मुंबई, पांच फरवरी (भाषा) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) राकेश कुमार सिंह की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने 2014 के भ्रष्टाचार के एक मामले में उन्हें बरी करने का अनुरोध किया था।
अदालत ने मंगलवार को पारित आदेश में कहा कि सिंह के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं।
सिंह पर छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘मोर डौकी के बिहाव’ के जल्द प्रदर्शन के लिए सेंसर प्रमाणपत्र जारी करने के एवज में अपने साथी श्रीपति मिश्रा के माध्यम से 70,000 रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप है।
सीबीआई अदालत के विशेष न्यायाधीश एसएम मेनजोगे ने कहा कि सिंह की ओर से रिश्वत की मांग रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री से प्रथम दृष्टया स्पष्ट है।
उन्होंने कहा, “सिंह अपने एजेंट के माध्यम से रिश्वत की रकम लेता था। राशि की मांग और स्वीकृति को परिस्थितिजन्य साक्ष्य से भी साबित किया जा सकता है, क्योंकि कई बार प्रत्यक्ष साक्ष्य उपलब्ध नहीं होता…।”
सिंह ने यह दावा करते हुए रिश्वत मामले में बरी किए जाने का अनुरोध किया था कि सीबीएफसी का सीईओ सेंसर प्रमाणपत्र जारी करने वाले एकमात्र प्राधिकारी नहीं है। उन्होंने दलील दी थी कि एक स्क्रीनिंग कमेटी, जिसमें यादृच्छिक रूप से चुने गए सदस्य शामिल होते हैं, प्रमाणपत्र जारी करती है।
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