नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने सोमवार को देश की जनसंख्या और जनसांख्यिकीय विवरणों का अनुमान लगाने के लिए 2027 में जनगणना कराने की अधिसूचना जारी की. यह जनगणना, जो पहले 2021 में होनी थी, अब जनसंख्या की जातीय पहचान से जुड़ा डेटा भी शामिल करेगी.
यह अधिसूचना उस दिन आई जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जनगणना की तैयारियों की समीक्षा के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की.
यह जनगणना दो हिस्सों में होगी और हर हिस्से के लिए अलग-अलग तारीख तय की जाएगी. यह भारत की 16वीं जनगणना होगी और आज़ादी के बाद आठवीं बार जनगणना की जाएगी.
पहले चरण में हाउसलिस्टिंग ऑपरेशन (HLO) किया जाएगा, जिसमें गणनाकर्ता किसी क्षेत्र में सभी इमारतों, घरों और परिवारों को दर्ज करेंगे और साथ ही आवास से जुड़ी विशेषताएं, सुविधाएं और संपत्तियों का डेटा भी इकट्ठा करेंगे.
दूसरे चरण में जनसंख्या गणना (PE) की जाएगी, जिसके तहत सरकार देशभर के हर व्यक्ति से जुड़े जनसांख्यिकीय, सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक और अन्य विवरणों का डेटा इकट्ठा करेगी.
गृह मंत्रालय ने रविवार को कहा, “आगामी जनगणना डिजिटल तरीके से मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग करके कराई जाएगी. लोगों को स्वयं गणना की सुविधा भी दी जाएगी.”
सरकार ने बताया कि इस प्रक्रिया के लिए लगभग 34 लाख गणनाकर्ता और पर्यवेक्षक और लगभग 1.3 लाख जनगणना अधिकारी तैनात किए जाएंगे. यह प्रक्रिया 140 करोड़ से अधिक लोगों को शामिल करेगी.
भारत के रजिस्ट्रार जनरल ने सोमवार को एक राजपत्र अधिसूचना में कहा, “जनगणना अधिनियम, 1948 (1948 का 37) की धारा 3 के तहत प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए और गृह मंत्रालय (भारत के रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय) की अधिसूचना संख्या S.O. 1455(E), दिनांक 26 मार्च, 2019, को भारत के राजपत्र, असाधारण, भाग II, खंड 3, उपखंड (ii) में 28 मार्च, 2019 को प्रकाशित, को निरस्त करते हुए (इस निरस्तीकरण से पहले किए गए या छोड़ दिए गए कार्यों को छोड़कर), केंद्र सरकार यह घोषित करती है कि भारत की जनसंख्या की जनगणना वर्ष 2027 के दौरान कराई जाएगी.”
अधिसूचना में आगे कहा गया, “इस जनगणना के लिए संदर्भ तिथि 1 मार्च, 2027 की मध्यरात्रि (00:00 घंटे) होगी, सिवाय लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश और जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश तथा हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों के हिमाच्छादित, असमय क्षेत्रों के लिए.”
अधिसूचना के अंत में कहा गया, “लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश और जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश तथा हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों के हिमाच्छादित, असमय क्षेत्रों के लिए संदर्भ तिथि 1 अक्टूबर, 2026 की मध्यरात्रि (00:00 घंटे) होगी.”
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