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Thursday, 19 December, 2024
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छत्तीसगढ़ के इकोसेंसिटिव ज़ोन में कमर्शियल माइनिंग से केंद्र सरकार ने हाथ पीछे खींचे

प्रह्लाद जोशी ने राज्य सरकार के विकल्पों का खुलासा नहीं किया लेकिन इस ओर इशारा जरूर किया कि इनको कमर्शियल सूची में शामिल किया जाएगा.

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रायपुर: केंद्र ने शुक्रवार को छत्तीसगढ़ सरकार के आग्रह पर कमर्शियल माइनिंग के लिए चिन्हित राज्य की 9 कोयला खदानों में से पांच को लिस्ट से हटा दिया. केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इसकी जानकारी राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ रायपुर में एक बैठक के बाद दी.

जिन कोयला खानों को लिस्ट से हटाया गया है उनमें मोरगा टू, मोरगा साउथ, मदनपुर नार्थ, सयांग और फतेहपुर ईस्ट शामिल हैं. ये सभी खानें राज्य में कोरबा जिले के हसदेव और मांड नदियों के कछार क्षेत्र में स्थित हैं.

केंद्रीय मंत्री के अनुसार इन खदानों की जगह राज्य सरकार ने तीन अन्य खानों को शामिल करने का सुझाव दिया है, जिनपर विचार किया जाएगा.

बता दें कि केंद्र सरकार ने 18 जून को देश भर में छत्तीसगढ़ सहित, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, मध्य प्रदेश और झारखंड के 41 कोयला खदानों में कमर्शियल माइनिंग की नीलामी प्रक्रिया के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था.

इस नोटिफिकेशन के बाद से ही छात्तीसगढ़ में स्थानीय ग्रामीणों, पर्यावरणविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा लगातार इसका विरोध किया जा रहा था. लेकिन अब इस फैसले का इनके द्वारा स्वागत किया जा रहा है.

राज्य सरकार ने 22 जून को एक पत्र लिखकर केंद्र से हसदेव क्षेत्र की पांच खदानों को कमर्शियल माइनिंग नीलामी प्रक्रिया से बाहर रखने का आग्रह किया था. वहीं झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार इस मामले में पहले ही सुप्रीम कोर्ट जा चुकी है.


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वैकल्पिक व्यवस्था की आवश्यकता नहीं: एक्टिविस्ट्स

पर्यावरणविदों ने केंद्र सरकार द्वारा राज्य के 5 इकोसेंसिटिव क्षेत्रों को खनन प्रक्रिया से बाहर करने के निर्णय का स्वागत किया है लेकिन उनका कहना है कि वैकल्पिक व्यवस्था की कोई आवश्यकता नहीं है.

हसदेव क्षेत्र में माइनिंग का विरोध कर रहे पर्यावरणविद और वन्यजीव एक्टिविस्ट आलोक शुक्ला ने दिप्रिंट को बताया कि केंद्र सरकार का यह निर्णय इस क्षेत्र के जंगल, वन्यजीव और वहां निवास कर रहे ग्रामीणों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है लेकिन यह काफी नहीं है.

शुक्ला ने दिप्रिंट से कहा, ‘छत्तीसगढ़ में कमर्शियल माइनिंग के लिए वैकल्पिक खदानों की आवश्यकता ही नहीं है. सरकार ने यदि 5 खदानों को खनन प्रक्रिया से बाहर कर दिया है तो फिर वैकल्पिक व्यवस्था की क्या जरूरत है.’

उन्होंने कहा, ‘सरकार क्या कोई टारगेट के साथ काम कर रही है. प्रदेश से कोयला उत्पादन पहले ही इतना हो रहा है कि यह आने वाले 30 सालों के लिए पर्याप्त है.’


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राज्य द्वारा सुझाए तीन विकल्पों पर विचार किया जाएगा

बैठक के बाद जोशी ने बताया कि राज्य के आग्रह पर केंद्र ने पांचों कोयला खानों को कमर्शियल माइनिंग की नीलामी सूची से हटाने का निर्णय लिया है. लेकिन राज्य सरकार द्वारा सुझाए गए तीन विकल्पों पर अभी अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है.

जोशी ने राज्य सरकार के विकल्पों का खुलासा नहीं किया लेकिन इस ओर इशारा जरूर किया कि इनको कमर्शियल सूची में शामिल किया जाएगा.

अब प्रदेश की 7 खदानें ही केंद्र द्वारा 18 जून को जारी की गई कमर्शियल माइनिंग की खदानों की सूची में शामिल होंगी.

केंद्रीय कोयला मंत्री ने कहा की कमर्शियल माइनिंग से राज्य की आर्थिक मजबूती के लिए एक नए युग की शुरुआत होगी. उनके अनुसार इससे राज्य को 4400 करोड़ रुपए की सालाना आय होगी और 60 हजार लोगों को रोजगार भी मिलेगा.

केंद्रीय कोयला मंत्री ने आगे बताया कि कोयला खनन से राज्य को पिछले 4 वर्षों में केंद्रीय उपक्रम साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) से करीब 13200 करोड़ रुपए का राजस्व मिला है.

जोशी के अनुसार कमर्शियल माइनिंग से कोयला उत्पादन में होने वाली वृद्धि से राज्य को आने वाले चार साल में 22,900 करोड़ रुपए का राजस्व मिलेगा. इसके अतिरिक्त एसईसीएल की होल्डिंग कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) भी अगले चार वर्षों में राज्य के विकास में 26,000 करोड़ रुपए का निवेश करेगी.


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