scorecardresearch
Monday, 6 May, 2024
होमदेशकेंद्र ने तैयार किया 'Model Prisons Act, 2023', अंग्रेजों के समय के जेल एक्ट में किया संशोधन

केंद्र ने तैयार किया ‘Model Prisons Act, 2023’, अंग्रेजों के समय के जेल एक्ट में किया संशोधन

एमएचए ने एक बयान में कहा है कि, 'जेलों को आज दंडात्मक निवारक की जगह सुधारात्मक संस्था के तौर पर देखा जाता है, जहां कैदी में सुधार लाकर, कानून का पालन करने वाले नागरिक के तौर पर उसे वापस समाज में लाया जाता है.'

Text Size:

नई दिल्ली : औपनिवेशिक काल 130 साल पुराने जेल अधिनियम में संशोधन कर गृह मंत्रालय (एमएचए) ने व्यापक ‘मॉडल जेल अधिनियम 2023’ को अंतिम रूप दे दिया है, जो राज्यों के लिए और उनके न्यायिक अधिकार क्षेत्र को लेकर एक मार्गदर्शक दस्तावेज के तौर पर काम कर सकता है.

यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में लिया गया है, मौजूदा ‘जेल अधिनियम, 1894’ जो कि स्वतंत्रता से पहले का है, जो मुख्य तौर से अपराधियों को हिरासत में रखने और जेलों में अनुशासन व व्यवस्था लागू करने पर केंद्रित है, और इसमें कैदियों के सुधार और पुनर्वास के लिए कोई प्रावधान नहीं है.

इस बात की ओर इशारा करते हुए कि पिछले कुछ दशकों में विश्व स्तर पर जेलों और कैदियों को लेकर एक बिल्कुल नया नजरिया विकसित हुआ है, एमएचए ने अपने एक बयान में कहा, ‘जेलों को आज दंडात्मक निवारक की जगह के तौर पर नहीं देखा जाता है, बल्कि सुधारात्मक संस्था के तौर पर देखा जाता है और जहां कैदियों में सुधार लाकर, कानून का पालन करने वाले नागरिक के तौर पर उन्हें वापस समाज में लाया जाता है.’

मंत्रालय ने अपनी विज्ञप्ति में कहा है, ‘भारतीय संविधान में दिए प्रावधानों के मुताबिक, जेल’/’उनमें बंद शख्स’ ‘राज्य’ का विषय है. जेल प्रबंधन और कैदियों के प्रशासन की जिम्मेदारी पूरी तरह से राज्य सरकारों के पास है, जो अकेले इस संबंध में उपयुक्त विधायी प्रावधान बनाने के लिए सक्षम हैं. हालांकि, आपराधिक न्याय प्रणाली में कुशल जेल प्रबंधन की अहमियत को देखते हुए भारत सरकार इस संबंध में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सपोर्ट करने को काफी ज्यादा अहमियत देती है.’

पिछले कुछ सालों में, एमएचए ने पाया है कि मौजूदा जेल एक्ट में कई खामियां हैं, जो सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जेल प्रशासन को नियंत्रित करता है, अपवाद स्वरूप कुछ राज्यों ने नया कारागार अधिनियम बनाया है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

मौजूदा अधिनियम में सुधारात्मक फोकस की स्पष्ट कमी को ध्यान में रखते हुए, आधुनिक समय की जरूरतों और जेल प्रबंधन की जरूरत को ध्यान में रखते हुए एक्ट में संशोधन और इसे अपग्रेड करने की जरूरत महसूस की गई है.

बयान में जिक्र किया गया है कि गृह मंत्रालय ने पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो को समकालीन आधुनिक समय की जरूरतों और सुधारवादी विचारधारा के अनुरूप जेल अधिनियम, 1894 में संशोधन का कार्य सौंपा है.

बयान के मुताबिक, ‘ब्यूरो ने राज्य कारागार अधिकारियों, सुधारक विशेषज्ञों आदि के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद एक मसौदा तैयार किया है.’

‘कमियों को दूर करने के मकसद से मौजूदा कारागार अधिनियम में पूरी तरह से मार्गदर्शन देने, जेल प्रबंधन में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल समेत, पैरोल, फरलो देने का प्रावधान करने, अच्छे आचरण को प्रोत्साहित करने के लिए कैदियों को छूट देने, महिला/ट्रांसजेंडर कैदियों के लिए विशेष प्रावधान, कैदियों की शारीरिक और मानसिक फायदे के लिए और उनके सुधार और पुनर्वास आदि पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है. गृहमंत्री अमित शाह के अहम मार्गदर्शन में गृह मंत्रालय ने एक व्यापक ‘मॉडल कारागार अधिनियम, 2023′ को अंतिम रूप दिया है, जो राज्यों को और उनके न्यायिक अधिकार क्षेत्र को लेकर एक मार्गदर्शक दस्तावेज के तौर पर काम कर सकता है.’

गृह मंत्रालय ने ‘1894 के कारागार अधिनियम’, ‘1900 के कैदी अधिनियम’ और ‘1950 के कैदियों के स्थानांतरण अधिनियम’ की भी समीक्षा की और इन अधिनियमों के प्रासंगिक प्रावधानों को ‘मॉडल कारगार एक्ट 2023′ में शामिल किया है.’

राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन मॉडल कारागार अधिनियम, 2023 को अपने अधिकार क्षेत्र मे, ऐसे संशोधनों के साथ जिन्हें वे आवश्यक समझें, अपनाकर फायदा उठा सकते हैं और अपने अधिकार क्षेत्र में मौजूदा तीन अधिनियमों को निरस्त कर सकते हैं.


यह भी पढ़ें : शिंदे सरकार ने रिटायर IPS अधिकारी परम बीर सिंह के खिलाफ सभी आरोप वापस ले लिए, MVA-era का निलंबन रद्द


 

share & View comments