scorecardresearch
Saturday, 21 December, 2024
होमदेशकिसानों की मांगों पर गौर करने के लिये केंद्र सरकार ने समिति गठित करने की पेशकश की

किसानों की मांगों पर गौर करने के लिये केंद्र सरकार ने समिति गठित करने की पेशकश की

तीन केन्द्रीय मंत्रियों और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच मंगलवार को हुई बैठक में केन्द्र की ओर से यह प्रस्ताव रखा गया.

Text Size:
नयी दिल्ली : सरकार ने मंगलवार को नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों की मांगों पर गौर करने के लिए एक समिति गठित करने की पेशकश की. सरकार के इस प्रस्ताव पर आंदोलनरत 35 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की ओर से ठंडी प्रतिक्रिया मिली. किसान संगठन तीनों नये कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं.

 

तीन केन्द्रीय मंत्रियों और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच मंगलवार को हुई बैठक में केन्द्र की ओर से यह प्रस्ताव रखा गया.

सूत्रों ने कहा कि किसान प्रतिनिधियों के साथ दो घंटे चली बैठक में किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की एक राय थी कि तीनों नये कृषि कानूनों को निरस्त किया जाना चाहिये. किसानों के प्रतिनिधियों ने इन कानूनों को कृषक समुदाय के हित के खिलाफ करार दिया.

प्रदर्शनकारी किसानों ने आशंका व्यक्त की है कि केन्द्र सरकार के कृषि संबंधी कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था ध्वस्त हो जायेगी और किसानों को बड़े औद्योगिक घरानों की दया पर छोड़ दिया जायेगा.

सरकार निरंतर यह कह रही है कि नए कानून किसानों को बेहतर अवसर प्रदान करेंगे और इनसे कृषि में नई तकनीकों की शुरूआत होगी.

किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ यहां विज्ञान भवन में बैठक के लिए, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ रेलवे और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश (जो पंजाब के एक सांसद भी हैं) उपस्थित थे.

बैठक में भाग लेने के लिए पहुंचने पर तोमर ने संवाददाताओं से कहा, ‘हम उनके मुद्दों को हल करने के लिए चर्चा के लिए तैयार हैं। देखते हैं क्या निकलता है.’ उन्होंने आगे कहा कि किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की बात सुनने के बाद सरकार उनके समस्याओं का समाधान निकालेगी.

भारत किसान यूनियन (एकता उग्राहन) के सदस्य रूपसिंह सनहा ने बताया, ‘किसान संगठनों ने नए कृषि कानूनों से संबंधित मुद्दों पर विचार करने के लिए पांच सदस्यीय समिति बनाने के सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया.’ सनहा ने कहा कि उन्हें फोन पर किसान यूनियन के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उग्राहन ने, बैठक में किसान प्रतिनिधियों द्वारा अपनाये गये रुख के बारे में सूचित किया. आंदोलन कर रहे किसानों के सबसे बड़े हिस्सों में से किसान यूनियन भी है.

हालांकि, सरकार का पक्ष का ठोस रुख यह है कि किसानों के मुद्दों पर गौर करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनायी जानी चाहिये और उनकी किसान संगठनों से अपेक्षा है कि वे इस प्रस्ताव पर विचार करें.

सभा स्थल के आसपास भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी.

बैठक से कुछ घंटे पहले, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अमित शाह, तोमर और गोयल, भाजपा प्रमुख जे पी नड्डा के साथ, केंद्र के नए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन पर विस्तारपूर्वक विचार विमर्श हुआ.

पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा दिल्ली की सिंघू और टिकरी सीमाओं पर शांतिपूर्ण धरना जारी रहा। सोमवार को उत्तर प्रदेश से लगती गाजीपुर सीमा पर भी प्रदर्शनकारी किसान जुटे.

स्थिति को भांपते हुये विपक्षी दलों ने भी सरकार पर अपना दबाव बढ़ा दिया और केंद्र सरकार से किसानों की ‘लोकतांत्रिक लड़ाई का सम्मान’ करते हुये नये कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की है.’ इससे पूर्व 13 नवंबर को हुई एक बैठक गतिरोध तोड़ने में विफल रही थी और अगली बैठक मूल रूप से तीन दिसंबर के लिए निर्धारित की गई, लेकिन दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के बढ़ते विरोध प्रदर्शन के चलते यह बैठक तय समय से पहले ही करनी पड़ी.

share & View comments