नयी दिल्ली, तीन सितंबर (भाषा) धोखाधड़ी के एक मामले में आरोपी एक विदेशी नागरिक के जमानत पर रिहा होने के बाद फरार हो जाने की जानकारी मिलने के बाद, उच्चतम न्यायालय ने यह सुनिश्चित करने के लिए एक ठोस नीति की जरूरत रेखांकित की है कि देश में अपराध करने वाले विदेशी नागरिक ‘सजा से बच’ न सके।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल चार दिसंबर को झारखंड उच्च न्यायालय के मई 2022 के आदेश को रद्द कर दिया था, जिसमें आरोपी एलेक्स डेविड को जमानत दी गई थी।
जब मामला 26 अगस्त को न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया तो पीठ ने कहा कि देश में आपराधिक कार्यवाही का सामना करने के लिए एक नाइजीरियाई नागरिक के प्रत्यर्पण पर नाइजीरिया और भारत के बीच कोई द्विपक्षीय संधि नहीं है।
पीठ ने कहा, ‘‘विशेष अनुमति याचिका का निस्तारण किया जाता है, जिसमें जमानत रद्द करने के आदेश की पुष्टि की जाती है, लेकिन केंद्र सरकार को उचित नीति बनाने या आवश्यक और उचित समझी जाने वाली आगे की कार्रवाई शुरू करने का अधिकार दिया जाता है, ताकि विदेशी नागरिक भारत में अपराध करने के बाद न्याय की प्रक्रिया से भाग न सकें।’’
डेविड पर धोखाधड़ी और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम सहित कई अपराधों के लिए मामला दर्ज किया गया था।
उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दिए जाने के बाद, आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई। हालांकि उच्चतम न्यायालय को बताया गया कि डेविड जमानत पर बाहर आने के बाद फरार हो गया है।
इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने केंद्र से ऐसे मामलों में प्रक्रिया और दिशा-निर्देशों के बारे में सवाल किया।
केंद्र ने एक हलफनामा दायर किया, जिसमें विदेश में जांच के लिए व्यापक दिशा-निर्देशों की मौजूदगी, अनुरोध पत्र जारी करने, परस्पर कानूनी सहायता अनुरोध और आपराधिक मामलों के संबंध में सम्मन, नोटिस और न्यायिक दस्तावेजों की तामील का संकेत दिया गया।
पिछले साल चार दिसंबर को, उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया था और केंद्र को उनके दिशानिर्देशों में सुझाए गए उचित उपाय करने का निर्देश दिया था।
जब 26 अगस्त को मामला सुनवाई के लिए आया, तो केंद्र की ओर से पेश वकील ने पीठ के समक्ष विदेश मंत्रालय के सलाहकार (कानूनी) द्वारा सॉलिसिटर जनरल को संबोधित एक पत्र प्रस्तुत किया।
पीठ ने पत्र की विषयवस्तु दर्ज की, जिसमें लिखा था, ‘हालांकि, यह ध्यान देने योग्य है कि भारत और नाइजीरिया के बीच द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि के अभाव में, नाइजीरियाई प्राधिकारियों द्वारा अपने ही नागरिक को प्रत्यर्पित करने की संभावना नहीं है।’’
पत्र में कहा गया है कि प्रत्यर्पण अनुरोध नाइजीरिया के अबुजा स्थित भारतीय उच्चायोग को भेजा गया था, ताकि उसे ‘‘आपसी सहयोग के भरोसे’’ के आधार पर संबंधित नाइजीरियाई अधिकारियों को आगे भेजा जा सके।
पत्र और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि भारत में आपराधिक कार्यवाही का सामना करने के लिए नाइजीरियाई नागरिक के प्रत्यर्पण पर दोनों देशों के बीच कोई द्विपक्षीय संधि नहीं है, पीठ ने कहा कि याचिका को लंबित रखने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा।
भाषा अमित सुरेश
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