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Monday, 11 August, 2025
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जातीय हिंसा और अवैध अप्रवासी मणिपुर लोकसभा चुनाव के अहम मुद्दों में शामिल

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इंफाल, 16 मार्च (भाषा) मणिपुर लोकसभा चुनाव के अहम मुद्दों में जातीय हिंसा और अवैध अप्रवासियों का भी मामला शामिल है।

राज्य के मेइती और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा के कारण पिछले साल मई से अब तक 200 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है ऐसे में इसका एक चुनावी मुद्दा बनना स्वाभाविक है।

इस संघर्ष ने कई अन्य मुद्दों को भी जन्म दिया है जिन पर पूर्वोत्तर राज्य की दो लोकसभा सीट (आंतरिक मणिपुर और बाहरी मणिपुर) में चुनाव प्रचार के दौरान व्यापक रूप से बहस होगी।

म्यांमा से अवैध अप्रवासी, जिसके बारे में भाजपा का दावा है कि यह हिंसा का मूल कारण है, संघर्ष के कारण लोगों का विस्थापन और कुकी उग्रवादियों के साथ अभियान के निलंबन का समझौता अन्य प्रमुख मुद्दों में शामिल हैं।

राज्य में 19 और 26 अप्रैल को दो चरणों में चुनाव होंगे।

पिछले साल तीन मई को पहली बार दो समुदायों के बीच जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद से मणिपुर बार-बार हिंसा की चपेट में आता रहा है। तब से अब तक कम से कम 219 लोग मारे जा चुके हैं।

झड़पें कई शिकायतों को लेकर हुई हैं जो दोनों पक्षों को एक दूसरे के प्रति हैं। हालांकि, संकट का मुख्य कारण मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का कदम (जिसे बाद में वापस ले लिया गया) और संरक्षित वन क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों को बाहर करने का प्रयास रहा है।

राज्य में मेइती समुदाय की आबादी 53 फीसदी है जो मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि कुकी समुदाय की आबादी 40 फीसदी है जो मुख्य रूप से पर्वतीय जिलों में रहते हैं।

मणिपुर लोकसभा चुनाव के प्रमुख मुद्दे ये हैं-

1-अवैध अप्रवासी: सरकार द्वारा म्यांमा से अवैध अप्रवासियों को जातीय हिंसा का मूल कारण बताया गया है। इस मुद्दे के समाधान के लिए केंद्र ने सीमा पर बाड़ लगाने और मुक्त आवाजाही व्यवस्था को रद्द करने की घोषणा की है, जिससे आदिवासी लोगों को काफी निराशा हुई है। हालांकि, इस कदम का मेइती लोगों ने स्वागत किया है।

2-आंतरिक रूप से विस्थापित लोग: जातीय हिंसा के कारण 60 हजार से अधिक लोग बेघर हो गए जो या तो आश्रय गृहों में रह रहे हैं या फिर आनन-फानन में त्वरित आधार पर बनाए गए घरों में रह रहे हैं। लेकिन वे अपने मूल घरों में लौटना चाहते हैं, जिनमें से अधिकांश को नष्ट कर दिया गया है या जला दिया गया है।

3- अभियान का निलंबन: अभियान के निलंबन (एसओओ) समझौते पर केंद्र, मणिपुर सरकार और कुकी उग्रवादी संगठनों के दो समूहों द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे। इस समझौते पर 2008 में हस्ताक्षर किए गए थे जब कांग्रेस सत्ता में थी और उसके बाद समय-समय पर इसे बढ़ाया गया। अब यह आरोप लगाया जा रहा है कि उग्रवादियों ने मूलभूत नियमों का उल्लंघन किया और झड़पों में शामिल थे।

4-नगा कारक: नगा समुदाय के लोग, जो बाहरी मणिपुर में सबसे अधिक मतदाता हैं, जारी हिंसा में शामिल नहीं रहे। नगा, मेइती के साथ इतिहास साझा करते हैं और साथ ही कुकी की तरह ईसाई धर्म को मानते हैं और अनुसूचित जनजाति समुदाय से आते हैं।

भाषा संतोष धीरज

धीरज

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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