बेंगलुरु, आठ अक्टूबर (भाषा) कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने मंगलवार को कहा कि सामाजिक-आर्थिक और शिक्षा सर्वेक्षण रिपोर्ट को या तो कैबिनेट की एक उपसमिति के पास भेजा जाएगा या उसे विधानमंडल में पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस संबंध में अगले सप्ताह कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया जाएगा और उसी आधार पर कदम उठाया जाएगा।
सामाजिक-आर्थिक और शिक्षा सर्वेक्षण रिपोर्ट को ‘जाति आधारित जनगणना’ भी कहा जाता है।
इससे पहले, सोमवार को मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा था कि जाति आधारित जनगणना को चर्चा के लिए ‘संभवतः’ 18 अक्टूबर को कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा।
अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय के वरिष्ठ नेता परमेश्वर ने विपक्ष की आलोचना पर पलटवार करते हुए कहा, ‘हम पर इतना पैसा खर्च करने के बाद भी जाति आधारित जनगणना को ठंडे बस्ते में रखने का आरोप लगाया गया। अब जब हम यह कह रहे हैं कि इसे सार्वजनिक करेंगे, तो वे इसे स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं।’
उन्होंने यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि राज्य में हर कोई जानता है कि पिछड़े वर्गों, अल्पसंख्यकों और दलितों की संख्या अधिक है और आने वाले दिनों में सरकार के लिए कार्यक्रम बनाने और योजना बनाने में जाति आधारित जनगणना मददगार साबित होगी।
उन्होंने कहा, ‘क्या हमें उन समुदायों के लिए कार्यक्रम तैयार नहीं करने चाहिए। जनसंख्या के आधार पर कार्यक्रम बनाए जाते हैं। यही कारण है कि मुख्यमंत्री ने कहा है कि जाति आधारित जनगणना रिपोर्ट 18 अक्टूबर को कैबिनेट के समक्ष रखी जाएगी, वहां इस पर चर्चा होगी।’
मंत्री ने कहा कि चर्चा के दौरान व्यक्त किए गए विचारों के आधार पर यह तय किया जाएगा कि उप-समिति बनाई जाए या इसे विधानसभा में पेश किया जाए। कांग्रेस में वोक्कालिगा और लिंगायत नेताओं द्वारा जाति आधारित जनगणना रिपोर्ट के कार्यान्वयन का समर्थन नहीं करने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘नहीं, समर्थन का सवाल यहां नहीं आएगा। तथ्य लोगों के सामने रखे जाएंगे, इस पर आपत्ति कैसे हो सकती है?’’
भाषा अविनाश दिलीप
दिलीप
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