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Wednesday, 9 October, 2024
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हिंसा के बाद केंद्र ने मणिपुर की सुरक्षा अपने हाथ में ली, उपद्रवियों को देखते ही ‘गोली मारने का आदेश’

इंफाल पश्चिम जिले के तनावग्रस्त इलाके में गुरुवार को भयंकर आगजनी की सूचना मिली. इसके बाद राज्यपाल ने इस पूर्वोत्तर राज्य में उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया.

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इंफाल: बुधवार के जनजातीय एकजुटता मार्च के बाद पहाड़ी और घाटी क्षेत्रों में आगजनी और हिंसा के बाद केंद्र सरकार ने गुरुवार को मणिपुर में सुरक्षा का जिम्मा संभालने के लिए राज्य में अनुच्छेद 355 लागू कर दिया.

चुराचंदपुर से इंफाल तक, आदिवासी कुकी और बहुमत गैर-आदिवासी मैतेई के बीच हुई जातीय संघर्ष स्पष्ट रुप से टूटी हुई खिड़कियों, जले हुए घरों, तबाह चर्चों और विध्वंस धार्मिक संरचनाओं के रुप में देखे जा सकते हैं. 

मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि मणिपुर में संविधान के अनुच्छेद 355 को लागू कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि इस बीच इंफाल-चुराचंदपुर मार्ग को पुलिस और सुरक्षाकर्मियों ने अपने कंट्रोल में ले लिया है. 

इस आदेश से पहले, सरकारी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि सुरक्षा बलों को किसी भी उपद्रवी को देखते ही गोली मारने का आदेश जारी किया गया था. मणिपुर के गृह विभाग के एक आदेश का हवाला देते हुए, समाचार एजेंसी एएनआई ने बताया कि राज्यपाल ने विभाग के शूट-ऑन-विज़न आदेश को मंजूरी दे दी है.

इंफाल पश्चिम जिले में तनाव काफी तेज हो गया था. गुरुवार की दोपहर कुछ इलाकों में आगजनी की सूचना मिली, जहां सुरक्षा बलों की कम उपस्थिति थी. इंफाल में गुरुवार को केवल आवश्यक सेवाओं की अनुमति दी गई थी. चारों ओर सड़कें सुनसान नजर आईं.

स्थानीय लोग कॉलोनियों में जमा थे, जबकि इक्का-दुक्का निजी वाहन सड़कों पर दिखाई दे रहे थे.

 हालांकि, इंफाल शहर इससे थोड़ा अपवाद में रहा, जहां राज्यव्यापी कर्फ्यू के बीच लोगों ने प्रार्थना सभा में भाग लिया.

| Karishma Hasnat | ThePrint
इंफाल में एक क्षतिग्रस्त चर्च | फोटो: करिश्मा हसनत | दिप्रिंट

जैसा कि किसी संकट के दौरान अक्सर देखा जाता है, कर्फ्यू और बंद के दौरान लोग अक्सर जरूरत का सामना ब्लैक मार्केट से खरीदते हैं. इंफाल में एक लीटर पेट्रोल 90 रुपये के मानक मूल्य के मुकाबले 120 रुपये में बेचा जा रहा है.

गुरुवार को मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने शार्ट वीडियो ट्वीट कर लोगों से शांति और सद्भाव बनाए रखने में मदद करने की अपील की.

लेकिन भले ही मणिपुर सरकार ने स्थिति से निपटने और इसे रोकने के लिए बैठकें कीं, लेकिन वहां के समुदायों के बीच खोए हुए भरोसे को ठीक करना कठिन होता जा रहा है.

इंफाल में सीआरपीएफ कैंप में शरण ले रहे कांगपोकपी जिले के लहुंगजांग के स्थानीय अजंग खोंगसाई ने कहा, ‘हम सरकार से तनाव कम करने और प्रभावित लोगों को सुरक्षित रास्ता देने का अनुरोध करना चाहते हैं ताकि वे अपने-अपने घर जा सकें.’ 

सेना, अर्धसैनिक बल और असम राइफल्स सहित सुरक्षा बलों ने बुधवार रात भर हजारों लोगों को विभिन्न स्थानों से निकाला था. लगभग 5,000 लोग चुराचंदपुर में एक सैन्य शिविर में और 2,000 लोग इंफाल और मोरेह जिलों में एक अस्थायी शिविरों में शरण ले रहे हैं.

