scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमदेशकेंद्र ने 'फर्जी' ओबीसी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने वाले केरल कैडर के आईएएस अधिकारी के खिलाफ तत्काल कार्रवाई को कहा

केंद्र ने ‘फर्जी’ ओबीसी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने वाले केरल कैडर के आईएएस अधिकारी के खिलाफ तत्काल कार्रवाई को कहा

केरल के मुख्य सचिव को लिखे पत्र में, डीओपीटी ने कहा है कि 2016 बैच के आईएएस अधिकारी का ओबीसी प्रमाणपत्र त्रुटिपूर्ण और गलत’ था.

Text Size:

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने केरल कैडर के एक 2016-बैच के आईएएस अधिकारी के खिलाफ कथित रूप से एक नकली अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने को लेकर कार्रवाई की सिफारिश की है जिससे उन्हें अपनी यूपीएससी रैंक में सुधारने की अनुमति मिली.

कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ने आईएएस अधिकारी आसिफ के. युसूफ के ओबीसी प्रमाण पत्र को रद्द कर दिया. केरल सरकार के सूत्रों ने दिप्रिंट को यह जानकारी दी है.

केरल के मुख्य सचिव को लिखे पत्र में, डीओपीटी ने कहा है कि ओबीसी प्रमाण पत्र और आय प्रमाण पत्र जो कि कन्नूर के तहसीलदार की ओर जारी किया है ‘त्रुटिपूर्ण और गलत’ है.

कन्नूर तालुक केरला के एर्नाकुलम जिले का हिस्सा है.

डीओपीटी ने यह भी कहा कि यूसुफ का एक आईएएस अधिकारी के रूप में स्टेटस की पुष्टि नहीं की गई थी क्योंकि वह सरकार द्वारा अनिवार्य सतर्कता क्लीयरेंस देने में विफल रहे थे. केंद्र ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (प्रोबेशन) नियमों और अखिल भारतीय सेवाओं (अनुशासन और अपील) नियमों की धाराओं के तहत अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है.

दिप्रिंट ने कॉल और टेक्स्ट संदेशों के माध्यम से यूसुफ से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन कोई जवाब नहीं आया. उनता जवाब आते ही यह रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.

अधिकारी के पास उच्च रैंक थी लेकिन ओबीसी प्रमाणपत्र ने इसे बेहतर किया.


यह भी पढ़ें: मुख्य सचिवों को चुनने की संदेहास्पद व्यवस्था- वरिष्ठों की अनदेखी कर पसंदीदा आईएएस अधिकारी चुने


अधिकारी की रैंक ऊंची थी पर ओबीसी सर्टिफिकेट ने और सुधारा

यूसुफ जबकि अपने मूल रैंक- 215 के आधार पर यूपीएससी में एक आईपीएस अधिकारी बनते लेकिन ओबीसी प्रमाणपत्र के आधार पर आईएएस बनने में मदद मिली.

पिछले साल, एर्नाकुलम के जिला कलेक्टर एस. सुहास की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि अधिकारी द्वारा प्रस्तुत आय के आंकड़ों में विसंगतियां थीं, जिसके आधार पर उसका ओबीसी प्रमाणपत्र जारी किया गया था. सूत्र ने यह जानकारी दी है.

सुहास की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार का नियम है कि तीन साल की लगातार अवधि तक 6 लाख रुपये या उससे अधिक की वार्षिक आय वाले व्यक्तियों के बेटे और बेटियां ओबीसी आरक्षण के लाभ के हकदार नहीं होंगे क्योंकि वे क्रीमीलेयर तहत आएंगे.

हालांकि, आयकर विभाग द्वारा प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2012-13, 2013-14 और 2014-15 के लिए यूसुफ के माता-पिता की आय के आंकड़े क्रमश: 21,80,963 रुपये, 23,05,100 रुपये और 28,71,375 रुपये हैं.

ओबीसी प्रमाण पत्र के दुरुपयोग का नया मामला नहीं

डीओपीटी के एक अधिकारी ने कहा कि केंद्र ने यूसुफ के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है लेकिन ओबीसी प्रमाणपत्र का दुरुपयोग कोई दुर्लभ बात नहीं थी.

पिछले साल, दिप्रिंट ने रिपोर्ट किया था कि सरकार ने कम से कम 30 उम्मीदवारों को कोई सेवा आवंटित नहीं की थी, जिन्होंने 2017 में सिविल सेवा परीक्षा पास करने के बाद यह स्पष्ट किया था कि वे ओबीसी के क्रीमीलेयर से संबंधित थे और इस तरह कोटे के लाभ के पात्र नहीं थे.


यह भी पढ़ें: मोदी सरकार अब लेटरल एंट्री से भर्ती करेगी निदेशक और उप-सचिव स्तर के 400 अधिकारी


जबकि सभी सरकारी भर्ती में ओबीसी के लिए कुल 27 प्रतिशत सीटें आरक्षित हैं, जिसमें सिविल सेवा परीक्षा भी शामिल है. उन्हें जाति के साथ-साथ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के विपरीत ‘आय’ के मापदंड को पूरा करना होता है, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को जाति के आधार पर आरक्षण मिलता है.

चूंकि यह स्थापित करने का कोई तरीका नहीं है कि अधिकारी द्वारा प्रदान किया गया प्रमाण पत्र वास्तविक है या नहीं, यह स्थानीय सरकारी अधिकारियों द्वारा जारी किए गए प्रमाणपत्रों को सत्यापित करने के लिए भर्ती प्राधिकरण पर निर्भर है.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

share & View comments