बेंगलुरु, 18 अप्रैल (भाषा) कर्नाटक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आर अशोक ने जाति जनगणना के नाम से जानी जाने वाली सामाजिक एवं शैक्षणिक सर्वेक्षण रिपोर्ट को ‘अवैज्ञानिक’ करार देते हुए शुक्रवार को सवाल किया कि कांग्रेस सरकार राज्य के लोगों से यह उम्मीद कैसे कर सकती है कि वे ऐसी रिपोर्ट को स्वीकार कर लेंगे जिसे कथित तौर पर मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के ‘‘गिरोह’’ ने किसी कोने में तैयार किया है।
भाजपा नेता ने यह भी कहा कि नवंबर में इस्तीफा देने जा रहे मुख्यमंत्री जाति जनगणना को ‘‘राजनीतिक लाभ’’ के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं।
अशोक ने दावा किया, ‘‘राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष एच. कंथाराजू, जिन्हें जाति जनगणना रिपोर्ट तैयार करने का काम सौंपा गया था, ने रिपोर्ट पर हस्ताक्षर नहीं किए और भाग गए। जब जयप्रकाश हेगड़े, जो बाद में अध्यक्ष बने, ने रिपोर्ट की जांच की, तो उन्होंने पाया कि यह मूल नहीं, बल्कि महज एक प्रति थी। हेगड़े ने इस बारे में सरकार को एक पत्र लिखा है।’’
उन्होंने पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा, ‘‘यह रिपोर्ट सिद्धरमैया के ‘गिरोह’ द्वारा किसी कोने में बैठकर तैयार की गई है। आप राज्य के लोगों से यह कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि वे इसे स्वीकार करेंगे? क्या यह उचित है?’’
अशोक ने कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘‘यदि पिछले 10 वर्षों में एक करोड़ बच्चे पैदा हुए हैं, तो उन्हें किस श्रेणी में रखा जाएगा? इस नयी पीढ़ी का भविष्य क्या है? उनके लिए आरक्षण के मानदंड क्या हैं?’’
सिद्धरमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार (2013-2018) ने 2015 में सर्वेक्षण का आदेश दिया था।
तत्कालीन अध्यक्ष एच. कंथाराजू के नेतृत्व में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को जाति जनगणना रिपोर्ट तैयार करने का काम सौंपा गया था।
सर्वेक्षण का कार्य मुख्यमंत्री के रूप में सिद्धारमैया के पहले कार्यकाल के अंत में 2018 में पूरा हुआ था और रिपोर्ट को उनके उत्तराधिकारी के. जयप्रकाश हेगड़े ने फरवरी 2024 में अंतिम रूप दिया था।
भाषा नेत्रपाल माधव
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