scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमदेश‘ट्रेन हादसे की CBI जांच जवाबदेही से ध्यान भटकाने की रणनीति’, खरगे ने PM मोदी को लिखा पत्र

‘ट्रेन हादसे की CBI जांच जवाबदेही से ध्यान भटकाने की रणनीति’, खरगे ने PM मोदी को लिखा पत्र

प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र में मल्लिकार्जुन खरगे ने सवाल पूछा है कि केवल 4% पटरियों' को ही टक्कर रोधी प्रणाली ‘कवच’ द्वारा कवर क्यों किया? कांग्रेस अध्यक्ष के पत्र में रेल मंत्रालय द्वारा चेतावनियों को नजरअंदाज करने का दावा किया गया है.

Text Size:

नई दिल्ली: कांग्रेस ने सोमवार को आरोप लगाया कि बालासोर रेल हादसे की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को शामिल करना सरकार की “जवाबदेही तय करने के किसी भी प्रयास को पटरी से उतारने की रणनीति” का हिस्सा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को इसी तरह 2016 में हुई कानपुर रेल दुर्घटना की जांच के लिए लाया गया था, लेकिन मामला अंततः चार्जशीट दायर किए बिना ही बंद कर दिया गया.

खरगे ने चार पेज के पत्र में लिखा, “रेल मंत्री ने एनआईए से जांच (2016 कानपुर पटरी से उतरने) के लिए कहा. इसके बाद, आपने 2017 में एक चुनावी रैली में दावा किया कि यह एक ‘साजिश’ थी. आपने राष्ट्र को आश्वासन दिया गया था कि दोषियों को सख्त से सख्त सजा दी जाएगी. हालांकि, 2018 में एनआईए ने जांच बंद कर दी और चार्जशीट दायर करने से इनकार कर दिया. देश को अभी तक पता नहीं चला है कि 150 लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन है? इसे टाला जा सकता था.”

उन्होंने कहा कि अब तक के बयान और सीबीआई को फंसाने से हमें 2016 की याद आ गई. उन्होंने लिखा, “वे दिखाते हैं कि आपकी सरकार का प्रणालीगत सुरक्षा अस्वस्थता को दूर करने का कोई इरादा नहीं है, बल्कि जवाबदेही तय करने के किसी भी प्रयास को पटरी से उतारने के लिए डायवर्सन रणनीति ढूंढ रही है.”

आगे प्रधानमंत्री और रेल मंत्री पर हमला करते हुए, खरगे ने मामला सीबीआई को सौंपे जाने पर चिंता जताई. उन्होंने लिखा, “रेल मंत्री का दावा है कि उन्होंने पहले ही घटना का मूल कारण ढूंढ लिया है, लेकिन फिर भी सीबीआई से जांच करने का अनुरोध किया है.”

उन्होंने जोर देकर कहा,“सीबीआई, या कोई अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसी, तकनीकी, संस्थागत और राजनीतिक विफलताओं के लिए जवाबदेही तय नहीं कर सकती है. इसके अलावा, उनके पास रेलवे सुरक्षा, सिग्नलिंग और रखरखाव प्रथाओं में तकनीकी विशेषज्ञता का अभाव है.”


यह भी पढ़ें: AIIMS ने मेडिकल छात्रों के लिए नेशनल एग्जिट टेस्ट 2023 कराने की स्वास्थ्य मंत्रालय से इजाज़त मांगी


यूपीए सरकार का ‘रक्षा कवच’ बैकफुट पर?

खरगे के पत्र ने 2013 और 2014 के बीच मनमोहन सिंह सरकार के नेतृत्व में रेल मंत्रालय के बारे में कई बातें उठाईं.

उन्होंने आरोप लगाया कि ट्रेन-टक्कर रोधी प्रणाली, “जिसे मूल रूप से रक्षा कवच नाम दिया गया था”, को शुरू करने की योजना ठंडे बस्ते में डाल दी गई थी. खरगे ने लिखा है कि इस सिस्टम को यूपीए सरकार के तहत 2011 में रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइजेशन ने विकसित किया था.

उन्होंने पूछा, “आपकी (मोदी) सरकार ने बस योजना का नाम बदलकर ‘कवच’ कर दिया और मार्च 2022 में, रेल मंत्री ने स्वयं इस योजना को एक नए आविष्कार के रूप में पेश किया. लेकिन सवाल अभी भी बना हुआ है कि भारतीय रेलवे के केवल 4% मार्गों को अब तक ‘कवच’ द्वारा संरक्षित क्यों किया गया है?”

खरगे ने कैग की रिपोर्ट, संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट और फरवरी की एक आंतरिक रिपोर्ट का भी हवाला दिया, जिसमें भारतीय रेलवे के विभिन्न पहलुओं के बारे में चिंता जताई गई थी.

जैसा कि दिप्रिंट ने रिपोर्ट किया था, एक आंतरिक रिपोर्ट में दक्षिण पश्चिम रेलवे ज़ोन के प्रिंसिपल चीफ ऑपरेटिंग मैनेजर ने एक एक्सप्रेस ट्रेन के सिग्नल फेल होने पर चिंता जताई थी. अधिकारी ने इस तरह की घटना दोबारा होने की चेतावनी दी थी.

रिपोर्ट की ओर इशारा करते हुए, खरगे ने कहा, “क्यों और कैसे रेल मंत्रालय इस महत्वपूर्ण चेतावनी को अनदेखा कर सकता है?”

उन्होंने कहा कि बुनियादी स्तर पर रेलवे को मजबूत करने पर ध्यान देने के बजाय खबरों में बने रहने के लिए सतही टच अप किया जा रहा है.

उन्होंने लिखा, “रेलवे को अधिक प्रभावी, अधिक उन्नत और अधिक कुशल बनाने के बजाय, इसके साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है.”

(संपादनः ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: G20 को लेकर यमुना की सफाई चल रही है लेकिन क्या दिल्लीवासियों का मिल रहा है सहयोग?


 

share & View comments