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Friday, 22 November, 2024
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सीबीआई ने राणा कपूर के खिलाफ दर्ज़ की एफआईआर, बेटी को लंदन जाने से ईडी ने रोका

सीबीआई की प्राथमिकी के अनुसार घोटाला अप्रैल से जून 2018 के बीच शुरू हुआ था जब यस बैंक ने घोटालाग्रस्त दीवान हाउसिंग वित्त निगम लिमिटेड के अल्पावधि ऋणपत्र में 3700 करोड़ रुपये का निवेश किया था.

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नई दिल्ली: सीबीआई ने यस बैंक के सह-संस्थापक राणा कपूर, दीवान हाउसिंग (डीएचएफएल), डीओआईटी अर्बन वेंचर्स कंपनी और डीएचएफएल के प्रवर्तक निदेशक कपिल वधावन के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की है. अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी.

एजेंसी ने आरोप लगाया कि कपूर (62) ने यस बैंक के जरिए डीएचएफएल को वित्तीय सहायता देने के लिए वधावन के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रची. इसके बदले में अपने लिए और अपने परिवार के सदस्यों के लिए उनकी कंपनियों के मार्फत अनुचित लाभ लेने की कोशिश की.

उन्होंने कहा कि कपूर को पिछली रात प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया जिसने शनिवार को सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर धनशोधन निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था.

सीबीआई की प्राथमिकी के अनुसार घोटाला अप्रैल से जून 2018 के बीच शुरू हुआ था जब यस बैंक ने घोटालाग्रस्त दीवान हाउसिंग वित्त निगम लिमिटेड के अल्पावधि ऋणपत्र में 3700 करोड़ रुपये का निवेश किया था.

कपूर को 31 जनवरी 2019 को बैंक के सीईओ का पद छोड़ना पड़ा था जब आरबीआई ने 2018 में यस बैंक द्वारा उनके कार्यकाल को तीन साल (अगस्त 2021) तक के लिए बढ़ाने की सिफारिश खारिज़ कर दी थी.

यस बैंक की स्थापना 2003 में हुई थी और 2005 में इसे स्टॉक एक्सचेंज में सूचित किया गया.

राणा कपूर और उनके साले अशोक कपूर ने मिलकर यस बैंक की शुरुआत की. अशोक कपूर बैंक के चेयरमैन बने और राणा कपूर ने मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ का पद संभाला. जबकि राणा कपूर की बैंक में 26 फीसदी हिस्सेदारी थी और अशोक कपूर की हिस्सेदारी 11 प्रतिशत थी.

सूत्रों ने बताया कि यह आरोप है कि बैंक ने धन की वसूली के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए और ऐसा संदेह है कि बैंक के उस उदार रख का डीओआईटी वेंचर्स को मिले धन से संबंध है.

इससे पहले सूत्रों ने बताया था कि सीबीआई ने यस बैंक के मामलों की जांच शुरू कर दी है और अधिकारी इस मामले में दस्तावेज इकट्ठा कर रहे हैं.

कथित अनियमतताओं के कारण वित्तीय संकट में घिरे यस बैंक पर भारतीय रिजर्व बैंक की नियामकीय कार्रवाई के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने राणा कपूर को मनी लांडरिंग (काले धन को सफेद करने) के आरोपों की जांच के सिलसिले में गिरफ्तार कर लिया है. कपूर (62) से पूछताछ की जा रही है.

कहा जा रहा है कि डीओआईटी अर्बन वेंचर्स (इंडिया) प्राइवेट लि कपूर परिवार की कंपनी है और उसे घोटाले से प्रभावित गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी डीएचएफल को 3000 करोड़ रुपये का कर्ज देने के बाद 600 रुपये की राशि मिली जो कथित तौर पर रिश्वत थी. दीवान हाउसिंग फाइनेंस लि पर उत्तर प्रदेश में बिजली क्षेत्र के कर्मचारियों के भविष्य निधि कोष से 2200 करोड़ रुपये के गबन के आरोप में सीबीआई पहले ही मुकदमा कायम कर चुकी है.

इसके साथ ही इस बैंक के स्वामित्व का पुनर्गठन करने की योजना पर काम भी शुरू कर दिया है ताकि बैंक को बचाया जा सके और इसमें धन जमा करने वाले इसके ग्राहकों का हित सुरक्षित किया जाएगा.

आरबीआई की योजना के मसौदे के अनुसार भारतीय स्टेट बैंक यस बैंक में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण करेगा.

