हैदराबाद, 11 अप्रैल (भाषा) तेलंगाना में विपक्षी दल भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने हैदराबाद विश्वविद्यालय से सटी 400 एकड़ जमीन एक निजी बैंक को कथित तौर पर गिरवी रखने में हुईं ‘अनियमितताओं’ की सीबीआई या गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) जैसी केंद्रीय एजेंसियों से जांच कराने की मांग की।
बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के टी रामाराव ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसी का नाम लिए बिना आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक सांसद भी गिरवी रखने के मामले में शामिल हैं और वह मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी सरकार की ‘परस्पर’ तरीके से मदद कर रहे हैं।
उन्होंने इसे बड़ी वित्तीय धोखाधड़ी करार दिया।
रामाराव ने कहा, “हम मांग करते हैं कि केंद्र इस मामले की आरबीआई, सीबीआई, एसएफआईओ या सीवीओ से जांच कराए। अगर वह (केंद्र सरकार) हमारी मांग पर जवाब नहीं देती, तो यह माना जा सकता है कि कांग्रेस सरकार और केंद्र सरकार इस पूरे मामले में मिली हुई हैं।”
रामाराव ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री से भी मुलाकात कर उन्हें इस मामले से अवगत कराएगी।
केटीआर के आरोपों का खंडन करते हुए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष महेश कुमार गौड़ ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बीआरएस नेता अधूरी जानकारी के साथ बात कर रहे हैं और राजनीतिक लाभ हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं।
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि बीआरएस और भाजपा मिलीभगत करके हैदराबाद विश्वविद्यालय भूमि मुद्दे को विवादास्पद बना रहे हैं।
उन्होंने कहा, “मैं केटीआर से पूछता हूं। बीआरएस के कार्यकाल में हैदराबाद और उसके आसपास कितनी हज़ार एकड़ जमीन बेची गई। आपके समर्थकों को कितनी एकड़ जमीन दी गई। कितने एकड़ जंगल काटे गए। लोग उन दिनों को नहीं भूले हैं।”
इससे पहले बीआरएस नेता ने आरोप लगाया कि टीजीआईआईसी (तेलंगाना औद्योगिक बुनियादी ढांचा निगम) ने जो 400 एकड़ जमीन निजी बैंक के पास गिरवी रखी है, वह वास्तव में उसकी नहीं है क्योंकि राज्य सरकार ने टीजीआईआईसी को भूखंड नहीं दिया था।
केटीआर ने आरोप लगाया कि निजी बैंक भी धोखाधड़ी में शामिल है।
उन्होंने कहा कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को भी इस मामले की जांच करनी चाहिए, क्योंकि लेनदेन सलाहकारों में से एक कंपनी सूचीबद्ध है। रामाराव ने कहा कि वह इस मामले की जांच के लिए आरबीआई, सीबीआई, सीवीओ और एसएफआईओ को पत्र लिखेंगे।
कांचा गाचीबोवली में 400 एकड़ भूमि को आईटी अवसंरचना के निर्माण के लिए विकसित करने की तेलंगाना सरकार की योजना का हैदराबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ ने विरोध किया है।
बीआरएस और भाजपा ने भी सरकार के इस फैसले का विरोध किया है।
इस मामले की तेलंगाना उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में सुनवाई हो रही है। उच्च न्यायालय में याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि सरकार के इस फैसले से क्षेत्र की वनस्पतियों और जीवों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
उच्चतम न्यायालय ने एक केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति को संबंधित स्थान का दौरा करने और 16 अप्रैल से पहले रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। सोलह अप्रैल को ही इस मामले पर सुनवाई होनी है।
आंदोलनकारी छात्रों का दावा है कि 400 एकड़ जमीन विश्वविद्यालय की है, जबकि राज्य सरकार का कहना है कि यह जमीन उसकी है।
भाषा जोहेब अविनाश
अविनाश
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