Credit: PRO Defence
असम राइफल्स और सीआरपीएफ कैंप | फोटो: करिश्मा हसनत | दिप्रिंट

केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की अतिरिक्त टुकड़ियों को इस पूर्वोत्तर राज्य में भेजा गया है. रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) की एक टीम गुरुवार दोपहर इंफाल में उतरी क्षेत्र और चुराचांदपुर जिले में तैनात की जाएगी.

इम्फाल पश्चिम जिले के एक 32 वर्षीय मेइतेई व्यक्ति ने दिप्रिंट को बताया कि सरकार अभी भी प्रभावित समुदायों के बीच शांति वार्ता शुरू कर सकती है, और लोगों के बीच शांति और विश्वास बहाल कर सकती है.

उन्होंने कहा, ‘जलते हुए घरों का धुआं हर जगह दिखाई दे रहा है, और पूरे राज्य में भय का माहौल है. प्रभावित समुदायों को बुलाने और शांति वार्ता शुरू करने में बहुत देर नहीं हुई है. इस संबंध में हम बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार से बहुत निराश हैं. अगर उन्होंने समय रहते कार्रवाई की होती तो हिंसा से बचा जा सकता था.’

A vehicle that was vandalised and set aflame on Imphal's airport road | Karishma Hasnat | ThePrint
इंफाल एयरपोर्ट के सामने जला वाहन | फोटो: करिश्मा हसनत | दिप्रिंट

इंफाल में बीजेपी विधायक पर हमला

इस बीच, इंफाल में भीड़ के हमले में भाजपा विधायक वुंगजागिन वाल्टे गंभीर रूप से घायल हो गए. थालनॉन विधानसभा क्षेत्र से विधायक वाल्टे मुख्यमंत्री के सलाहकार रह चुके हैं.

4 मई से अगले पांच दिनों के लिए मणिपुर में ब्रॉडबैंड सेवाओं को निलंबित कर दिया गया था. जैसे-जैसे ब्रॉडबैंड और इंटरनेट सेवाओं पर अंकुश लगाया गया, स्थानीय निवासियों ने अपने क्षेत्रों में लोगों को इकट्ठा करना शुरू किया और बिजली के खंभों को तोड़ने लगे. 

| Karishma Hasnat | ThePrint
प्रदर्शनकारियों द्वारा जलाया गया वाहन | फोटो: करिश्मा हसनत | दिप्रिंट

इंफाल के एक होटल की छत से लंगोल की जलती हुई पहाड़ी को देख सकता था. राज्य की राजधानी में स्थानीय सूत्रों ने बताया कि इंफाल के कई इलाकों से गोलियां चलने की भी सूचना मिली है.

इंफाल में सड़कों पर अर्धसैनिक बलों के जवानों ने गश्त की, क्योंकि हिंसा को रोकने के लिए अतिरिक्त बल भेजे गए थे. पुलिस थानों का घेराव करने के बाद कुछ इलाकों में सुरक्षाकर्मियों ने कथित तौर पर फायरिंग की.

स्थानीय सूत्रों ने कहा कि पुलिस स्टेशनों पर तोड़फोड़ फायरिंग की गई और हथियार लूट लिए गए. 


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ग्रामीणों का दावा, पूर्व सैनिक की हत्या

चुराचंदपुर के तोरबंग गांव में, ग्रामीणों ने भारतीय सेना के एक पूर्व सैनिक 38 वर्षीय जमखोगिन बैते की कथित हत्या पर शोक व्यक्त किया.

ग्रामीणों ने कहा कि बैते बुधवार की रैली में शामिल हुए और शाम को अपने घर से बाहर निकले, जब उन्होंने इलाके में झड़पों के बारे में सुना. उन्होंने कहा कि उनके चार बच्चे हैं जिसमें सबसे छोटा बच्चा 5 महीने का है.

बाईटे की छोटी बहन हेलमबोई बाईटे ने दिप्रिंट को बताया कि वह अपने साथ फोन नहीं ले गए थे और आधी रात हो चुकी थी जब उन्होंने ‘सोशल मीडिया के माध्यम से उनकी मृत्यु के बारे में सुना’.

दिप्रिंट द्वारा उनकी मौत की रिपोर्ट को सत्यापित नहीं किया गया है क्योंकि चुराचांदपुर में उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक को कॉल करना संभव नहीं था.

