नयी दिल्ली, 27 जनवरी (भाषा) भारत और पांच मध्य एशियाई देशों ने बृहस्पतिवार को महामारी सहित वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों के लिए एक पारदर्शी, प्रभावी और गैर-भेदभावपूर्ण अंतरराष्ट्रीय पहल का आह्वान किया। साथ ही, इस पर सहमति व्यक्त की कि कोविड-19 टीकाकरण प्रमाणपत्रों की पारस्परिक मान्यता उनके देशों के नागरिकों को आसान यात्रा की सुविधा प्रदान करेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल माध्यम से पहले भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन की मेजबानी की। इसमें कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कासिम जुमरात तोकायेव, उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शौकत मिर्जियोयेव, ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमामअली रहमान, तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति गुरबांगुली बर्दीमुहम्मदेवो और किर्गिस्तान के राष्ट्रपति सद्र जापारोप ने भाग लिया।
शिखर सम्मेलन के बाद जारी दिल्ली घोषणापत्र में कहा गया है कि नेताओं ने परस्पर जुड़ाव वाली दुनिया में देशों की एक दूसरे पर बढ़ती निर्भरता पर ध्यान दिया। उन्होंने दवाओं और स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़ी महत्वपूर्ण आपूर्ति के लिए एक समान और किफायती पहुंच सुनिश्चित करने की दिशा में महामारी सहित वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों के लिए समय पर, पारदर्शी, प्रभावी और गैर-भेदभावपूर्ण अंतरराष्ट्रीय पहल का आह्वान किया।
घोषणा में कहा गया है कि नेताओं ने महामारी के दौरान समय पर सहायता के लिए एक-दूसरे का आभार व्यक्त किया और सहमति व्यक्त की कि कोविड-19 टीकाकरण प्रमाणपत्रों की जल्द से जल्द मान्यता से उनके देशों के नागरिकों की यात्रा आसान हो जाएगी। उन्होंने उन लोगों के साथ भी एकजुटता व्यक्त की जो कोविड-19 महामारी से काफी प्रभावित हुए हैं और महामारी से निपटने में सामूहिक प्रयास करने का आह्वान किया।
घोषणा के अनुसार, ‘‘उन्होंने व्यापक टीकाकरण, टीके की आपूर्ति, प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण, स्थानीय उत्पादन क्षमताओं के विकास, चिकित्सा उत्पादों के लिए आपूर्ति श्रृंखला को बढ़ावा देने और मूल्य पारदर्शिता सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर दिया।’’
प्रधानमंत्री मोदी के ‘‘वन अर्थ वन हेल्थ’’ दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि महामारी के बाद की दुनिया को विविध वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं की आवश्यकता है जो विश्वास, लचीलापन और विश्वसनीयता पर आधारित हों।
भाषा आशीष माधव
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