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बुधवार, 30 अप्रैल, 2025
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जातिगत गणना : बीजद ने किया स्वागत, भाकपा (माले) लिबरेशन ने लोकप्रिय मांग की ‘विलंबित स्वीकृति’ बताया

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भुवनेश्वर, 30 अप्रैल (भाषा) केंद्र द्वारा अगली जनगणना में जातिगत गणना को शामिल करने के फैसले का बीजू जनता दल (बीजद) ने बुधवार को स्वागत किया, जबकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी लेनिनवादी) लिबरेशन ने अगला कदम उठाने की मांग की है।

बीजद अध्यक्ष एवं ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने दावा किया कि उनका क्षेत्रीय संगठन लंबे समय से जातिगत गणना की मांग कर रहा है क्योंकि उनकी पार्टी सामाजिक न्याय के पक्ष में है।

पटनायक ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर जारी पोस्ट में कहा, ‘‘आगामी जनगणना में जातिगत गणना को शामिल करने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले का स्वागत है। बीजद बार-बार देशव्यापी जातिगत गणना और आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा को हटाने की मांग कर रहा है।’’

पटनायक ने कहा, ‘‘ओडिशा में, हमने 2023 में विभिन्न वर्गों के लोगों की संख्या की गणना करने के लिए कुछ ठोस कदम उठाए हैं ताकि हमें उनके विकास और उत्थान के लिए योजना बनाने में मदद मिल सके।’’

भाकपा (माले) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि अगली जनगणना में जातिगत गणना को शामिल करने की घोषणा लोकप्रिय मांग की ‘‘विलंबित स्वीकृति’’ है।

उन्होंने कहा कि केंद्र को बिहार में बढ़े हुए आरक्षण को लागू करने के बारे में भी अपनी मंशा स्पष्ट करनी चाहिए।

भट्टाचार्य ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘यह जातिगत गणना की लोकप्रिय मांग की देर से की गई स्वीकृति है, लेकिन जिस तरह से वे उन राज्यों को निशाना बना रहे हैं जहां जाति सर्वेक्षण हो चुका है, तथा राजनीतिक प्रेरणा की अप्रत्यक्ष टिप्पणियां कर रहे हैं, उससे उनका निर्णय संदिग्ध हो जाता है।’’

जनता दल सेक्युलर नेता एवं केंद्रीय मंत्री एच डी कुमारस्वामी ने अगली जनगणना में जातिगत गणना को शामिल करने के केंद्र सरकार के फैसले को बुधवार को ‘ऐतिहासिक’ बताया। उन्होंने कहा कि इससे प्रामाणिक, वैज्ञानिक और पारदर्शी जातिगत आंकड़े उपलब्ध होंगे तथा यह ‘राजनीति से प्रेरित’ राज्य-स्तरीय सर्वेक्षणों से अलग होगा जिनमें अक्सर विश्वसनीयता और एकरूपता का अभाव होता है।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सराहना करते हुए इसे राष्ट्रहित में एक ‘‘निर्णायक और दूरदर्शी कदम’’ बताया।

कुमारस्वामी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गतिशील नेतृत्व में एक ऐतिहासिक और दूरदर्शी निर्णय, जातिगत गणना अब 1931 के बाद पहली बार राष्ट्रीय जनगणना का हिस्सा होगी।’’

भाषा

धीरज सुरेश

सुरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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