नई दिल्ली: चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने सोमवार को कहा कि अगर भारत और चीन के बीच राजनयिक स्तर पर दोनों देशों के बीच बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकलता है तो भारत के पास चीन से निपटने के लिए ‘सैन्य विकल्प’ मौजूद हैं.
रावत ने यह भी कहा, ‘सैन्य विकल्प का उपयोग तभी किया जाएगा जब लद्दाख मामले पर चीन से चल रही सैन्य और राजनायिक स्तर की बातचीत किसी मुकाम तक नहीं पहुंचती है या फिर इसका कोई हल नहीं निकलता है.’
रावत ने पश्चिमी लद्दाख मामले में भारत और चीन के बीच चल रहे गतिरोध पर बोल रहे थे. भारत और चीन के बीच अप्रैल और मई से लगातार गतिरोध चल रहा है इसमें कई कई क्षेत्र भी शामिल हैं जैसे फिंगर एरिया, गलवान वैली, हॉट स्प्रिंग और कोंगरुंग नाला. दोनों देशों के बीच इसे सुलझाने का मामला पिछले तीन महीने से चल रहा है. इस बातचीत में पांच लेफ्टिनेंट जेनरल स्तर की मीटिंग भी हुई है लेकिन इसका कोई परिणाम अभी तक नहीं निकला है.
हालांकि सीडीएस ने सैन्य कार्रवाई पर कुछ भी बोलने से मना कर दिया है कि लद्दाख सेक्टर में घुसे चीनी सेना को भगाने के लिए भारतीय सेना क्या कदम उठा रही है.
चीनी सेना ने फिंगर क्षेत्र से पूरी तरह से हटने इनकार कर दिया है और लगता है कि वहां देरी करने के लिए समय जुगाड़ रही है. हालांकि सीमा विवाद को सुलझाने के प्रयास चल रहे हैं, भारत ने पूर्वी लद्दाख में फिंगर क्षेत्र से समान रूप से डिसइंगेजमेंट के चीनी सुझाव को खारिज कर दिया है.
पूर्वी लद्दाख की सुरक्षा स्थिति की समीक्षा
वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पूर्वी लद्दाख में समग्र सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की थी. अधिकारियों ने बताया कि यह समीक्षा बैठक भारत और चीन के बीच सीमा पर जारी गतिरोध को सुलझाने के लिए राजनयिक स्तर पर हुई वार्ता के दो दिन बाद हुई. इस बीच सेना ने बताया कि 20 और 21 अगस्त को सेना के कमांडरों की बैठक उत्तरी और पश्चिमी मोर्चों पर सुरक्षा स्थिति और सैन्य तैयारियों की समीक्षा के लिए हुई थी.
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, थल सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और वायु सेना प्रमुख आर के एस भदौरिया ने बैठक में शिरकत की थी.
सूत्रों ने बताया कि पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा विवाद के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की गयी थी. उन्होंने बताया कि हालात से निपटने के लिए भविष्य के कदमों पर विचार-विमर्श किया गया .
सूत्रों ने बताया कि जनरल नरवणे ने भारत की सैन्य तैयारियों, हथियारों और सैनिकों की तैनाती, वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) सहित सभी संवेदनशील इलाकों में कड़ाके की सर्दी के बीच सैनिकों की तैनाती बनाए रखने को लेकर प्रस्तुति दी.
सरकारी सूत्रों ने बताया कि भारत किसी भी हाल में सैनिकों की संख्या कम नहीं करने जा रहा है.
उन्होंने बताया कि भारतीय सेना ने चीन के साथ बातचीत में मजबूती के साथ कहा कि विवाद को सुलझाने के लिए अप्रैल से पहले वाली स्थिति बहाल होनी चाहिए.
सूत्रों ने बताया कि सेना का आकलन है कि चीनी सैनिक सीमा विवाद को सुलझाने के लिए गंभीर नहीं हैं.
यह माना जा रहा है कि दो दिवसीय सम्मेलन में सेना के कमांडरों ने चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा पर उत्पन्न होने वाली संभावित चुनौतियों और उनसे प्रभावी तरीके से निपटने पर चर्चा की.
भारत और चीन के बीच पिछले ढाई महीने में सैन्य और राजनयिक स्तर पर कई चरण की बातचीत हो चुकी है लेकिन पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद के समाधान के लिए कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हो पायी है.
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भारत लद्दाख में नयी सड़कें बिछाने का भी काम कर रहा है. अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच टेलीफोन पर बातचीत के एक दिन बाद छह जुलाई को सैनिकों के पीछे हटने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू हुई . हालांकि, मध्य जुलाई के बाद से प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पायी .
सूत्रों ने बताया कि चीनी सेना गलवान घाटी और टकराव वाले कुछ अन्य स्थानों से पीछे हट चुकी है लेकिन पैंगोग सो, देपसांग तथा कुछ अन्य स्थानों से सैनिकों की वापसी नहीं हुई है .
(भाषा के इनपुट्स के साथ)