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Saturday, 4 May, 2024
होमदेश‘जबरन वसूली’ मामले में सत्येन्द्र जैन और तिहाड़ कर्मियों के खिलाफ जांच के लिए CBI ने LG से मांगी अनुमति

‘जबरन वसूली’ मामले में सत्येन्द्र जैन और तिहाड़ कर्मियों के खिलाफ जांच के लिए CBI ने LG से मांगी अनुमति

CBI ने कथित ठग सुकेश चंद्रशेखर समेत विभिन्न 'हाई प्रोफाइल कैदियों' से कथित तौर पर करोड़ों रुपये की उगाही करने के मामले में पूर्व जेल मंत्री सत्येन्द्र जैन के खिलाफ मामला दर्ज करने के वास्ते दिल्ली के उपराज्यपाल से मंजूरी मांगी है.

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नई दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) विनय कुमार सक्सेना से उन आरोपों की जांच करने की मंजूरी मांगी है कि दिल्ली के पूर्व कैबिनेट मंत्री सत्येन्द्र जैन और तिहाड़ के पूर्व जेल अधीक्षक राज कुमार जेल में “जबरन वसूली रैकेट” चलाते थे और कथित ठग सुकेश चंद्रशेखर सहित कैदियों से मोटी रकम लेते थे.

कम्युनिकेशन से अवगत सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि सीबीआई ने पिछले हफ्ते उपराज्यपाल कार्यालय को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि जैन ने जेल दिल्ली की तिहाड़, रोहिणी और मंडोली जेल में खुद या अपने सहयोगियों के जरिए सुकेश चन्द्रशेखर से 10 करोड़ रुपये की उगाही की थी, ताकि उसे “शांति और आराम से” रहने दिया जा सके.

सीबीआई ने यह भी आरोप लगाया है कि जैन और कुमार ने दो पूर्व जेल अधिकारियों — जेल महानिदेशक संदीप गोयल और अतिरिक्त जेल महानिरीक्षक मुकेश प्रसाद — के साथ मिलकर काम किया और खुद गोयल और प्रसाद ने 2019 से 2022 के बीच किश्तों में चंद्रशेखर से 12.50 करोड़ रुपये लिए.

दोनों ने संबद्ध अधिकारियों, निजी व्यक्तियों और सहयोगियों की मिलीभगत से दिल्ली की जेलों में “उच्च स्तरीय भ्रष्टाचार और वसूली रैकेट” चलाया जा रहा था.

एजेंसी ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दावों की जांच के लिए एलजी की मंजूरी मांगी है.

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दिल्ली एलजी ऑफिस के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, “सत्येंद्र जैन, पूर्व जेल मंत्री, जीएनसीटीडी, और राज कुमार पर उच्च स्तरीय भ्रष्टाचार और दिल्ली के तत्कालीन जेल महानिदेशक संदीप गोयल और तत्कालीन अतिरिक्त जेल महानिरीक्षक सहित अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर जबरन वसूली रैकेट चलाने का आरोप लगाया गया है. मुकेश प्रसाद, दोनों निलंबित हैं.”

सूत्र ने कहा, “जैन ने 2018-21 के दौरान व्यक्तिगत रूप से या अपने सहयोगियों के माध्यम से विभिन्न किश्तों में सुकेश चन्द्रशेखर से सुरक्षा राशि के रूप में 10 करोड़ रुपये प्राप्त किए थे, ताकि सुकेश दिल्ली की विभिन्न जेलों में शांति और आराम से रह सके.”

उपराज्यपाल कार्यालय के एक अन्य सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि जैन और कुछ जेल अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई द्वारा लगाए गए सभी आरोपों की “पूरी तरह से” जांच की जाएगी और मंजूरी प्रक्रिया में समय लगेगा.

प्रवर्तन निदेशालय द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बाद जैन फिलहाल मेडिकल ग्राऊंड्स पर अंतरिम ज़मानत पर बाहर हैं. एजेंसी ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत सीबीआई द्वारा दर्ज की गई एक एफआईआर के आधार पर उनके खिलाफ जांच शुरू की थी.

1989 बैच के आईपीएस अधिकारी संदीप गोयल को गृह मंत्रालय ने पिछले साल दिसंबर में निलंबित कर दिया था जब तीन सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी थी और सुझाव दिया था कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनकी निगरानी में जैन को न्यायिक हिरासत में रहते हुए “विशेषाधिकार” मिल रहे थे.


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‘प्रॉटेक्शन मनी’

एजेंसी ने 10 नवंबर को “स्रोत जानकारी” प्राप्त करने के बाद दिल्ली एलजी के पास अपना अनुरोध भेजा था कि जैन और कुमार ने जेल से “जबरन वसूली रैकेट का सिंडिकेट चलाने और जेल में बंद व्यक्तियों से प्रॉटेक्शन मनी प्राप्त करने” के लिए गोयल और प्रसाद के साथ “सांठगांठ” की थी.”

सूत्र ने कहा, “राजकुमार, तत्कालीन जेल अधीक्षक, सेंट्रल जेल 4, संदीप गोयल का करीबी सहयोगी था और उसने कैदी सुकेश चन्द्रशेखर से पैसे वसूलने में उसकी मदद की थी और यहां तक कि उसने खुद भी पेटीएम मोड के माध्यम से ठग से पैसे वसूलने की कोशिश की थी. गोयल और मुकेश प्रसाद पर सुकेश चंद्रशेखर से 2019-22 के दौरान विभिन्न किश्तों में 12.50 करोड़ रुपये प्राप्त करने का भी आरोप है.”

सूत्र ने कहा, “जैन, गोयल, प्रसाद और कुमार पर सुकेश चन्द्रशेखर और दिल्ली जेलों में बंद अन्य हाई-प्रोफाइल कैदियों को मूल्यवान प्रतिफल के बदले में अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए लोक सेवक के रूप में अपने आधिकारिक पदों का दुरुपयोग करने का आरोप है.”

(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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