गोसाबा, 21 दिसंबर (भाषा) केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने रविवार को कहा कि असम के होजाई जिले में एक दिन पहले ट्रेन की चपेट में आने से हुई हाथियों की मौत के मामले में केंद्र सरकार ने रिपोर्ट मांगी है।
यादव ने यह भी कहा कि सभी राज्यों को पटरियों के आसपास हाथियों की आवाजाही पर नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं।
पश्चिम बंगाल के सुंदरबन में ‘प्रोजेक्ट एलिफेंट’ और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की बैठक के बाद यादव ने संवाददाताओं से कहा, “रेलवे अधिकारियों को पटरियों के पास हाथियों की आवाजाही को लेकर राज्यों के वन विभागों के साथ समन्वय करने का निर्देश दिया गया है। असम में हाथियों की मौत के मामले में रिपोर्ट मांगी गई है।”
उन्होंने कहा कि लोको पायलटों (ट्रेन चालकों) और वन अधिकारियों के बीच बेहतर समन्वय बेहद जरूरी है।
शुक्रवार देर रात असम के होजाई जिले में सायरंग-नयी दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस हाथियों के एक झुंड से टकरा गई थी, जिसमें सात हाथियों की मौत हो गई। इस दुर्घटना में ट्रेन के पांच डिब्बे और इंजन भी पटरी से उतर गए थे।
मंत्री ने कहा, “जिलाधिकारियों को भी राजमार्गों पर हाथियों की आवाजाही की जानकारी वन विभागों के साथ साझा करने को कहा गया है।”
यादव ने कहा कि असम और देश के वे सभी इलाके जहां हाथियों का प्रवास और पटरियां मौजूद हैं, वहां मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम), मंडल वन अधिकारी (डीएफओ) और स्थानीय लोगों को हितधारक बनाकर टीम गठित की गई हैं।
उन्होंने कहा कि हाथियों के लिहाज से देश में करीब ऐसे 1,100 दुर्घटना संभावित क्षेत्र चिह्नित किए गए हैं, जहां इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए निवारक उपाय किए जा रहे हैं।
यादव के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में पश्चिम बंगाल के सुंदरबन में बाघ परियोजना के लिए 112 करोड़ रुपये और हाथियों के संरक्षण के लिए 344 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन इस निधि का अधिकांश हिस्सा उपयोग में नहीं लाया गया।’’
यादव ने कहा कि जहां सुंदरबन में हर साल करीब 9.5 लाख पर्यटक आते हैं, वहीं रणथंभौर बाघ अभयारण्य में सालाना 18-19 लाख पर्यटक पहुंचते हैं।
मंत्री ने कहा, “करीब 2,500 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला सुंदरबन जैव विविधता से भरपूर है, जहां पक्षियों की 250 से अधिक प्रजातियों के अलावा बाघ, हिरण और मगरमच्छ जैसे वन्यजीव पाए जाते हैं। इसके बावजूद इसका सही तरीके से प्रचार नहीं हो पाया है। पारिस्थितिकी और विकास के बीच संतुलन बनाना जरूरी है और इस पर राज्य सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए।”
भाषा खारी नेत्रपाल
नेत्रपाल
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.
