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Tuesday, 24 December, 2024
होमदेश'जातिवादी मानसिकता': चेन्नई फूड फेस्टिवल में बीफ के साथ भेदभाव को लेकर विवाद

‘जातिवादी मानसिकता’: चेन्नई फूड फेस्टिवल में बीफ के साथ भेदभाव को लेकर विवाद

तमिलनाडु शहरी आजीविका मिशन द्वारा आयोजित यह उत्सव शुक्रवार को शुरू हुआ, लेकिन रविवार को कथित तौर पर गोमांस से बने व्यंजन मेनू में शामिल कर दिए गए, जबकि आयोजकों ने इस दावे को नकार दिया.

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चेन्नई: इस साल के फूड फेस्टिवल में शुरुआत में बीफ न होने की वजह से विवाद हो गया है. तमिलनाडु अर्बन लाइवलीहुड्स मिशन (TNULM) द्वारा आयोजित इस इवेंट में बीफ व्यंजन तब जोड़े गए, जब कुछ लोगों ने इसकी कमी की शिकायत की.

यह एक खास फेस्टिवल था, जहां राज्य के 65 स्व-सहायता समूहों की 150 से ज्यादा महिलाओं ने अपने हाथों से बने खाने के आइटम पेश किए. इस फेस्टिवल का उद्घाटन तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने शुक्रवार शाम को किया, और यह मंगलवार को समाप्त होगा. TNULM अधिकारियों के अनुसार, सोमवार तक इस फेस्टिवल में 3 लाख से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया.

लॉरेंस ने कहा कि 2022 में खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा शहर में आयोजित मेगा फूड फेस्टिवल के दौरान भी शुरू में मेनू में बीफ शामिल नहीं किया गया था, लेकिन व्यापक विरोध के बाद इसे जोड़ा गया. उन्होंने कहा, “ऐसा लगता है कि राज्य खुद को ब्राह्मणवादी दिखाना चाहता है. यह एक जातिवादी मानसिकता है.”

हालांकि, TNULM के एक अधिकारी, जिन्होंने नाम न बताने की शर्त पर बात की, ने दिप्रिंट को बताया कि फेस्टिवल में बीफ के साथ कोई भेदभाव नहीं किया गया और यह पहले दिन से ही परोसा जा रहा था. उन्होंने कहा, “शायद उन्होंने इसे नोटिस नहीं किया होगा.”

अधिकारी ने बताया कि रविवार को उन्होंने बीफ चुक्का और बीफ ग्रेवी परोसा, लेकिन इन व्यंजनों को ज्यादा लोग पसंद नहीं कर रहे थे. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें याद नहीं है कि शुक्रवार और शनिवार के मेनू में कौन-कौन से बीफ आइटम थे.

हालांकि, टेरेंस ने एक्स पर 21 दिसंबर और 22 दिसंबर के फेस्टिवल मेन्यू साझा किए. 21 दिसंबर के मेन्यू में बीफ डिश का जिक्र नहीं था.

द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के प्रवक्ता सेलम धरनीधरन ने इस मामले पर दिप्रिंट के सवालों का जवाब नहीं दिया.


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बिरयानी सबसे लोकप्रिय डिश

त्योहार में 285 शाकाहारी और मांसाहारी डिश में से बिरयानी अब तक सबसे लोकप्रिय रही है, यह जानकारी TNULM के एक अधिकारी ने दी. उन्होंने बताया कि अरकोट बिरयानी और कोयंबटूर कोंगु मटन बिरयानी की सबसे अधिक मांग रही, उसके बाद करूर थोल रोटी और मदुरै मटन करी डोसा का नंबर आता है.

उधयनिधि स्टालिन द्वारा प्रस्तावित इस पहल का उद्देश्य महिलाओं के स्व-सहायता समूहों (एसएचजी) को अधिक सार्वजनिक कार्यक्रमों में शामिल करना था. कार्यक्रम में लगे 45 स्टालों में से तीन स्टाल पैक्ड फूड उत्पादों जैसे स्नैक्स, अचार और चॉकलेट्स के लिए समर्पित हैं.

47 वर्षीय मल्लिका, जो चेन्नई स्थित एसएचजी शक्ति मगलीर कुज्हु की सदस्य हैं और इस फेस्टिवल में डोसे, चाय और कॉफी बेच रही हैं, ने बताया कि इस पहल से महिलाओं के स्व-सहायता समूहों के प्रति लोगों की धारणा बदली है.

“पहले लोग सोचते थे कि हम बस एक जगह इकट्ठा होकर झगड़ा करते हैं, लेकिन अब वे हमारा सम्मान करते हैं.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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