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गुरूवार, 29 मई, 2025
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केंद्र ने चुनिंदा देशों में मंजूरी प्राप्त दवाओं को भारत में नैदानिक परीक्षण से छूट दी

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नयी दिल्ली, आठ अगस्त (भाषा) केंद्र सरकार ने भारत में चुनिंदा श्रेणी की उन दवाओं के लिए जरूरी नैदानिक परीक्षण (क्लिनिकल ट्रायल) से छूट प्रदान कर दी है जिन्हें अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और यूरोपीय संघ में मंजूरी प्राप्त हो चुकी है।

इस छूट के तहत केवल पांच श्रेणियां आती हैं – दुर्लभ बीमारियों से जुड़ी ‘ऑर्फन’ दवाएं, जीन और सेलुलर थेरेपी उत्पाद, महामारी स्थितियों में उपयोग की जाने वाली नयी दवाएं, विशेष रक्षा उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाने वाली नयी दवाएं और वर्तमान मानक देखभाल पर महत्वपूर्ण चिकित्सीय प्रगति वाली नई दवाएं।

यह छूट भारत में कैंसर, स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) और डचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (डीएमए) जैसी दुर्लभ बीमारियों और ‘ऑटोइम्यून’ स्थितियों के इलाज के लिए नवीनतम दवाओं की शीघ्र उपलब्धता सुनिश्चित करेगी।

भारत के औषधि महानियंत्रक (डीजीसीआई) ने सात अगस्त को जारी एक आदेश में कहा, ‘‘नयी दवाएं एवं नैदानिक ​​​​परीक्षण नियम-2019 के नियम 101 के अनुसार, केंद्रीय लाइसेंसिंग प्राधिकरण केंद्र सरकार की मंजूरी के साथ, अध्याय 10 के तहत स्थानीय नैदानिक ​​परीक्षण छूट पर विचार करने के लिए समय-समय पर एक आदेश द्वारा देशों के नाम निर्दिष्ट कर सकता है और उक्त नियमों के अध्याय पांच के तहत नैदानिक ​​परीक्षण करने की अनुमति दे सकता है।’’

इसमें कहा गया कि केंद्र सरकार की मंजूरी के साथ उक्त नियमों के नियम 101 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और यूरोपीय संघ जैसे देशों को नयी दवाओं की कुछ श्रेणियों के लिए निर्दिष्ट किया गया है।

वर्तमान में अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ में अन्य नियामक प्राधिकरणों द्वारा पहले से ही अनुमोदित कई दवाएं औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम और इसके तहत बनाए गए नियमों के तहत कुछ नियामक आवश्यकताओं के कारण भारतीय मरीजों के लिए तुरंत उपलब्ध नहीं हैं।

इस संबंध में एक अधिकारी ने बताया कि इन नियमों के कारण भारत में बाजार में उतारने की अनुमति हासिल करने से पहले किसी दवा का स्थानीय नैदानिक ​​​​परीक्षण करने तथा सुरक्षा और प्रभावकारिता का डेटा तैयार करने की आवश्यकता होती है।

नयी दवाएं एवं नैदानिक ​​​​परीक्षण-2019 का नियम 101, डीसीजीआई को नयी दवाओं मंजूरी देने के लिए स्थानीय नैदानिक ​​​​परीक्षणों की छूट पर विचार करने के लिए कुछ देशों को निर्दिष्ट करने की अनुमति देता है।

इस नियम को लागू करने का लाभ यह है कि कैंसर, एसएमए और डीएमए जैसी दुर्लभ बीमारियों और ‘ऑटोइम्यून’ बीमारी के इलाज के लिए नवीनतम दवाएं भारत में तेजी से उपलब्ध हो सकेंगी।

अधिकारी ने कहा कि वर्तमान में पश्चिमी बाजारों की तुलना में भारत में एक नयी दवा बाजार में उतारने में 5-20 साल के बीच की देरी होती है। उन्होंने कहा कि नियम 101 की छूट के साथ, पश्चिम के साथ-साथ भारत में भी दवाओं को समानांतर रूप से बाजार में उतारने का रास्ता खुलेगा। इसके अलावा विभिन्न उन्नत दवाओं की लागत में भी काफी कमी आएगी।

भाषा संतोष नेत्रपाल

नेत्रपाल

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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