scorecardresearch
गुरूवार, 1 मई, 2025
होमदेशकेंद्र को जाति आधारित जनगणना के लिए स्पष्ट योजना तैयार करनी चाहिए: एमए बेबी

केंद्र को जाति आधारित जनगणना के लिए स्पष्ट योजना तैयार करनी चाहिए: एमए बेबी

Text Size:

नयी दिल्ली, एक मई (भाषा) मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव एमए बेबी ने बृहस्पतिवार को कहा कि केंद्र सरकार को जाति आधारित जनगणना कराने के लिए स्पष्ट योजना बनानी चाहिए और इस पर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से सलाह लेनी चाहिए।

उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद की स्थिति पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की भी मांग की। मजदूर दिवस के अवसर पर यहां पार्टी मुख्यालय में माकपा का झंडा फहराने के बाद बेबी ने कहा कि जाति आधारित जनगणना की मांग माकपा समेत सभी विपक्षी दलों ने की है।

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को जनगणना कराने के लिए स्पष्ट कार्यक्रम बनाना होगा। इसमें वे अपना निर्णय ले सकते हैं और हम प्रतिक्रिया दे सकते हैं या संसद में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से भी सलाह ली जा सकती है।’’

सरकार ने बुधवार को एक बड़े फैसले के तहत घोषणा की कि आगामी जनगणना में जातिगत गणना को ‘पारदर्शी’ तरीके से शामिल किया जाएगा।

बेबी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कई मौकों पर कहा है कि भारत में केवल चार जातियां हैं (गरीब, युवा, महिलाएं और किसान) हैं, लेकिन अब उन्हें जातिगत गणना कराने के लिए ‘मजबूर’ किया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम कम्युनिस्ट और वामपंथी ताकतें युवाओं, श्रमिकों, किसानों, महिलाओं और अन्य लोगों के अधिकारों के लिए लड़ती हैं… भारतीय समाज में जाति उत्पीड़न जारी है और जातिगत भेदभाव कई समस्याओं को जन्म देता है, जिसमें रोहित वेमुला की आत्महत्या या न्यायेतर हत्या भी शामिल है।’’

हैदराबाद विश्वविद्यालय के दलित छात्र वेमुला ने वर्ष 2016 में कथित तौर पर जाति-आधारित भेदभाव के कारण परिसर में आत्महत्या कर ली थी।

बेबी ने कहा कि पिछली जाति आधारित जनगणना लगभग एक सदी पहले की गई थी और विभिन्न जाति समूहों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को जानना महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा, ‘‘विभिन्न समूहों – दलितों, पिछड़ी जातियों और अन्य सभी जातियों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का आकलन करने वाली पिछली जनगणना ब्रिटिश काल में 1930-31 में की गई थी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस बात का आंकड़ा नहीं है कि कितनी जातियां हैं, कुछ लोग इसे इसी रूप में देखते हैं। विभिन्न जातियों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति, शैक्षिक स्थिति क्या है? हाशिए पर पड़े वर्गों को क्या प्रदान किया जा रहा है, क्या उनका उत्थान हो रहा है?’’ बेबी ने कहा कि आरक्षण से जुड़ी नीतियां भी इसका हिस्सा हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा निर्णय लिए जाने के बाद भी इसका विवरण तैयार नहीं किया जा रहा है। यह सिर्फ एक घोषणा है कि अगली जनगणना के हिस्से के रूप में विभिन्न जातियों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का भी अध्ययन किया जाएगा। डेटा एकत्र किया जाएगा।’’

बेबी ने पहलगाम आतंकी हमले पर चर्चा के लिए संसद के विशेष सत्र की मांग को भी दोहराया और 26 लोगों की जान लेने वाले आतंकी हमले पर सर्वदलीय बैठक में शामिल न होने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आलोचना की।

उन्होंने कहा, ‘‘राजनीतिक दलों की एक बैठक बुलाई गई थी, लेकिन प्रधानमंत्री ने इस बैठक की अध्यक्षता करने के बजाय सार्वजनिक सभा को संबोधित करने के लिए बिहार जाने का निर्णय लिया। इसलिए, मुझे नहीं पता कि हमारे देश के माननीय प्रधानमंत्री की प्राथमिकता क्या है। इस संदर्भ में, हम चाहते हैं कि संसद का एक विशेष सत्र भी बुलाया जाए।’’

मजदूर दिवस पर अपने संदेश में बेबी ने कामकाजी वर्ग में राजनीतिक चेतना की आवश्यकता पर जोर दिया।

भाषा संतोष नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments