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Friday, 11 April, 2025
होमदेशजज के घर नकदी पहुंचाने के मामले में सीबीआई अपराध साबित करने में बुरी तरह विफल: अदालत

जज के घर नकदी पहुंचाने के मामले में सीबीआई अपराध साबित करने में बुरी तरह विफल: अदालत

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चंडीगढ़, तीन अप्रैल (भाषा) विशेष केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) अदालत ने कहा है कि सीबीआई 2008 में एक न्यायाधीश के घर के दरवाजे पर नकदी मिलने के मामले में आरोपियों का अपराध उजागर करने में पूरी तरह विफल रही।

विशेष सीबीआई न्यायाधीश अलका मलिक ने कहा कि जांच एजेंसी को मामले को बंद करने के अपने प्रारंभिक रुख पर कायम रहना चाहिए था।

अदालत ने 29 मार्च को इस मामले में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश निर्मल यादव सहित चार लोगों को बरी कर दिया था।

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की एक अन्य न्यायाधीश निर्मलजीत कौर के आवास पर 13 अगस्त 2008 को कथित रूप से 15 लाख रुपये से भरा एक पैकेट गलती से पहुंचा दिया गया था।

आरोप लगाया गया था कि यह नकदी न्यायमूर्ति यादव को एक संपत्ति सौदे को प्रभावित करने के लिए रिश्वत के रूप में दी जानी थी।

यहां 29 मार्च को सुनाए गए और तीन मार्च को जारी किए गए फैसले में कहा गया, ‘‘अभियोजन पक्ष आरोपियों को दोषी साबित करने में बुरी तरह विफल रहा है, इसलिए आरोपीगण रविंद्र भसीन, राजीव गुप्ता, निर्मल सिंह और निर्मल यादव को उनके विरुद्ध लगाए गए आरोपों से बरी किया जाता है…।’’

सभी आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत प्रासंगिक अपराधों के लिए आरोप लगाए गए, जिसमें आपराधिक षड्यंत्र का आरोप भी शामिल था।

बरी करने के आदेश में आगे कहा गया, ‘‘सीबीआई जैसी प्रमुख जांच एजेंसी के लिए यह अत्यधिक सराहनीय होता कि वह न्यायालय में मामला बंद करने के लिए (क्लोजर) रिपोर्ट दाखिल करने के अपने पहले कदम पर कायम रहती न कि आर.के. जैन के रूप में अविश्वसनीय साक्ष्य गढ़ती, जिनकी गवाही सभी सुधारों, मान्यताओं, अनुमानों, परिकल्पनाओं और सभी झूठों पर आधारित साबित हुई है।’’

आदेश में मामले में ‘संबंधित साक्ष्य’ के पूरी तरह से नदारद रहने को रेखांकित किया गया, क्योंकि सीबीआई द्वारा जिन गवाहों पर भरोसा किया गया था, उनमें से अधिकांश ने अभियोजन पक्ष के कथन का समर्थन करने से इनकार कर दिया था और अधिकांश को बयान से मुकरा घोषित कर दिया गया था।

इस मामले में हरियाणा के पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता संजीव बंसल, दिल्ली के होटल व्यवसायी रविंद्र सिंह, शहर के व्यवसायी राजीव गुप्ता और एक अन्य व्यक्ति के नाम भी सामने आए थे।

बीमारी के कारण बंसल की फरवरी 2017 में मृत्यु हो गई।

दिसंबर 2009 में संघीय जांच एजेंसी ने मामले को बंद करने की (क्लोजर) रिपोर्ट दाखिल की लेकिन सीबीआई अदालत ने मार्च 2010 में इसे खारिज कर दिया और दोबारा जांच का आदेश दिया।

सीबीआई द्वारा न्यायमूर्ति यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगने के बाद, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने नवंबर 2010 में इसे मंजूरी दे दी।

राष्ट्रपति के कार्यालय ने मार्च 2011 में अभियोजन की मंजूरी प्रदान की थी।

सीबीआई ने चार मार्च, 2011 को न्यायमूर्ति निर्मल यादव के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया, जो उस समय उत्तराखंड उच्च न्यायालय में न्यायाधीश थीं।

भाषा यासिर नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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