हेलाम्बोई ने दिप्रिंट को बताया कि परिवार ने तब तक शव को लेने से मना कर दिया है जब तक सरकार आदिवासी नेताओं द्वारा उठाई गई सभी मांगों को नहीं मान लेती.

उन्होंने कहा, ‘मेरे भाई के शव को न्यू लमका जिला अस्पताल के मुर्दाघर में रखा गया है. साथ ही आस-पास के दो अन्य पीड़ितों के शव भी रखे गए हैं. सुबह तीनों के परिवार एक साथ मुर्दाघर गए थे. हमें एक नागरिक समाज संगठन के नेताओं द्वारा एम्बुलेंस से ले जाया गया था.’

हेलामबोई ने कहा, ‘हम केंद्र सरकार से हमारे जीवन को बचाने का अनुरोध करते हैं. साथ ही हम अनुरोध करते हैं कि यह पता लगाया जाए कि कुकी और नागा आदिवासी में कौन गलत हैं और कौन सही हैं. फिर आप हमारे खिलाफ जो भी कार्रवाई करना चाहते हैं, कर सकते हैं.’

हिंसा कैसे फैली

आरक्षण और संवैधानिक सुरक्षा उपायों के लिए अनुसूचित जनजातियों की सूची में मेइतेई को शामिल करने की लंबे समय से चली आ रही मांग को स्वयं मेइती के भीतर अलग-अलग लेंसों के माध्यम से देखा गया है. लेकिन, यह मांग पहाड़ियों में आदिवासी आबादी के बीच आशंकाओं को बढ़ावा देता है.

बुधवार को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (एटीएसयूएम) द्वारा मेइती समुदाय के एक वर्ग द्वारा अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के खिलाफ जनजातीय एकजुटता मार्च के नाम से एक रैली आयोजित की गई थी. हजारों लोग पहाड़ी जिलों में रैलियों में शामिल हुए. उसी दिन घाटी के इलाकों में भी प्रदर्शन हुए.

चुराचांदपुर में, जो पिछले कुछ दिनों से हिंसा का केंद्र रहा है, वहां उपद्रवियों द्वारा क्षेत्र में एंग्लो-कुकी कब्रिस्तान में आग लगाने की खबरों के कारण रैली समाप्त होने के कुछ ही क्षण बाद बुधवार को फिर से संघर्ष हुआ. बिष्णुपुर जिले के मोइरांग से करीब 10 किलोमीटर दूर चुराचांदपुर जिले के कंगवई तोरबंग इलाके में स्थानीय लोगों के समूह ने पथराव किया.

चुराचांदपुर और बिष्णुपुर जिलों के विभिन्न इलाकों से बड़े पैमाने पर हिंसा की सूचना के साथ अन्य क्षेत्रों में तनाव फैल गया. यह इंफाल घाटी में कुकी इलाकों और पहाड़ी जिलों में मैतेई इलाकों में फैल गया.

झड़पों और पुलिस फायरिंग में कई लोग घायल हुए, कुछ गंभीर रूप से. सरकारी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि बुधवार की झड़प में एक पुलिस अधिकारी और एक 3 साल के बच्चे को चोटें आई हैं.

इंफाल पश्चिम जिले में, अन्य क्षेत्रों के अलावा चेकोन, न्यू लाम्बुलाने, संगईप्रोउ, गेम विलेज जैसे क्षेत्रों से हिंसा की सूचना मिली थी, जबकि चुराचंदपुर, मोरेह और कांगपोकपी के पहाड़ी जिलों के गांवों से आगजनी की सूचना मिली थी. चर्चों में उलटी बेंचों, क्षतिग्रस्त मंदिरों, तोड़फोड़ किए गए प्रांगणों और जले हुए वाहनों की तस्वीरें बुधवार शाम सोशल मीडिया में प्रसारित होने लगीं.

प्रभावित जिलों के कुछ निवासियों ने दावा किया कि झड़पों में घायल हुए कुछ लोगों ने दम तोड़ दिया. दिप्रिंट स्वतंत्र रूप से इन दावों की पुष्टि नहीं कर सका.

पहाड़ी जिलों चुराचंदपुर, टेंग्नौपाल, सेनापति, जिरीबाम, फेरजावल के साथ-साथ काकिंग, बिष्णुपुर, इंफाल पश्चिम और थौबल में धारा 144 लागू है. मणिपुर में बुधवार शाम से अगले आदेश तक पांच दिनों के लिए इंटरनेट सेवाएं निलंबित हैं.

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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