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Tuesday, 24 December, 2024
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तमिलनाडु के सियासी धुरंधरों से मोर्चा लेने वाले ‘कैप्टन’ विजयकांत ने राजनीति में उत्थान और पतन दोनों देखा

विजयकांत अभिनेता से नेता बने, वो कोविड ​​-19 से संक्रमित थे, उनका गुरुवार को 71 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उनकी पार्टी, डीएमडीके ने 2006 में अपने पहले चुनाव में 8 प्रतिशत से अधिक वोट शेयर हासिल किया और 2011 में तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई.

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नई दिल्ली: अपने परोपकार के लिए ‘करुप्पु एमजीआर’ (श्याम एमजीआर) के रूप में पहचाव बनाने वाले, विजयकांत एमजीआर और जयललिता के बाद तमिलनाडु की राजनीति में छाप छोड़ने वाले एकमात्र अभिनेता थे. उनकी पार्टी, देसिया मुरपोक्कू द्रविड़ कड़गम (डीएमडीके) ने 2006 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ते समय 8.4 प्रतिशत वोट हासिल किए थे, और पांच साल बाद यह राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई थी – एक दम से बढ़ने वाली इस पार्टी ने कुछ ही समय में जबरदस्त गिरावट भी देखी.

तमिल फिल्मों में एक्शन हीरो के पर्याय विजयकांत ने बड़े पर्दे पर भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई और राजनीति में उल्लखेनीय बदलाव किया. वह बहुत ही कम समय में तमिलनाडु के सियासी आसमान के चमकते सितारे भी बने जिससे समर्थकों में उनके राज्य का मुख्यमंत्री बनने की आस जगी लेकिन खराब स्वास्थ्य उन पर हावी होता गया.

उनकी आवाज भ्रष्टाचार के खिलाफ मुखर थी और कभी-कभी राज्य की दो प्रमुख द्रविड़ पार्टियों को मुश्किल में भी डाल देती थी लेकिन यह आवाज बृहस्पतिवार को हमेशा के लिए शांत हो गई. इससे उनके काडर और समर्थकों में शोक की लहर फैल गई है.

देसिया मुरपोक्कु द्रविड़ कषगम (डीएमडीके) महासचिव और विजयकांत की पत्नी प्रेमलता को पार्टी को आगे बढ़ाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन विजयकांत एक ऐसा नाम है जो तमिलनाडु की राजनीति या फिल्म उद्योग में फीका नहीं पड़ेगा.


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जयललिता और करुणानिधि को चुनौती देने वाले

उन्हें पूर्व मुख्यमंत्रियों और राज्य के राजनीतिक दिग्गजों एम करुणानिधि और जे जयललिता को राजनीतिक क्षेत्र में चुनौती देने और उनके रहते जनता में अपनी पकड़ बनाने के साहस के लिए याद किया जाएगा.

विजयकांत को ‘करुप्पु एमजीआर’ (‘ श्याम एमजीआर’) उपनाम से भी जाना जाता है. वह शायद तमिलनाडु के इतिहास में एक ऐसे अद्वितीय नेता के रूप में जाने जाएंगे, जिन्होंने लगभग 18 वर्षों तक राजनीतिक क्षेत्र पर हावी रहकर अपनी सफलता की कहानी लिखी.

ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) हो या भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), राजनीतिक दल 2005 में मदुरै में स्थापित उनकी पार्टी डीएमडीके को दोनों चुनाव के दौरान सत्तारूढ़ दल द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) से मुकाबला करने के लिए एक आदर्श ताकत के रूप में देखते थे. लेकिन हाल के दिनों में विजयकांत के खराब स्वास्थ्य के कारण, संगठन एक क्षेत्रीय पार्टी के रूप में अपनी उपस्थिति बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है.

200 से अधिक तमिल फिल्मों के साथ-साथ राजनीति में भी उन्होंने गहरी छाप छोड़ी. भ्रष्टाचार या कदाचार का विरोध करने और गरीबों और पीड़ितों तक पहुंचने में उनकी निजी विशेषता थी. उन्होंने अपने पूरे 71 साल के जीवन में साफ-सुथरी छवि बनाए रखी और अपनी उदारता के लिए जाने जाते थे.

