नयी दिल्ली, 10 जून (भाषा) राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने मंगलवार को दावा किया कि जातिगत गणना की सरकार की घोषणा से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को फायदा होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि राजग को मगध और शाहाबाद जैसे क्षेत्रों में अपने वोट को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
कुशवाहा ने ‘अखिल भारतीय कलवार कलाल कलार संघ’ के प्रमुख राजीव जायसवाल सहित संगठन के कई सदस्यों के उनकी पार्टी में शामिल होने के बाद यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पिछले साल लोकसभा चुनाव में काराकाट सीट से उनकी हार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के लिए क्षति थी। बिहार में इस गठबंधन में आरएलएम के अलावा जनता दल (यूनाइटेड), लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास (एलजेपी-आर) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शामिल हैं।
उन्होंने परिसीमन की अपनी मांग दोहराते हुए कहा कि इसका विरोध करना संविधान का विरोध करने के समान है।
किसी का नाम लिये बिना उन्होंने कहा कि दक्षिणी राज्यों के कुछ मुख्यमंत्री लोगों से जनसंख्या बढ़ाने के लिए कह रहे हैं, जो राष्ट्रीय नीति के खिलाफ है।
यद्यपि आरएलएम परिसीमन की मांग को लेकर अभियान चला रहा है, लेकिन कुशवाहा ने इस बात से इनकार किया कि यह बिहार चुनाव से पहले ‘शक्ति प्रदर्शन’ है।
कुशवाहा ने सीट बंटवारे को लेकर किसी वार्ता पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि यह राजग का ‘‘आंतरिक मामला’’ है।
उन्होंने कहा, ‘‘परिसीमन से संबंधित अभियान को सीट बंटवारे से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। यह संयोग की बात है कि चुनाव आ रहे हैं।’’
जनगणना के साथ-साथ जातिगत गणना कराने की केंद्र की घोषणा के बारे में पूछे जाने पर कुशवाहा ने कहा कि इसका श्रेय राजग को जाएगा और इससे राज्य में आगामी विधानसभा चुनावों में गठबंधन को मदद मिलने की संभावना है।
उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र सरकार ने पहले ही जातिगत गणना की घोषणा कर दी है, इसका श्रेय केंद्र को मिलेगा। कांग्रेस लंबे समय तक सत्ता में थी, उन्होंने जातिगत गणना क्यों नहीं कराई? लालू यादव केंद्र में एक शक्तिशाली मंत्री थे, वह सरकार पर इसे (जातिगत गणना) कराने के लिए दबाव डाल सकते थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘बिहार में लोग जातिगत गणना चाहते थे। इसे ध्यान में रखते हुए, जो गठबंधन या सरकार इसके समर्थन में निर्णय लेगी, उसे स्वाभाविक रूप से लोगों की सहानुभूति मिलेगी…।’’
लोकसभा चुनाव में कुशवाहा को बिहार की काराकाट सीट पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के उम्मीदवार राजा राम सिंह से पराजय का सामना करना पड़ा था।
राज्यसभा सदस्य ने कहा कि उनकी हार राजग के लिए भी एक नुकसान है। उन्होंने शाहाबाद और मगध क्षेत्र के समर्थकों को एकजुट करने पर जोर दिया। काराकाट सीट शाहाबाद क्षेत्र में आती है।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर मैं काराकाट नहीं हारता, तो हम आसपास के इलाकों में भी जीत हासिल कर लेते। हमें सावधान रहना चाहिए कि ऐसा दोबारा न हो और पिछले अनुभव के आधार पर भविष्य की रणनीति बनाई जानी चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अगर उपेंद्र कुशवाहा हार गए, तो राजग भी हार गया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान शाहाबाद और मगध के क्षेत्र में नतीजे राजग के लिए उम्मीद के मुताबिक नहीं थे। वर्ष 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में भी यही स्थिति थी। इसका एकमात्र कारण यह है कि इस क्षेत्र में राजग का वोट एकजुट नहीं है। जब वोट बंटते हैं, तो महागठबंधन को फायदा होता है।’’
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि परिसीमन का विरोध करना संविधान का उल्लंघन है, जो हर वोट के लिए समान मूल्य प्रदान करता है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने देखा कि एक दक्षिण के एक मुख्यमंत्री ने लोगों से अपनी जनसंख्या बढ़ाने का आग्रह किया है… भारत सरकार जनसंख्या को नियंत्रित करना चाहती है, (ऐसे में मुख्यमंत्री की सलाह) यह देश की घोषित नीति के खिलाफ है।’’
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू उन मुख्यमंत्रियों में शामिल हैं, जिन्होंने अपने राज्यों में लोगों से जनसंख्या बढ़ाने का आग्रह किया है।
भाषा सुरेश पवनेश
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