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Thursday, 19 December, 2024
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CBI ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की

शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि 'दिल्ली के कसाई' के खिलाफ पार्टी के लगातार प्रयास रंग ला रहे हैं.

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नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े पुल बंगश मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ शनिवार को आरोप पत्र दाखिल किया.

यह मामला तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के एक दिन बाद एक नवंबर, 1984 को पुल बंगश इलाके में एक गुरुद्वारे में आग लगाए जाने और तीन लोगों की हत्या किए जाने से जुड़ा है. इस घटना में एक गुरुद्वारे में भी आगजनी की गई थी.

सीबीआई ने यहां एक विशेष अदालत के समक्ष दाखिल अपने आरोप पत्र में कहा है कि टाइटलर ने एक नवंबर 1984 को ‘‘पुल बंगश गुरुद्वारा आजाद मार्केट में एकत्र भीड़ को उकसाया और भड़काया’’, जिसके परिणामस्वरूप गुरुद्वारे को जला दिया गया और तीन सिखों ठाकुर सिंह, बादल सिंह और गुरु चरण सिंह की हत्या कर दी गई.

शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि “दिल्ली के कसाई” के खिलाफ पार्टी के लगातार प्रयास रंग ला रहे हैं.

पार्टी के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने ट्वीट किया, “1984 के सिख नरसंहार के लिए सभी कांग्रेस नेताओं को सुनिश्चित करने के लिए शिरोमणि अकाली दल के लगातार प्रयासों को सलाखों के पीछे डाल दिया गया है, दिल्ली के कसाई जगदीश टाइटलर को 1984 के नरसंहार पर नए चार्जशीट में नामजद किया जा रहा है. सभी दोषियों को सजा सुनिश्चित करने के लिए शिअद पूरी कोशिश करेगी.”

अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने टाइटलर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की 147 (दंगा), 148, 149 (गैर कानूनी तरीके से एकत्र होना) 109 (उकसाना), 302 (हत्या) और 295 (धार्मिक स्थलों को अपवित्र करना) समेत अन्य धाराओं के तहत आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि अदालत दो जून को आरोपों का संज्ञान लेगी.

टाइटलर पर हत्या करने वाली भीड़ को उकसाने का आरोप है. बहरहाल, सीबीआई ने मामले में तीन क्लोजर रिपोर्ट (मामला बंद करने संबंधी रिपोर्ट) दाखिल की, जिन्हें विशेष अदालत ने खारिज कर दिया.

सीबीआई ने पुल बंगश इलाके में हुए सिख विरोधी दंगों के मामले में हाल में टाइटलर की आवाज का सैंपल लिया था. दंगों की जांच करने वाले नानावटी आयोग की रिपोर्ट में टाइटलर का नाम शामिल था.

केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) आवाज़ के नमूनों की जांच करेगी. टाइटलर ने लैब से बाहर निकलते हुए कहा, “अगर मेरे खिलाफ एक भी सबूत है तो मैं फांसी पर चढ़ने को तैयार हूं.”

उन्होंने कहा,“मैने क्या कि? अगर मेरे खिलाफ सबूत हैं, तो मैं खुद को फांसी के तख्ते पर चढ़ाने के लिए तैयार हूं…यह 1984 के दंगों के मामले से संबंधित नहीं था, जिसके लिए वे मेरी आवाज़ (नमूना) चाहते थे, बल्कि ये एक अलग मामला था.”

हालांकि, सीबीआई के अधिकारियों ने कहा, “हमारे पास एक अन्य मामले में सबूत मिले हैं, इसलिए उन्हें अपनी आवाज़ का सैंपल देने के लिए कहा गया है.”

दिल्ली में वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों की घटनाओं की जांच के लिए भारत सरकार द्वारा वर्ष 2000 में न्यायमूर्ति नानावटी जांच आयोग का गठन किया गया था. आयोग की रिपोर्ट पर विचार करने के बाद, गृह मंत्रालय (भारत सरकार) ने तत्कालीन संसद सदस्य और अन्य के खिलाफ मामले की जांच के लिए सीबीआई को निर्देश जारी किए.

सीबीआई ने मामले में कांग्रेस नेता को क्लीन चिट दे दी थी, लेकिन 4 दिसंबर, 2015 के आदेश के बाद जांच फिर से शुरू की है.

आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या किए जाने के बाद हुई तबाही के दौरान दिल्ली में 2,100 सहित पूरे भारत में लगभग 2,800 सिख मारे गए थे.


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