नयी दिल्ली, 28 अप्रैल (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक असामान्य घटनाक्रम के तहत भ्रष्टाचार के एक मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के तीन अधिकारियों को उसी (सीबीआई) की हिरासत में भेज दिया।
न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने 25 अप्रैल को अपने आदेश में कहा, “यह सीबीआई, ईडी और ऐसे अन्य विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार का अनूठा मामला है, जिसने हमारी कार्यपालिका और जांच तंत्र की पूरी संरचना को हिलाकर रख दिया है। इन एजेंसियों का प्राथमिक कर्तव्य अपराध की जांच करना और भ्रष्टाचार के दोषियों को सजा दिलाना है।”
अदालत ने कहा कि शिकायत से पता चला है कि यह सरकारी अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार का एकमात्र मामला नहीं था, बल्कि यह विभिन्न विभागों के अधिकारियों के बीच एक ‘बड़ी साजिश’ को दर्शाता है, जो अनुचित लाभ या प्रभाव डालने समेत इन विभागों के कामकाज में हस्तक्षेप करने के लिए रिश्वत लेते थे।
अदालत ने कहा, “इसलिए यह स्पष्ट है कि इस मामले में बड़ी साजिश का पता लगाया जाना है, ऐसे में कुछ स्थितियों में जांच के प्रारंभिक चरण में महत्वपूर्ण तथ्यों को उजागर करने के लिए हिरासत में पूछताछ से इनकार नहीं किया जा सकता। कथित साजिश की गंभीरता और परिमाण को देखते हुए तीनों आरोपियों को दो दिन की सीबीआई हिरासत में भेजा जाता है।”
निचली अदालत ने तीनों आरोपी अधिकारियों को सीबीआई की हिरासत में भेजने से इनकार कर दिया था। इसके बाद एजेंसी ने उच्च न्यायालय का रुख किया था।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि आरोपी सीबीआई अधिकारियों ने उससे जुड़े दो मामलों को निपटाने के लिए 50 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी, जिसे बाद में घटाकर 35 लाख रुपये कर दिया गया।
शिकायकर्ता ने यह भी दावा किया कि वित्त मंत्रालय के एक अन्य अधिकारी ने एक अन्य मामले में ईडी अधिकारियों को प्रभावित करने के लिए 50,000 रुपये की अवैध रिश्वत मांगी थी।
इस मामले में सीबीआई के एक अधिकारी को दूसरे अधिकारी की ओर से शिकायतकर्ता से 3.5 लाख रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया, जबकि मंत्रालय के अधिकारी ने कथित तौर पर गूगलपे के जरिये 50,000 रुपये लिये थे।
भाषा जोहेब सुरेश
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