ईडी ने राणा कपूर की बेटी को ब्रिटेन जाने से रोका

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने यस बैंक के सह संस्थापक राणा कपूर की बेटी को रविवार को लंदन जाने से रोक दिया क्योंकि उनके पिता के खिलाफ चल रहे धनशोधन की जांच में उन्हें शामिल होना है.

अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय एजेंसी द्वारा लुकआउट नोटिस जारी होने की वजह से रोशनी कपूर को मुंबई हवाई अड्डे पर लंदन जाने वाले विमान में सवार होने की अनुमति नहीं दी गई.

लुक आउट नोटिस जारी होने पर आव्रजन प्राधिकार को यात्री को विदेश या देश के किसी हिस्से में जाने की अनुमति देने से पहले नोटिस जारी करने वाली एजेंसी को इसकी सूचना देनी होती है.

अधिकारी ने बताया कि रोशनी लंदन की उड़ान लेने वाली थी. हालांकि, यात्रा के कारणों का तत्काल खुलासा नहीं हुआ है.

अधिकारियों ने बताया कि आव्रजन प्राधिकार द्वारा रोके जाने के बाद रोशनी कपूर को ईडी की जांच में शामिल होने को कहा गया.

उल्लेखनीय है कि रोशनी अपनी दो बहनों और मां के साथ कुछ कंपनियों की प्रवर्तक हैं जो ईडी की जांच के दायरे में है. आरोप है कि इन कंपनियों के जरिये धनशोधन किया गया और आपराधिक गतिविधि की गई.

रोशनी के पिता राणा कपूर को ईडी ने रविवार को धन शोधन निवारण कानून (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तार किया गया और स्थानीय अदालत ने उन्हें 11 मार्च तक के लिए एजेंसी की हिरासत में भेज दिया है.

सरकार बताए कि पांच साल में यस बैंक का कर्ज देना बेतहाशा क्यों बढ़ा: कांग्रेस

कांग्रेस ने प्रियंका गांधी के एक पेंटिंग यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर को बेचने पर भाजपा के सवाल खड़े करने को लेकर पलटवार करते हुए रविवार को कहा कि सरकार को ध्यान भटकाने की बजाय यह बताना चाहिए कि गत पांच वर्षों में इस बैंक के कर्ज वितरण में बेतहाशा बढ़ोतरी क्यों हुई.

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह भी कहा कि प्रियंका ने राजीव गांधी के चित्र वाली हुसैन की जो पेंटिंग बेची थी उसका भुगतान चेक से हुआ था और इस पर आयकर भी दिया गया था.

दरअसल, मालवीय ने एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए ट्वीट कर आरोप लगाया, ‘भारत में हर वित्तीय अपराध का गांधी परिवार से संबंध होता है. माल्या सोनिया गांधी को फ्लाइट अपग्रेड टिकट भेजता था. उसकी मनमोहन सिंह और पी चिदंबरम तक पहुंच थी. अब वह फरार है.’ उन्होंने दावा किया कि राहुल गांधी ने नीरव मोदी के ज्वेलरी कलेक्श्न का उद्घाटन किया और राणा कपूर ने प्रियंका गांधी से पेटिंग खरीदी.

इस पर पलटवार करते हुए सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘एमएफ हुसैन की पेंटिंग 10 साल पहले प्रियंका जी ने राणा कपूर को बेची और इसका अपने आयकर रिटर्न में उल्लेख भी किया. इसका मोदी सरकार में अप्रत्याशित ढंग से दिए गए दो लाख करोड़ रुपये के लोन से भला कैसे कोई संबन्ध हो सकता है.’ उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा नेताओं से राणा कपूर की निकटता सबको पता है.

सुरजेवाला ने कहा, ‘लोगों के पैसे डूबने के असली मुद्दे से ध्यान भटकाने की बजाय सरकार को यह बताना चाहिए कि यस बैंक की ओर से दिया गया कर्ज मोदी सरकार के पांच साल में 55 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर 2.41 लाख करोड़ रुपये कैसे हो गया?’ उन्होंने सवाल किया, ‘नोटबन्दी के बाद इस बैंक द्वारा कर्ज दिया जाने में 100 फीसदी का इजाफा कैसे हुआ? बैंक पर आरबीआई की रोक के बावजूद प्रधानमंत्री ने गत छह मार्च को इसी बैंक द्वारा प्रायोजित एक सम्मेलन को संबोधित क्यों किया? ‘ कांग्रेस नेता ने यह भी पूछा, ‘हरियाणा सरकार ने यस बैंक में एक महीने पहले एक हजार करोड़ रुपये क्यों जमा किए? क्या महाराष्ट्र की इससे पहले की फडणवीस सरकार ने भी यही किया था?

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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