अहमदाबाद, 21 फरवरी (भाषा) अहमदाबाद बम विस्फोट मामले में 38 लोगों को मौत की सजा सुनाए जाने के उपरांत भारतीय जनता पार्टी की गुजरात इकाई की ओर से ट्वीट किए गए कैरीकेचर को ट्विटर द्वारा हटा दिये जाने के एक दिन बाद सोमवार को सत्तारूढ़ दल ने दावा किया कि वह कार्टून असली तस्वीरों पर आधारित था और इसमें किसी धर्म अथवा समुदाय को निशाना नहीं बनाया गया था।
कांग्रेस और कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कार्टून हटाने के ट्विटर के फैसले का स्वागत किया और दावा किया कि भाजपा अदालत के फैसले से राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रही है।
इस ट्वीट में एक कार्टून था। कार्टून में कुछ पुरुषों को टोपी पहने हुए दिखाया गया था, जो फांसी के फंदे से लटके हुए थे। इसकी पृष्ठभूमि में एक तिरंगा और बम विस्फोट को दर्शाने वाला एक चित्र था, जिसके ऊपरी हिस्से में दाएं कोने पर ‘‘सत्यमेव जयते’’ लिखा हुआ था।
इसे अहमदाबाद सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले में विशेष अदालत के फैसले के एक दिन बाद शनिवार को गुजरात भाजपा के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर पोस्ट किया गया था। अदालत ने इस मामले में 38 दोषियों को मौत की सजा और 11 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इन धमाकों में 56 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 200 से अधिक अन्य व्यक्ति घायल हो गए थे।
यह कार्टून अब भाजपा की राज्य इकाई के इंस्टाग्राम या फेसबुक में उपलब्ध नहीं है।
पार्टी की राज्य इकाई के प्रवक्ता डॉ रुत्विज पटेल ने कहा, ‘‘यह स्केच फैसले के एक दिन बाद समाचार पत्रों द्वारा प्रकाशित दोषियों की असली तस्वीरों पर आधारित था। गुजरात भाजपा या उसकी सोशल मीडिया टीम की स्केच के जरिये किसी धर्म विशेष अथवा सुमदाय को निशाना बनाने की मंशा नहीं थी।’’
उन्होंने कहा कि जब (आतंकवादी) ओसामा बिन लादेन मारा गया था तो उसके स्केच भी अमेरिका में प्रकाशित हुए थे।
भाजपा की गुजरात इकाई के मीडिया संयोजक यग्नेश दवे ने रविवार को कहा कि ट्विटर ने ‘‘किसी के शिकायत करने पर’’ कैरीकेचर को हटा दिया है।
इस बीच कांग्रेस की राज्य इकाई के प्रवक्ता मनीष दोषी ने ट्विटर के फैसले का स्वागत किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा दृढ़ता से मानना है कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं है। कांग्रेस अपने दो नेताओं – इंदिरा गांधी और राजीव गांधी- को आतंकवाद से लड़ते हुए खो चुकी है। अदालतों के फैसलों को राजनीतिक चश्मों से नहीं देखा जाना चाहिए।’’
सामाजिक कार्यकर्ता मुजाहिद नफीस ने कहा कि भाजपा हमेशा देश के अल्पसंख्यकों, खासतौर पर मुसलमानों और ईसाइयों को राजनीतिक लाभ के लिए निशाना बनाती है।
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शोभना सुरेश
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