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Thursday, 4 July, 2024
होमदेश‘केंद्र के विश्वस्त’ डीएस मिश्रा को चौथे सेवा विस्तार से इनकार, योगी के करीबी हुए मुख्य सचिव नियुक्त

‘केंद्र के विश्वस्त’ डीएस मिश्रा को चौथे सेवा विस्तार से इनकार, योगी के करीबी हुए मुख्य सचिव नियुक्त

1984 बैच के आईएएस दुर्गा शंकर मिश्रा ने मुख्य सचिव के पद पर 2.5 साल के सेवा विस्तार के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया और 1988 बैच के आईएएस मनोज कुमार सिंह ने शीर्ष पद का कार्यभार संभाला.

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लखनऊ: केंद्र द्वारा अपने पहले सेवा विस्तार और अपने गृह राज्य उत्तर प्रदेश में प्रत्यावर्तन के ढाई साल बाद, 1984 बैच के अखिल भारतीय सेवा (आईएएस) के अधिकारी दुर्गा शंकर मिश्रा (62) रविवार को चौथे सेवा विस्तार से इनकार किए जाने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत्त हो गए.

यूपी सरकार ने 1988 बैच के आईएएस अधिकारी मनोज कुमार सिंह को नया मुख्य सचिव नियुक्त किया, जिन्हें यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का विश्वनीय माना जाता है. ‘टीम योगी’ का हिस्सा, सिंह यूपी सरकार में कई प्रमुख पदों पर हैं.

ढाई साल की सेवा में डी.एस. मिश्रा को मिले तीन सेवा विस्तार, जिसे राज्य और केंद्र सरकार के नौकरशाहों द्वारा असामान्य रूप से लंबा माना जाता है, ने 1985, 1986 और 1987 बैच के दर्जनों आईएएस अधिकारियों की उम्मीदों को तोड़ दिया था, क्योंकि वे मुख्य सचिव के प्रतिष्ठित पद पर पहुंचने का मौका पाए बिना ही सेवानिवृत्त हो गए थे. एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि मिश्रा को चौथा विस्तार न दिया जाना यूपी की नौकरशाही के लिए “अंधेरे के बीच आशा की किरण” की तरह आया है.

यूपी में “केंद्र के विश्वस्त” की तरह प्रसिद्ध मिश्रा को पहली बार केंद्र द्वारा 29 दिसंबर 2021 को उनकी सेवा से सेवानिवृत्त होने से ठीक दो दिन पहले एक साल का सेवा विस्तार दिया गया था. उन्हें दूसरा, साल भर का सेवा विस्तार सेवानिवृत्ति से एक दिन पहले 30 दिसंबर 2022 को मिला और तीसरा सेवा विस्तार उनके दूसरे विस्तार के समाप्त होने से एक दिन पहले 30 दिसंबर 2023 को आया. पूर्व आईएएस अधिकारियों और विशेषज्ञों ने इसे “प्राकृतिक न्याय का उपहास” करार दिया, क्योंकि यह विस्तार आम चुनाव से कुछ दिन पहले हुआ था.

उस समय भारत सरकार के पूर्व सचिव ई.ए.एस. सरमा ने दिप्रिंट से कहा था कि इस तरह के अनुचित विस्तारों की श्रृंखला शायद अभूतपूर्व है और इसने सक्षम कनिष्ठ अधिकारियों के लिए पदोन्नति के अवसरों को अवरुद्ध कर दिया और सिविल सेवकों की राजनीतिक तटस्थता से समझौता किया.

मिश्रा ने रविवार को एक्स पर अपनी सेवानिवृत्ति की सूचना दी और मनोज कुमार सिंह को कार्यभार सौंपते हुए अपनी एक तस्वीर पोस्ट की. उन्होंने लिखा, “मैंने ढाई साल की लंबी, निरंतर सेवा के बाद मनोज कुमार सिंह को मुख्य सचिव का कार्यभार सौंप दिया है. मनोज जी को नई जिम्मेदारी के लिए हार्दिक शुभकामनाएं.”

मिश्रा ने बाद में यूपी के सीएम से भी मुलाकात की और उन्हें एक गुलदस्ता दिया. उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, “आज, मैंने सीएम से मुलाकात की और पिछले ढाई साल में मुख्य सचिव के रूप में मुझे मिले स्नेह और मार्गदर्शन के लिए उनका धन्यवाद किया. राज्य के सर्वांगीण विकास के लिए मुझे उनका आशीर्वाद लगातार मिल रहा है.”


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‘टीम योगी’ के लिए अहम, ‘परफॉर्मर’ — कौन हैं मनोज कुमार सिंह

सिंह ने शाम करीब 4 बजे नए मुख्य सचिव के तौर पर कार्यभार संभाला. हालांकि, सरकार ने उनकी नियुक्ति का आधिकारिक आदेश जारी नहीं किया, लेकिन सीएमओ के आधिकारिक सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि उनकी नियुक्ति पूर्णकालिक है.

सिंह ने 2019 कुंभ मेले के लिए नोडल अधिकारी के तौर पर काम किया, जिसकी सफलता को यूपी सरकार ने कई बार उजागर किया है.

