंसल करेंगे ‘पुल’ का काम

श्रीराम मंदिर ट्रस्ट में महासचिव बनाए गए चंपत राय बंसल बिजनौर के रहने वाले हैं. ​वीएचपी के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष राय सुप्रीम कोर्ट में चली राम मंदिर की सुनवाई के प्रमुख पक्षकार रहे हैं. सुनवाई में राम मंदिर से संबंधित साक्ष्य को कोर्ट में पेश करने में अहम भूमिका निभाने वाले राय को इसकी मेहनत का परिणाम ​मिला है.

1946 में जन्में चंपत राय बचपन से ही राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ से जुड़ गए थे. वे बिजनौर के एक काॅलेज में फिजिक्स के लेक्चरर रहे हैं. इमरजेंसी के दौरान राय 18 माह तक जेल में भी रहे हैं. जेल से छूटने के बाद राय घर नहीं लौटे वह सीधे  विश्व हिंदू परिषद् में शामिल हो गए.


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वह मंदिर आंदोलन के रणनीतिकारों के तौर पर जाने जाते हैं. वहीं इसके अलावा वह दिल्ली में रहकर वीएचपी के कार्यों के प्रचार- प्रसार से जुड़े रहे हैं. उनके बारे में कहा जाता है कि वह बीजेपी सरकार और ट्रस्ट के अन्य सदस्यों के बीच पुल का काम कर सकते हैं क्योंकि वीएचपी में रहने के दौरान उनकी पहुंच भाजपा आलाकमान और संघ मुख्यालय नागपुर तक है.

अयोध्या में वीएचपी के प्रवक्ता शरद शर्मा बताते हैं कि चंपत राय ने पूरा जीवन मंदिर आंदोलन में लगा दिया है. फैसला आने के बाद आखिरकार उन्हें ट्रस्ट का महासचिव नियुक्त कर दिया गया है.

राय वीएचपी के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल के बेहद करीबी रहे हैं.

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