नयी दिल्ली: केंद्र सरकार ने जीएसटी क्षतिपूर्ति के तहत राज्यों को सोमवार को 35,298 करोड़ रुपये जारी किये. यह राशि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन के कारण राज्यों को राजस्व के नुकसान की भरपाई के लिये दी गयी है. केंद्र को जीएसटी क्षतिपूर्ति के भुगतान में देरी को लेकर राज्यों की आलोचनाएं झेलनी पड़ रही थी.
जीएसटी एक जुलाई 2017 से लागू हुआ. कानून के तहत राज्यों को राजस्व के नुकसान के एवज में क्षतिपूर्ति का वादा किया गया. जीएसटी लागू होने से वैट जैसे कर इसमें समाहित हो गये.
जीएसटी के तहत राज्यों को नयी कर प्रणाली में 2016-17 के राजस्व के आधार पर राजस्व में सालाना 14 प्रतिशत वृद्धि से कम की वसूली होने पर केंद्र से राजस्व क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकार है. यह व्यवस्था पांच साल के लिए की गयी है. क्षतिपूर्ति की राशि जुटाने के लिए तंबाकू उत्पादों, सिगरेट, शीतल पेय एवं विलासिता के सामान , वाहन तथा कोयला जैसे उत्पादों पर जीएसटी के ऊपर विशेष उपकर लगाया गया है.
क्षतिपूर्ति राशि हर दो महीने के बाद जारी की जाती है. लेकिन यह अगस्त से लंबित थी. इसको लेकर विभिन्न राज्यों खासकर गैर-भाजपा शासित राज्यों ने विरोध जताया.
अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने ट्विटर पर लिखा है,‘केंद्र सरकार ने राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के लिये सोमवार को 35,298 करोड़ रुपये जारी किये.’
यह राशि जीएसटी परिषद की 38वीं बैठक से ठीक दो दिन पहले जारी की गयी है. परिषद की बैठक 18 दिसंबर को होगी. बैठक में गैर-भाजपा शासित राज्यों ने विलम्ब से भुगतान का मुद्दा उठाने की योजना बनायी थी. परिषद नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था के लिये निर्णय लेने वाला शीर्ष निकाय है.
पंजाब, पश्चिम बंगाल और केरल जैसे गैर-भाजपा शासित राज्य पिछले महीने से जीएसटी क्षतिपूर्ति राशि तत्काल जारी करने पर जोर दे रहे थे. उनके वित्त मंत्रियों ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की थी और संसद के शीतकालीन सत्र में भी यह मुद्दा उठा था.
सीतारमण ने संवाददाता सममेलन और उद्योग के कार्यक्रमों में बकाये की बात स्वीकार की थी. हालांकि उन्होंने भुगतान की समयसीमा का जिक्र नहीं किया था.
वित्त मंत्री ने सोमवार को राज्यों को भरोसा दिलाया कि केंद्र सरकार उन्हें जीएसटी के तहत राजस्व क्षतिपूर्ति का भुगतान करने के अपने वादे से पीछे नहीं हटेगी. हालांकि उन्होंने मुआवजे के भुगतान में विलंब की बात मानी लेकिन कहा कि ऐसा कर संग्रह में कमी की वजह से हुआ है.