नई दिल्ली: दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के घर आज सीबीआई की रेड पड़ी है. यह रेड दिल्ली की विवादित एक्साइज पॉलिसी को लेकर ही गई है. दिल्ली की इस एक्साइज पॉलिसी का इतना विरोध हुआ कि सरकार को इसे वापस लेना पड़ा. 31 जुलाई को मनीष सिसोदिया ने दिल्ली सरकार की महत्वाकांक्षी नई शराब नीति (दिल्ली आबकारी नीति 2021-22) को पूरी तरह से समाप्त कर दिया.
सरकार को ऐसा इसलिए करना पड़ा क्योंकि दिल्ली सरकार की इस नीति में कुछ गड़बड़ियों का पता चला था. दरअसल दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने नई एक्साइज पॉलिसी की जांच की जिसमें कई अनियमितताओं का पता चला. जिसके बाद दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने इस मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए और दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश को ‘अवैध निर्माण, संशोधन और कार्यान्वयन में अधिकारियों और सिविल सेवकों की भूमिका’ की जानकारी देते हुए एक रिपोर्ट पेश करने के निर्देश भी दिए.
यह मामला दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा के संज्ञान में तब आया जब दिल्ली कैबिनेट मंत्रियों के ग्रुप ने एक प्रस्ताव दिया था, जिसमें दिल्ली सरकार की संशोधित नीति को पेश किया गया इसमें शराब की होम डिलीवरी, सुबह 3 बजे तक दुकानें खोलने और लाइसेंसधारियों को असीमित छूट देने की अनुमति देने की बात कही गई थी. इसके इंप्लिमेंटेशन से पहले यह नीति दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार के पास जांच के पास जानी थी, जिन्होंने इस नीति में कई कमियां और अनियमितताए पाईं. यह रिपोर्ट दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और एलजी विनय कुमार सक्सेना को भी भेजी गई.
इस रिपोर्ट में बताया गया कि सिसोदिया ने कथित तौर पर एलजी की मंजूरी के बिना एक्साइज पॉलिसी में बदलाव किए. रिपोर्ट में शराब माफिया को 144 करोड़ का फायदा पहुंचाने का जिक्र था.
इसमें यह भी कहा गया है कि सिसोदिया ने विदेशी शराब की दरों में बदलाव करके और बीयर के आयात पास शुल्क को हटाकर शराब लाइसेंसधारकों को अनुचित लाभ दिया. रिपोर्ट के अनुसार, इससे विदेशी शराब और बीयर खुदरा के लिए सस्ती हो गई, जिससे राज्य के खजाने को राजस्व का नुकसान हुआ. जिसके बाद दिल्ली के उपराज्यपाल ने इस मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए.
इसी के बाद दिल्ली सरकार ने अपनी यह नीति वापस लेली और दिल्ली में पुरानी नीति के तहत शराब बिकने लगी.
लेकिन दिल्ली सरकार से कहां हुई चूक?
अधिकारियों ने कहा कि यदि पहले से लागू की गई किसी नीति में कोई बदलाव किया जाता है, तो एक्साइज डिपार्टमेंट को उन्हें कैबिनेट के सामने रखना होता है और अंतिम मंजूरी के लिए इसे एलजी के पास भेजना होगा. कैबिनेट और एलजी की मंजूरी के बिना किए गए कोई भी बदलाव अवैध हैं और दिल्ली उत्पाद शुल्क नियम, 2010 और व्यापार नियम, 1993 के लेनदेन के उल्लंघन में हैं.
वहीं आप सरकार का कहना है कि नई नीति का उद्देश्य शराब माफिया और कालाबाजारी को समाप्त करना, राजस्व में बढ़ोतरी करना, उपभोक्ता अनुभव में सुधार करना और शराब की दुकानों का समान वितरण सुनिश्चित करना है.
क्या थी दिल्ली सरकार की नई एक्साइज पॉलिसी?
नई एक्साइज पॉलिसी के तहत दिल्ली सरकार ने पूरे शहर को 32 जोन में बांटकर 849 रिटेल लाइसेंस जारी किए थे जिसे 17 नवंबर 2021 से लागू किया गया था. नवंबर 2021 से पहले दिल्ली सरकार की चार एजेंसियां 864 में से शराब की 475 दुकानें चला रही थीं. 389 दुकानें निजी एजेंसियां चला रहीं थीं.
इसका मतलब यह हुआ कि 1 सितंबर से फिर से 475 दुकानें सरकारी एजेंसियां चलाएंगी. बाकी दुकानों के लिए निजी वेंडरों को लाइसेंस दिया जाएगा. दिल्ली में 468 शराब की दुकानों का लाइसेंस 31 जुलाई को खत्म हो गया है.
17 नवंबर 2021 को लागू हुई इस पॉलिसी के तहत शराब की सारी दुकानें निजी हाथों को सौंप दी गई थीं. इसके तहत, दिल्ली में 849 शराब की दुकानें निजी हो गईं. निजी हाथों में जाने से वेंडरों ने शराब पर भारी डिस्काउंट दिया. एक पर एक फ्री के साथ-साथ डिस्काउंड ऑफर किए गए.
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