नयी दिल्ली, आठ मई (भाषा) प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त तीन सदस्यीय समिति की रिपोर्ट साझा की है, जिसने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ नकदी बरामदगी के आरोपों की जांच की है।
प्रधान न्यायाधीश ने समिति की रिपोर्ट के साथ न्यायमूर्ति वर्मा का जवाब भी साझा किया है।
उच्चतम न्यायालय ने एक बयान में कहा, ‘‘भारत के प्रधान न्यायाधीश ने आंतरिक प्रक्रिया के अनुसार राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है, जिसमें तीन सदस्यीय समिति की तीन मई की रिपोर्ट की प्रति तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा से प्राप्त छह मई के पत्र/प्रतिक्रिया की प्रति संलग्न है।’’
ऐसा माना जा रहा है कि प्रधान न्यायाधीश ने पहले समिति की रिपोर्ट न्यायमूर्ति वर्मा को भेजी थी और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन करते हुए उनसे जवाब मांगा था।
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जी एस संधावालिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति अनु शिवरमन की तीन सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रधान न्यायाधीश को सौंपी थी।
समिति ने साक्ष्यों का विश्लेषण किया और 50 से अधिक लोगों के बयान दर्ज किए, जिनमें दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा और दिल्ली अग्निशमन सेवा प्रमुख भी शामिल थे। दोनों अधिकारी 14 मार्च को रात करीब 11:35 बजे न्यायमूर्ति वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आवास पर आग लगने की घटना के बाद सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वालों में शामिल थे।
न्यायमूर्ति वर्मा उस समय दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे।
भाषा शफीक नरेश
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