उनकी पार्टी छोड़ अन्नाद्रमुक में शामिल होने वाले एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘वह राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में उम्मीद की तरह उभरे. हमें बहुत उम्मीदें थीं कि ‘कैप्टन’ (विजयकांत को प्यार से कैप्टन कहा जाता था) पार्टी को जीत दिलाएंगे और मुख्यमंत्री बनेंगे. लेकिन उनके राजनीतिक करियर को झटका तब लगा जब उन्होंने अन्नाद्रमुक से गठबंधन तोड़ दिया.’’

विजयकांत को आखिरी बार सार्वजनिक रूप से चेन्नई में 14 दिसंबर को तब देखा गया जब प्रेमलता को डीएमडीके ने महासचिव पद के लिए चुना.

तेलुगु भाषी नायडू समुदाय से आने के बावजूद, 25 अगस्त 1952 को जन्मे विजयकांत की तमिल के तौर पर पहचान थी और तमिल लोग उन्हें बेहद गोरे, अन्नाद्रमुक संस्थापक (पूर्व मुख्यमंत्री एम जी रामचंद्रन) के विपरीत ‘करुप्पु एमजीआर’ (श्याम एमजीआर) कहते थे. उनका असली नाम नारायणन विजयराज अलगरस्वामी था.

वह 2011-2016 तक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे. वह विरुधाचलम और ऋषिवंडियम निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हुए दो बार विधायक भी रहे.

विजयकांत 1980 के दशक और बाद के वर्षों में की गई अपनी एक्शन फिल्मों के लिए खास तौर पर पसंद किए जाते थे. उन्हें उनकी 100वीं फिल्म ‘कैप्टन प्रभाकरण’ के लिए ‘कैप्टन’ उपनाम मिला. उन्हें ‘पुराची कलैग्नार’ का भी तमगा मिला. उन्होंने सुपरहिट फिल्म ‘वानाथाई पोला’ सहित अपनी फिल्मों के लिए राज्य और राष्ट्रीय पुरस्कार जीते. उनकी ‘रमना’, ‘वल्लारसु’, सिम्मासनम’, ‘वांचीनाथन’ और ‘नरसिम्हा’ फिल्मों को दर्शकों ने खूब सराहा.

डीएमडीके का 14 सितंबर, 2005 को औपचारिक रूप से गठन करने के बाद उनकी पार्टी ने 2006 का विधानसभा चुनाव लड़ा और वह अकेले विजेता रहे. दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने खर्चों को पूरा करने के लिए धन जुटाने के बजाय अपनी पार्टी को अपने निजी धन से चलाया.

तमिलनाडु विधानसभा के 2011 में हुए चुनाव के दौरान उन्होंने अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन किया और पार्टी द्वारा लड़ी गई 41 सीटों में से 29 पर जीत हासिल की जो द्रमुक द्वारा विधानसभा में जीती गई सीटों से अधिक थीं.

अन्नाद्रमुक के साथ अनबन होने के बाद विजयकांत ने 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा से गठबंधन किया और द्रमुक और अन्नाद्रमुक के खिलाफ चुनाव लड़ा. उन्होंने उलुंदुरपेट निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा लेकिन अन्नाद्रमुक के आर कुमारगुरु से हार गए.

उन्होंने 2021 के विधानसभा चुनाव में टी टी वी दिनाकरन के नेतृत्व वाली अम्मा मक्कल मुनेत्र कषगम (एएमएमके) के साथ गठबंधन किया लेकिन यह उनकी पार्टी डीएमडीके के लिए नुकसानदेह साबित हुई.

अपने सफल अभिनय और राजनीतिक करियर के अलावा, विजयकांत ने एक टेलीविजन चैनल ‘कैप्टन टीवी’ और एक इंजीनियरिंग कॉलेज की भी स्थापना की.

विजयकांत ने कोविड लॉकडाउन के दौरान अपने अंडाल अलागर इंजीनियरिंग कॉलेज और विशाल डीएमडीके पार्टी कार्यालय को राज्य सरकार से, संक्रमित लोगों के इलाज के लिए विशेष कोविड-19 अस्पतालों के रूप में इस्तेमाल करने की पेशकश की थी.


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