scorecardresearch
Thursday, 25 April, 2024
होमदेशअपराधCBI ने बैंक धोखाधड़ी के लेकर दिल्ली में प्राइवेट पैकेजिंग कंपनी के खिलाफ दर्ज किया मामला, तलाशी जारी

CBI ने बैंक धोखाधड़ी के लेकर दिल्ली में प्राइवेट पैकेजिंग कंपनी के खिलाफ दर्ज किया मामला, तलाशी जारी

सीबीआई की कई टीमों ने पैकेजिंग कंपनी रेव स्कैन्स प्राइवेट लिमिटेड के परिसरों में बैंकों को कथित रूप से 69.33 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के लिए कई तलाशी लीं.

Text Size:

नई दिल्ली: सीबीआई ने बैंक धोखाधड़ी को लेकर प्राइवेट पैकेजिंग कंपनी पर मामल शुक्रवार को मामला दर्ज किया है. तलाशी अभियान जारी है. एजेंसी ने कंपनी दिल्ली स्थित कंपनी के पांच परिसरों में छापेमारी की है. कथित तौर पर बैंक को 69.33 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप है.

सीबीआई की कई टीमों ने पैकेजिंग कंपनी रेव स्कैन्स प्राइवेट लिमिटेड के परिसरों में बैंकों को कथित रूप से 69.33 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के लिए कई तलाशी लीं. प्राथमिकी के अनुसार, ‘इस मामले में इंडियन ओवरसीज बैंक, नई दिल्ली के मुख्य क्षेत्रीय प्रबंधक से एक लिखित शिकायत प्राप्त हुई थी. शिकायत मेसर्स रेव स्कैन्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ की गई थी.

(आरएसपीएल), जिसका नई दिल्ली में नारायणा औद्योगिक क्षेत्र में पंजीकृत कार्यालय का पता है, और इसके निदेशक, बैंकों के अज्ञात लोक सेवक / अज्ञात अन्य, जिन्होंने कथित तौर पर रुपये की धोखाधड़ी को अंजाम दिया है.

आगे यह आरोप लगाया गया है कि मेसर्स रेव स्कैन्स प्रा. लिमिटेड (आरएसपीएल) और उसके निदेशकों ने बैंकों को धोखा देने के इरादे से बैंक के अज्ञात लोक सेवकों/अन्य लोगों के साथ आपस में आपराधिक साजिश के तहत, बैंकों से ऋण/क्रेडिट सुविधाएं प्राप्त की और साजिश के अनुसरण में विभिन्न धोखाधड़ी गतिविधियों का सहारा लिया.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

जिन उद्देश्यों के लिए बैंकों द्वारा ऋण/सुविधाओं को मंजूरी दी गई थी, उनके अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए धन का विचलन शामिल है; बैंक को धोखा देने के इरादे से मनगढ़ंत स्टॉक विवरण प्रस्तुत करना; पूर्वोक्त कंपनी के खातों की पुस्तकों में हेरफेर; कंपनी के वित्तीय विवरणों/बैलेंस शीट में गलत रिपोर्टिंग; जिस उद्देश्य के लिए इसे स्वीकृत किया गया था, उस उद्देश्य के लिए ऋण निधि का उपयोग नहीं करना और इस प्रकार, बैंकों को 69.33 करोड़ रुपये का गलत नुकसान हुआ और खुद को गलत लाभ मिला.


यह भी पढ़ें: ‘एकांतवासी, उदासीन, मनमौजी’- उद्धव ठाकरे शिवसेना विधायकों को क्यों एक साथ नहीं रख पाए?


 

share & View comments