नयी दिल्ली, चार अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्र से कहा कि वह पंजाब में जमीन के उस हिस्से का सर्वेक्षण करे जो राज्य में सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर के हिस्से के निर्माण के लिए आवंटित किया गया था और वहां किए गए निर्माण की सीमा के बारे में आकलन करे।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार से नहर के निर्माण को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच बढ़ते विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थता प्रक्रिया को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाने को भी कहा।
एसवाईएल नहर की परिकल्पना रावी और ब्यास नदियों से पानी के प्रभावी आवंटन के लिए की गई थी। इस परियोजना में 214 किलोमीटर लंबी नहर की परिकल्पना की गई थी, जिसमें से 122 किलोमीटर पंजाब में और 92 किलोमीटर हरियाणा में बनाई जानी थी। हरियाणा ने अपने क्षेत्र में इस परियोजना को पूरा कर लिया है, लेकिन पंजाब, जिसने 1982 में निर्माण कार्य शुरू किया था, ने बाद में इसे रोक दिया।
पीठ ने कहा, “हम चाहेंगे कि भारत सरकार परियोजना के लिए आवंटित पंजाब की भूमि के हिस्से का सर्वेक्षण करे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भूमि सुरक्षित है…”। पीठ में न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार और न्यायमूर्ति सुधांशु धुलिया भी शामिल हैं।
उसने कहा, “इस बीच, केंद्र सरकार को मध्यस्थता प्रक्रिया सक्रिय रूप से आगे बढ़ानी चाहिए।”
पीठ ने कहा कि मामला निष्पादन चरण में है।
पीठ ने पंजाब का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील से कहा, “डिक्री (अदालती आदेश) कायम है। इसलिए, आपको कुछ कदम उठाने होंगे।”
दोनों राज्यों के बीच विवाद दशकों से चला आ रहा है। शीर्ष अदालत ने 1996 में दायर एक मुकदमे में 15 जनवरी, 2002 को हरियाणा के पक्ष में फैसला सुनाया था और पंजाब सरकार को एसवाईएल नहर के अपने हिस्से का निर्माण करने का निर्देश दिया था।
शीर्ष अदालत ने तब से इस मामले में कई आदेश पारित किए हैं, जिसमें पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ का फैसला भी शामिल है, जिसमें कहा गया है कि पंजाब को उसके पहले के फैसले का पालन करना होगा।
हरियाणा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने बुधवार को कहा कि मामला नहर के निर्माण से जुड़ा है और हरियाणा ने अपने हिस्से का काम पूरा कर लिया है।
पीठ ने कहा, “किसी न किसी रूप में, विभिन्न राज्यों में यह एक बारहमासी समस्या है। जहां भी कमी होगी, समस्या उत्पन्न होगी।”
पीठ ने पंजाब की ओर से पेश वकील से कहा कि समाधान निकालें अन्यथा शीर्ष अदालत को इस मामले में कुछ करना होगा।
उसने कहा, “हमें 20 साल तक लटके रहने वाला कोई समाधान मत दीजिए कि यह आएगा और वह आएगा। आपको आज ही समाधान ढूंढना होगा।”
पीठ ने कहा, “हम पंजाब के हिस्से में एसवाईएल नहर के निर्माण के आदेश के क्रियान्वयन को लेकर चिंतित हैं क्योंकि हरियाणा पहले ही नहर का निर्माण कर चुका है।” न्यायालय ने इसके साथ ही मामले में सुनवाई की अगली तारीख जनवरी 2024 के लिए निर्धारित की।
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प्रशांत वैभव
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