नयी दिल्ली, दो सितंबर (भाषा) सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने सरकारी कामकाज में हिंदी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए अपनी हिंदी सलाहकार समिति का पुनर्गठन किया है। मंगलवार को जारी एक अधिसूचना में यह जानकारी दी गई।
पुनर्गठित हिंदी सलाहकार समिति के अध्यक्ष केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार होंगे, जबकि राज्य मंत्री बीएल वर्मा और रामदास अठावले क्रमशः उपाध्यक्ष और सदस्य होंगे।
समिति सरकार की राजभाषा नीति, राजभाषा अधिनियम और संबंधित नियमों के कार्यान्वयन की समीक्षा करेगी। साथ ही, यह मंत्रालय, उसके संबद्ध एवं अधीनस्थ कार्यालयों तथा संबद्ध संस्थानों में हिंदी के उपयोग को बढ़ाने के लिए सिफारिशें भी प्रस्तुत करेगी।
समिति में संसद सदस्य, हिंदी विद्वान, सरकारी अधिकारी और मंत्रालय के अधीन संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल हैं।
नामित सांसदों में सुरेश कुमार कश्यप, संध्या रे, धैर्यशील मोहन पाटिल और रयाग कृष्णैया शामिल हैं। संसदीय राजभाषा समिति ने विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी और रामचंदर जांगड़ा को भी नामित किया है।
इसके अलावा, चार प्रख्यात हिंदी विद्वानों को नामित किया गया है, जिनमें प्रोफेसर रसाल सिंह, डॉ रजत शर्मा, डॉ अर्चना गायतोंडे और अधिवक्ता डॉ बी मधु शामिल हैं।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग तथा राजभाषा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी इस निकाय का हिस्सा हैं।
विभिन्न वैधानिक आयोगों और राष्ट्रीय संस्थानों, जैसे कि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, डॉ. अंबेडकर फाउंडेशन, भारतीय पुनर्वास परिषद, भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (एलिम्को) और दिव्यांगजन सशक्तिकरण के लिए कई राष्ट्रीय संस्थानों के प्रतिनिधि भी इसमें शामिल हैं।
समिति का कार्यकाल इसके गठन की तिथि से तीन वर्ष तक रहेगा। संसद सदस्य सदन के विघटन या अपने कार्यकाल की समाप्ति तक इसके सदस्य बने रहेंगे।
भाषा सुमित नरेश
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