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बुधवार, 23 अप्रैल, 2025
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सीबीआई ने छत्तीसगढ़ के दो सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारियों और पूर्व महाधिवक्ता के खिलाफ मामला दर्ज किया

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नयी दिल्ली/रायपुर, 19 अप्रैल (भाषा) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने छत्तीसगढ़ के तीन पूर्व शीर्ष अधिकारियों-प्रधान सचिव, संयुक्त सचिव और महाधिवक्ता के खिलाफ नागरिक आपूर्ति निगम (एनएएन) और प्रवर्तन निदेशालय के मामलों में कार्यवाही को प्रभावित करने के कथित प्रयास के लिए प्राथमिकी दर्ज की है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

यह कथित घोटाला पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान हुआ था।

सीबीआई प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने तत्कालीन संयुक्त सचिव अनिल टुटेजा और तत्कालीन प्रधान सचिव आलोक शुक्ला (दोनों सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी) एवं तत्कालीन महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के खिलाफ पहले जांच की थी और बाद में राज्य सरकार ने मामले की सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश की थी।

उन्होंने कहा, ‘‘सीबीआई द्वारा रायपुर में दो स्थानों पर आरोपी दो लोक सेवकों के परिसरों की तलाशी ली गई, जिसमें कुछ दस्तावेज बरामद हुए।’’

सीबीआई ने आरोप लगाया है कि आरोपी लोक सेवकों ने 2015 में ईओडब्ल्यू/एसीबी (आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो/ भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो), रायपुर में उनके खिलाफ दर्ज नागरिक पूर्ति निगम (एनएएन) मामले और इसके आधार पर दर्ज प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मामले में कार्यवाही को प्रभावित करने के लिए अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया।

बयान में कहा गया है, ‘‘आयकर विभाग द्वारा जब्त डिजिटल साक्ष्यों के अनुसार, आरोपी लोक सेवकों ने एनएएन मामलों में कार्यवाही को पटरी से उतारने के कई प्रयास किए।’’

यह आरोप लगाया गया है कि टुटेजा और शुक्ला ने वर्मा को अनुचित लाभ पहुंचाया, ताकि वे ईडी और ईओडब्ल्यू/एसीबी, छत्तीसगढ़ की जांच वाले मामलों में ‘‘अनुचित तरीके से सार्वजनिक कर्तव्य निभाने और अग्रिम जमानत हासिल करने’’ के लिए प्रेरित हो सकें।

कथित घोटाला फरवरी, 2015 में उजागर हुआ था, जब एसीबी/ईओडब्ल्यू ने नागरिक आपूर्ति निगम (एनएएन) के 25 परिसरों पर एक साथ छापे मारे थे, जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली के प्रभावी संचालन को सुनिश्चित करने के लिए नोडल एजेंसी थी।

इस दौरान कुल 3.64 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की गई थी। छापे के दौरान एकत्र किए गए चावल और नमक के कई नमूनों की गुणवत्ता की जांच की गई और दावा किया गया कि वे घटिया और मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त थे।

बाद में, एसीबी ने मामले में टुटेजा, शुक्ला और तत्कालीन राज्य सरकार के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग में तैनात अधिकारियों समेत 18 लोगों को आरोपी बनाया ।

भाषा आशीष वैभव

वैभव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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