(फाइल फोटो सहित)
नयी दिल्ली, 29 मई (भाषा) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बृहस्पतिवार को कहा कि आगामी जनगणना में जाति गणना सामाजिक न्याय लाने के लिए एक परिवर्तनकारी कदम होगी। उन्होंने साथ ही इस बात को खारिज कर दिया कि इससे समाज में समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
उन्होंने कहा कि विचारपूर्वक एकत्रित जातिगत आंकड़ा एकीकरण का माध्यम होगा, जैसे शरीर की एमआरआई होती है। उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि ठोस आंकड़ों के बिना नीतिगत योजना बनाना अंधेरे में सर्जरी करने जैसा है।
भारतीय सांख्यिकी सेवा (आईआईएस) के प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जाति गणना एक परिवर्तनकारी और बड़ा बदलाव लाने वाला कदम होगी। उन्होंने कहा कि यह सामाजिक न्याय लाने में मदद करेगी और आंखें खोलने वाला कदम होगी।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में धनखड़ के हवाले से कहा गया, ‘‘यह लोगों की आकांक्षाओं को संतुष्टि देगी। यह सरकार का एक व्यापक निर्णय है।’’
धनखड़ ने कहा कि जातिगत आंकड़े, यदि सोच-समझकर एकत्र किए जाएं, तो वे किसी भी प्रकार से विभाजनकारी नहीं हैं, बल्कि वे एकीकरण के उपकरण बन सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग इस पर बहस कर रहे हैं, लेकिन हम परिपक्व समाज हैं। किसी जानकारी को इकट्ठा करना समस्या कैसे हो सकता है? यह तो अपने शरीर की एमआरआई कराने जैसा है-तभी तो आपको अपने बारे में जानकारी मिलती है। इस प्रक्रिया से हम संविधान में निहित समानता जैसे अमूर्त संकल्पों को मापनीय और जवाबदेह नीतिगत परिणामों में परिवर्तित कर सकते हैं।’’
धनखड़ ने दोहराया कि भारत का विकसित राष्ट्र बनने का संकल्प केवल आकांक्षा नहीं, बल्कि साक्ष्य-आधारित योजना पर आधारित है।
उन्होंने कहा, ‘‘विकसित भारत का मार्ग आंकड़ों के आधार पर साक्ष्य-आधारित मील के पत्थरों से चिह्नित है। हमें ऐसा राष्ट्र बनाना है जो अनुभवजन्य रूप से सोचता हो और ठोस प्रमाणों के आधार पर आगे बढ़े।’’
धनखड़ ने नीति निर्धारण में प्रासंगिक आंकड़ों के इस्तेमाल पर जोर देते हुए कहा कि सांख्यिकी सिर्फ संख्याओं की बात नहीं है, यह उससे कहीं अधिक है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि यदि आंकड़े समकालीन परिप्रेक्ष्य में न हों, तो वह बासी हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि सही समय पर लिए गए निर्णय क्रांतिकारी प्रभाव डाल सकते हैं।
विभिन्न पक्षों और विभिन्न राजनीतिक दलों की मांगों के बीच सरकार ने पिछले महीने अगली राष्ट्रव्यापी जनगणना में जाति गणना को शामिल करने का निर्णय लिया।
भाषा आशीष नरेश
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