रविवार को यूपी सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, “जब योगी आदित्यनाथ 2017 में मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने नौकरशाहों के एक ऐसे समूह की पहचान की, जिनके पास न केवल अनुभव और दक्षता थी, बल्कि उन्होंने ईमानदारी, दृढ़ता और मजबूत कार्य नैतिकता का भी प्रदर्शन किया. आईएएस मनोज कुमार सिंह ‘टीम योगी’ के इन महत्वपूर्ण सदस्यों में से एक हैं, जिन्होंने कठोर चयन प्रक्रिया के बाद अब उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव की भूमिका संभाली है.”

कोविड-19 महामारी के दौरान, सिंह शुरू में टीम 11 और बाद में टीम 9 का हिस्सा थे, जिसमें यूपी के सबसे प्रभावशाली नौकरशाह शामिल थे.

‘परफॉर्मर’ के नाम से प्रसिद्ध सिंह कृषि उत्पादन आयुक्त (APC), बुनियादी ढांचा और औद्योगिक विकास आयुक्त (IIDC), अतिरिक्त मुख्य सचिव (पंचायती राज, बागवानी और खाद्य प्रसंस्करण), उत्तर प्रदेश के प्रादेशिक औद्योगिक और निवेश निगम (PICUP) के अध्यक्ष और यूपी एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA) और राज्य राजमार्ग प्राधिकरण (UPSHA) के सीईओ रहे.

महिलाओं की आत्मनिर्भरता और वित्तीय समावेशन के उद्देश्य से BC सखी योजना की प्लानिंग बनाने और उसे लागू करने में उनके योगदान को व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है. उन्हें ‘टेक होम राशन’ जैसी बाल विकास योजनाओं को लागू करने का श्रेय भी जाता है. वे ‘टीम यूपी’ के एक प्रमुख सदस्य थे, जिसने ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (GIS) से पहले सीएम के संदेश को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न देशों की यात्रा की.

यूपी के नौकरशाहों के लिए इस पद पर बदलाव का क्या मतलब है?

दिप्रिंट से बात करते हुए सीएम योगी के विश्वसनीयों ने कहा कि मिश्रा को सेवा विस्तार न दिए जाने से यूपी में केंद्र की भागीदारी कमज़ोर होने का संकेत मिलता है.

यूपी सीएम के साथ मिलकर काम करने वाले एक अधिकारी ने कहा, ‘‘यह नियुक्ति दर्शाती है कि सीएम आखिरकार अपने आदमी को मुख्य सचिव नियुक्त कर सकते हैं और लोकसभा चुनाव में हार के बाद केंद्र कमज़ोर हो गया है.’’

हालांकि, इस साल की शुरुआत में 17 जून को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मिश्रा के बीच हुई एक बैठक ने मिश्रा की ‘‘भविष्य की भूमिका’’ के बारे में अफवाहों को हवा दी, क्योंकि इस बैठक के बारे में यूपी के नौकरशाही के गलियारों में कानाफूसी फैल गई.

हालांकि, मिश्रा की सेवानिवृत्ति ने यूपी की नौकरशाही को राहत दी है.

यूपी सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह असामान्य रूप से लंबी विस्तार अवधि थी और इसके कारण दर्जनों वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और 1986-1987 के पूरे बैच के अधिकारी बिना किसी को मुख्य सचिव बनने का मौका दिए सेवानिवृत्त हो गए. मनोज कुमार सिंह 1988 बैच के अंतिम अधिकारी हैं. यह सम्मानित और वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के साथ बेहद अन्याय है, जो शीर्ष पद के लिए पूरी तरह से योग्य दावेदार थे.”

यूपी सरकार के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार अपनी पसंद के मुख्य सचिव को नियुक्त करने में सक्षम है, यह संकेत देता है कि यूपी आखिरकार राज्य में फैसले लेने में सक्षम होगा क्योंकि दिल्ली पीछे हट रही है और अमित शाह और योगी आदित्यनाथ उत्तराधिकार की लड़ाई में उलझे हुए हैं.

मिश्रा पीएमओ से तब से जुड़े हुए थे जब उन्होंने केंद्र में अपने कार्यकाल के दौरान नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी और विवादास्पद सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास जैसी परियोजनाओं की देखरेख की थी. स्वच्छ भारत और स्मार्ट सिटी मिशन केंद्र में उनके कार्यकाल के दौरान लागू की गई कई प्रमुख परियोजनाओं में से एक थे. लखनऊ, अहमदाबाद, नागपुर और कानपुर जैसे शहरों में मेट्रो रेल प्रणाली का शुभारंभ भी उसी दौरान हुआ. साथ ही, योगी आदित्यनाथ के साथ उनके समीकरण में बेचैनी, खासकर यूपी में उनकी पोस्टिंग के शुरुआती दिनों में, कोई रहस्य नहीं था.

हालांकि, मिश्रा को बार-बार सेवा विस्तार मिलने के बाद, माना जा रहा है कि आदित्यनाथ ने उनकी उपस्थिति को स्वीकार कर लिया है — एक संकेत जिसे राजनीतिक विशेषज्ञों ने सीएम की राजनीतिक परिपक्वता का श्रेय दिया, यह देखते हुए कि मिश्रा ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 के दौरान मुख्य सचिव थे, जिसे सीएम महत्वपूर्ण मानते थे.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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