नई दिल्ली: पटना हाईकोर्ट ने गुरुवार को बिहार में जाति गणना और आर्थिक सर्वेक्षण पर अंतरिम रोक लगाते हुए कहा कि अगली सुनवाई 3 जुलाई को होगी.
बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद मीडिया से कहा कि कोर्ट का निर्देष पढ़ने के बाद ही सरकार अपना अगला कदम उठाएगी.
उन्होंने आगे कहा, “मगर ये जाति आधारित जनगणना नहीं थी बल्कि सर्वे था, सरकार ने इससे पहले कोई सर्वे नहीं कराया है. हमारी सरकार ये सर्वे कराने के लिए प्रतिबद्ध है. ये जनता के हित में था और जनता की मांग थी कि ये सर्वे होना चाहिए.”
जाति आधारित जनगणना पर रोक लगाने के बाद तेजस्वी ने यह भी कहा, “जाति आधारित जनगणना लोगों के कल्याण के लिए है, हम गरीबी, पिछड़ेपन को मिटाना चाहते हैं. एक बात स्पष्ट है, यह होना तय है.”
बिहार में जातीय जनगणना और आर्थिक सर्वेक्षण पर अंतरिम रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर बुधवार को पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी की थी और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश केवी चंद्रन की खंडपीठ ने अखिलेश कुमार और अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई की.
पटना हाईकोर्ट द्वारा जाति आधारित जनगणना पर रोक लगाने पर बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद ने कहा कि बिहार सरकार ने इस मुद्दे को ठीक से हाईकोर्ट के सामने नहीं रखा इसलिए इस प्रकार का निर्णय आया है. मैं तो इस महागठबंधन सरकार पर आरोप लगाता हूं कि जाति आधारित जनगणना पर इनकी (बिहार सरकार) मंशा गलत थी.
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार, रितु राज व अभिनव श्रीवास्तव व राज्य की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही ने पक्षकारों को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया.
पटना हाई कोर्ट के फैसले के बाद अधिवक्ता दीनू कुमार ने कहा कि अंतरिम फैसले में माना गया कि जो सरकार ने प्रोसेस अपनाया वो असंवैधानिक है और यह कानूनी तौर पर गलत है.
उन्होंने आगे कहा कि, “बिहार सरकार ने इस जनगणना में जो 500 करोड़ रुपए लगाए, वो जनता का पैसा है और इसे इस तरह मिसयूज नहीं किया जा सकता है.”
कुमार ने आगे बताया की हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को अभी तक के डेटा को संरक्षित रखने के लिए कहा है और इसे नष्ट न करने के निर्देश दिए हैं.
दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार जातिगत और आर्थिक सर्वे करा रही है. उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण करने का यह अधिकार राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर है.
बुधवार को सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता पीके शाही ने कहा कि जनकल्याण की योजना बनाने और सामाजिक स्तर को सुधारने के लिए सर्वे कराया जा रहा है.
बिहार सरकार ने 7 जनवरी को जाति सर्वेक्षण का पहला चरण शुरू किया था. वहीं दूसरा चरण अप्रैल में शुरू किया गया था.
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