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Sunday, 24 November, 2024
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मणिपुर वायरल वीडियो केस में CBI ने दर्ज किया मामला, ‘INDIA’ के नेता दिल्ली से हुए रवाना

सीबीआई ने अभी तक मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं कही है. वहीं इंडिया गठबंधन के नेता मणिपुर के हालात का जायजा के लिए दिल्ली से रवाना हो चुके हैं.

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नई दिल्ली : मणिपुर हिंसा के दौरान भीड़ द्वारा दो महिलाओं को नग्न घुमाने के वायरल वीडियो के मामले में शनिवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मामला दर्ज कर लिया है. सीबीआई के अधिकारी ने यह जानकारी दी है. वहीं दूसरी तरफ ‘इंडिया’ गठबंधन के नेता मणिपुर रवाना हो चुके हैं जहां वे लोगों से मिलकर उनके हालात से रूबरू होंगे.

इससे एक दिन पहले एक अधिकारी ने कहा था, ‘अभी तक, सीबीआई ने मणिपुर हिंसा से संबंधित छह प्राथमिकी के संबंध में किसी को गिरफ्तार नहीं किया है. इन मामलों में जांच जारी है.’

सरकार ने राज्य में हिंसा न रुकने और इस मुद्दे पर संसद में लगातार विपक्ष द्वारा प्रधानमंत्री मोदी के बयान की मांग के कारण दोनों सदनों में जारी गतिरोध के बाद मामले को सीबीआई को सौंपने का फैसला किया था.

एजेंसी 6 मामलों की कर रही है जांच

सीबीआई मणिपुर में हिंसा से जुड़े छह मामलों की जांच कर रही है और उसने इस संबंध में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं की है. अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी थी. उन्होंने कहा था कि निर्धारित प्रक्रिया के तहत संघीय जांच एजेंसी ने पिछले महीने राज्य पुलिस से प्राथमिकियों को अपने अधिकार में ले लिया है और आगे जांच की जारी है.

अधिकारियों ने कहा था कि सीबीआई नाजुक परिस्थितियों में इन मामलों की जांच कर रही है और इस स्थिति को देखते हुए उसने प्राथमिकी पुन: दर्ज किए जाने के एक महीने बाद भी उन्हें सार्वजनिक नहीं किया है.

उन्होंने बताया था कि एजेंसी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सौंपे गए छह मामलों की जांच के लिए जून में डीआइजी-रैंक के एक अधिकारी के तहत एक विशेष जांच दल का गठन किया था.

उन्होंने कहा था कि एजेंसी की टीम कठिन परिस्थितियों में मामलों की जांच कर रही है और उन्हें अक्सर शत्रुतापूर्ण भीड़, नाकाबंदी एवं विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ता है और जातीय आधार पर बंटे राज्य में गवाहों को ढूंढ़ना मुश्किल है.

विपक्षी दल के नेता आज जा रहे हैं मणिपुर

वहीं आज विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ का एक प्रतिनिधिमंडल दो दिन के दौरे पर मणिपुर जा रहा है. इन दलों के नेताओं ने वहां जाकर हालात का जायजा लेने के बाद केंद्र सरकार को समस्या का हल सुझाने की बात कही है.

कांग्रेस ने दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचे इस प्रतिनिधिमंडल की तस्वीरें ट्वीट की है. इसमें लिखा है, “INDIA गठबंधन के सांसदों का प्रतिनिधिमंडल आज से दो दिवसीय मणिपुर दौरे पर है. यहां वे हिंसा के पीड़ितों से मिलेंगे, उनकी स्थिति से वाकिफ होंगे. INDIA चाहता है कि मोदी सरकार मणिपुर पर ध्यान दे, वहां के लिए कुछ करें.”

कांग्रेस नेता अधीर चौधरी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हमारा मकसद है कि मणिपुर में फिर से शांति और सौहार्द बहाल हो. वहां पीड़ितों की मदद की जानी चाहिए और लोगों के पुनर्वास पर काम होना चाहिए. हम वहां इन मुद्दों को उठाएंगे. हम मणिपुर के राज्यपाल से मिलकर, उन्हें हालात की जानकारी देंगे.”

असम से कांग्रेस के सांसद गौरव गोगोई ने कहा, “हम चाहते हैं कि संसद में मणिपुर पर चर्चा हो. मणिपुर में जंग जैसा माहौल है. पूरी तरह से कानून व्यवस्था चौपट है. लेकिन…PM मोदी को मणिपुर में तनाव नहीं दिखता. उनको मणिपुर में सिर्फ सत्ता दिखती है.”

विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवपलपमेंट इन्क्लूसिव अलायंस (इंडिया) के घटक दलों के नेताओं ने शुक्रवार को कहा था कि विपक्षी सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल मणिपुर जा कर, पहले जमीनी स्थिति का आकलन करेगा और इस हिंसा प्रभावित राज्य में समस्याओं के समाधान को लेकर सरकार और संसद को अपनी अनुशंसा भी देगा.

प्रतिनिधिमंडल 29-30 जुलाई के लिए दो दिन के लिए मणिपुर के दौरे पर है.

लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने मणिपुर हिंसा की उच्चतम न्यायालय के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच कराने की मांग की.

वहीं मुद्दे पर पीएम के बयान की मांग को लेकर विपक्ष के हंगामे के कारण दोनों सदनों की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई है.

कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने भाजपा पर लगाया आरोप

गोगोई ने कहा था, ‘‘भाजपा यह तस्वीर पेश करना चाहती है कि मणिपुर में सब कुछ ठीक है, जबकि हिंसा अब भी जारी है. इसलिए हम चाहते हैं कि उच्चतम न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश के तहत जांच कराई जाए कि यह सब कैसे हुआ.’’

उन्होंने प्रदेश सरकार पर विफलता का आरोप लगाया और सवाल किया कि इतने लोगों को हथियार कैसे मिले? उन्होंने कहा ‘‘मैं मणिपुर जाऊंगा और सच्चाई का पता लगाऊंगा. उस सच्चाई को संसद के सामने रखूंगा.’’

तृणमूल कांग्रेस की सुष्मिता देव ने कहा था कि विपक्षी प्रतिनिधिमंडल यह संदेश देना चाहता है कि ‘‘हम मणिपुर के लोगों के साथ हैं.’’

उन्होंने कहा था, ‘‘हम चिंतित हैं, हम चाहते हैं कि राज्य में शांति लौटे… सरकार विफल रही है, इसलिए हम वहां जाना चाहते हैं और देखना चाहते हैं कि क्या समाधान निकाला जा सकता है.’’

द्रमुक के नेता टी आर बालू ने कहा था कि विपक्षी प्रतिनिधिमंडल शनिवार को सुबह मणिपुर के लिए रवाना होगा और पता लगाएगा कि वहां क्या गलत हुआ, किस हद तक जान-माल का नुकसान हुआ है.

आरएसपी के प्रेमचंद्रन ने कहा कि इस दौरे का लक्ष्य राज्य में होने वाली घटनाओं के बारे में प्रत्यक्ष जानकारी प्राप्त करना है.

मणिपुर मामले पर बार-बार टली संसद की कार्यवाही

कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) के अन्य घटक दल मानसून सत्र के पहले दिन से ही मणिपुर में जातीय हिंसा के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संसद में वक्तव्य देने और चर्चा कराए जाने की मांग कर रहे हैं. इस मुद्दे पर हंगामे के कारण दोनों सदनों में कार्यवाही बाधित रही है. दोनों सदनों को सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया है.

कांग्रेस ने मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर संसद में जारी गतिरोध के बीच बुधवार को लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था, जिस पर सदन में चर्चा के लिए मंजूरी दे दी गई थी. उस दिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा था कि वह सभी दलों के नेताओं से बातचीत करने के बाद इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए तिथि तय करेंगे.

‘INDIA’ के ये नेता हैं राज्य के दौरे में शामिल

दोनों सदनों के 21 सदस्यीय विपक्षी प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस से अधीर रंजन चौधरी, गौरव गोगोई, के सुरेश और फूलो देवी नेताम शामिल हैं; जदयू के राजीव रंजन ललन सिंह; तृणमूल कांग्रेस से सुष्मिता देव; डीएमके से कनिमोझी; सीपीआई के संतोष कुमार; सीपीआई (एम) से एए रहीम, राजद के मनोज कुमार झा; सपा के जावेद अली खान; झामुमो की महुआ माझी; एनसीपी के पीपी मोहम्मद फैज़ल; जेडीयू के अनिल प्रसाद हेगड़े, आईयूएमएल के ईटी मोहम्मद बशीर; आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन; आप के सुशील गुप्ता; शिवसेना (यूबीटी) के अरविंद सावंत; वीसीके के डी रविकुमार; वीसीके के थिरु थोल थिरुमावलवन; और आरएलडी के जयंत सिंह शामिल हैं.

मणिपुर में करीब 3 महीने से जारी जातीय हिंसा के कारण 150 से भी अधिक लोगों की मौत हुई है और हजारों लोगों को राहत शिविरों में रखा गया है.

मणिपुर में करीब तीन महीने से जारी जातीय हिंसा के कारण 150 से भी अधिक लोगों की मौत हुई है.


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