नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने भारतीय रेलवे के निजीकरण करने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है. इसी सिलसिले में 150 ट्रेनों और 50 रेलवे स्टेशनों को निजी हाथों में सौंपने की तैयारियां शुरू हो गई हैं. रेल मंत्री पीयूष गोयल और नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत की आपसी चर्चा के बाद यह फैसला लिया गया है. अमिताभ कांत ने इस संदर्भ में एक पत्र रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को लिखा है.
पत्र में लिखा है कि यात्री ट्रेनों के संचालन के लिए निजी ट्रेन ऑपरेटरों को लाने का निर्णय लिया गया है. पहले फेज में इसके तहत 150 ट्रेनों और 50 रेलवे स्टेशनों को शामिल किया जाना है.
इसमें नीति आयोग के सीईओ ने देश के छह एयरपोर्ट के निजीकरण के अनुभव का भी जिक्र किया है. उन्होंने रेलवे के लिए एक एंपावर्ड ग्रुप ऑफ सेक्रेट्रीज बनाने का सुझाव दिया. इसमें नीति आयोग के सीईओ, चेयरमैन रेलवे बोर्ड, सेक्रेटरी डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स, सेक्रेटरी मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स को शामिल कर प्रक्रिया को एक निश्चित समय सीमा के तहत बढ़ाने की बात कही है.
तेजस देश की पहली प्राइवेट ट्रेन
देश की पहली प्राइवेट ट्रेन तेजस का लखनऊ से दिल्ली का सफर 4 अक्टूबर से शुरू हो गया. इसको उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. यह ट्रेन हफ्ते में 6 दिन चलेगी. इसका ऑपरेशन रेलवे (ड्राइवर और गार्ड) के पास रहेगा. जबकि टिकटिंग, पार्सल और अन्य व्यावसायिक कामकाज के अलावा यात्री सुविधाओं का जिम्मा आईआरसीटीसी के पास होगा. आइआरसीटीसी हर साल रेलवे को बोगियों के एवज में हॉलेज शुल्क (ट्रांसपोर्टेशन चार्ज) देगा. फ्लाइट की एयर होस्टेस की तर्ज पर तेजस के यात्रियों का स्वागत ट्रेन होस्टेस द्वारा किया जा रहा है.
आईआरसीटीसी कर्मचारियों को यात्रियों के साथ अच्छा व्यवहार करने और सहयोगी की तरह पेश आने की विशेष ट्रेनिंग दी गई है. पहली प्राइवेट ट्रेन की खास बात यह है कि अगर यह एक घंटे से ज्यादा लेट होती है तो पैसेंजर्स को उनके पैसे रिफंड मिलेंगे. एक घंटे से अधिक लेट होने पर 100 रुपए और दो घंटे से अधिक देरी पर 250 रूपए रिफंड दिया जाएगा. यह रिफंड टीडीआर से नहीं होगा. यह सीधे आईआरसीटीसी करेगा. आईआरसीटीसी की ओर से संचालित इस ट्रेन में सफर करने वाले यात्रियों को 25 लाख़ का बीमा होगा. वहीं, यात्रा के दौरान लूटपाट होने या सामान चोरी होने पर एक लाख रुपए का मुआवजा भी दिया जाएगा.
आईआरसीटीसी और प्राइवेट सेक्टर में हुआ एग्रीमेंट
आईआरसीटीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट से कहा, ‘लखनऊ से नई दिल्ली के बीच शुरू हुई पहली तेजस एक्सप्रेस प्राइवेट ट्रेन के बजाए सार्वजनिक निजी भागीदारी पीपीपी मॉडल के तहत चलाई गई पहली यात्री ट्रेन है. इस ट्रेन का संचालन रेलवे का ही एक पीएसयू आइआरसीटीसी निजी कंपनी के साथ भागीदारी के साथ कर रहा है. इसमें आईआरसीटीसी और प्राइवेट ऑपरेटर के बीच एक कंसेशन एग्रीमेंट है. उसी के अनुसार यह सब काम करेंगे. इसमें आईआरसीटीसी को प्राइवेट ऑपरेटर से लाभ में हिस्सा मिलेगा. उसमें से वह रेलवे को हॉलेज शुल्क (ट्रांसपोर्टेशन चार्ज) देगा.’
आख़िर प्राइवेट ट्रेन का मतलब क्या है?
इस ट्रेन के भीतर सारी सेवाओं को संभालने का जिम्मा आईआरसीटीसी के पास है. आईआरसीटीसी यात्रियों को विश्व स्तरीय सेवाएं और अन्य अद्भुत सुविधाएं मुहैया कराएगी. ये ऐसी सेवाएं होती हैं जो आम तौर पर पैसेंजर, एक्सप्रेस से लेकर राजधानी और शताब्दी जैसे ट्रेनों में सफर कर रहे यात्रियों को भी नहीं मिलतीं है.
वहीं, रेलवे द्वारा चलाई जा रही ट्रेनों को जिन नियमों का पालन करना पड़ रहा है. उनका पालन इन प्राइवेट ट्रेनों को चलाने वालों को नहीं करना पड़ेगा. जैसे प्राइवेट ट्रेनों में किसी को किसी तरह के छूट नहीं देंगे, यहां तक कि रेलवे कर्मचारियों को भी कोई छूट नहीं मिलेगी. रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘आईआरसीटीसी द्वारा ट्रेन के भीतर सेवाओं से लेकर इसके किराए को तय करने के मामले में रेलवे दखलंदाजी नहीं करेगा.’