नई दिल्ली: गौतम बुद्ध नगर के दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) द्वारा छात्रों से स्कूल में नॉन-वेज खाना न लाने का अनुरोध करके विवाद खड़ा करने वाले एक सर्कुलर के कुछ दिनों बाद, कुछ अभिभावकों ने कहा है कि वे इस मामले पर चर्चा करने के लिए स्कूल प्रशासन से मिलेंगे.
एक चिंतित अभिभावक, जिनकी बेटी कक्षा 10 में पढ़ती है, ने दिप्रिंट को बताया, “स्कूल छात्रों की खाने की आदतों को नियंत्रित नहीं कर सकता. आज, वे छात्रों से स्कूल में नॉन-वेज खाना न लाने के लिए कह रहे हैं; कल, वे कुछ और मांग सकते हैं. हम स्कूल प्रशासन से मिलेंगे और उनसे इसे वापस लेने के लिए कहेंगे.”
हालांकि, यह सर्कुलर अचानक जारी नहीं किया गया था. एक पखवाड़े पहले आयोजित पैरेंट्स-टीचर्स मीटिंग के दौरान, कुछ अभिभावकों ने छात्रों द्वारा स्कूल में नॉन-वेज खाना लाने के बारे में चिंता जताई थी, जिसके कारण यह निर्णय लिया गया हो सकता है.
एक अभिभावक ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “मैं उन कई अभिभावकों में से एक हूं जिन्होंने यह चिंता जताई है क्योंकि हमारे बच्चे साथ में खाना खाते समय वेज और नॉन-वेज में अंतर नहीं कर पाते हैं.”
डीपीएस गौतम बुद्ध नगर द्वारा जारी सर्कुलर में छात्रों से नॉन-वेज खाना न लाने को कहा गया है, जो बुधवार को सोशल मीडिया पर सामने आया.
इसमें लिखा था, “हम छात्रों से सम्मानपूर्वक अनुरोध करते हैं कि वे स्कूल में नान-वेज खाना न लाएं.”
स्कूल ने कहा कि उसने दो आधारों पर यह अनुरोध किया है: स्वास्थ्य और सुरक्षा, तथा समावेशिता और सम्मान.
सर्कुलर में कहा गया है, “लंच के लिए लाया जाने वाला नॉन-वेज खाना, जब सुबह पकाया जाता है, तो अगर उसे ठीक से स्टोर न किया जाए ध्यान न रखा जाए, तो यह गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकता है, और हम अपने छात्रों की के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हैं.”
डीपीएस गौतम बुद्ध नगर की प्रिंसिपल सुप्रीति चौहान ने दिप्रिंट को ईमेल के जवाब में बताया कि यह सर्कुलर एक “ससम्मान अनुरोध” है, न कि “निर्देश या प्रतिबंध”.
उन्होंने कहा, “यह सर्कुलर कुछ घटनाओं की वजह से जारी किया गया था, जिसमें छात्रों ने अपने घरों से लाए गए अंडे के सैंडविच और चिकन-बेस्ड चीजें खाने के बाद असहज महसूस किया था.”
सर्कुलर को लेकर अभिभावकों में मतभेद
सर्कुलर में इस बात पर भी जोर दिया गया कि शाकाहारी भोजन का माहौल बनाए रखने से यह सुनिश्चित होगा कि “सभी छात्र अपनी आहार संबंधी प्राथमिकताओं और प्रतिबंधों के बावजूद एक साथ भोजन करते समय सम्मानित और सहज महसूस करें.”
जिन अभिभावकों ने दिप्रिंट से बात की, उन्होंने बताया कि उन्हें स्कूल के व्हाट्सएप ग्रुप में एक संदेश मिला है, जिसमें उनसे अपने बच्चों के टिफिन में नॉन-वेज खाना न पैक करने के लिए कहा गया है.
इस सर्कुलर और संदेश के बाद से अभिभावकों के बीच मतभेद पैदा हो गया है.
एक अभिभावक ने अपने बच्चों पर अतिरिक्त निगरानी को लेकर चिंता व्यक्त की.
8वीं कक्षा में पढ़ने वाले एक बच्चे के पैरेंट्स ने पूछा, “मैं मैसेज देखकर चौंक गया. फिर मुझे अन्य अभिभावकों से कॉल आने लगे. हम सभी इस बात पर चर्चा कर रहे थे कि क्या वे हमारे बच्चों के लंच बॉक्स को चेक करने जा रहे हैं. वे इस आदेश को कैसे लागू करने की योजना बना रहे हैं?”
एक अन्य अभिभावक, जो नॉन-वेज खाने पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाले समूह का हिस्सा थे, ने कहा कि वे स्कूल में आहार के माहौल को लेकर चिंतित हैं क्योंकि मांसाहारी भोजन से “खराब गंध आती है”.
अभिभावक ने कहा,”नॉन-वेज खाना ज़्यादातर रात को ही पकाया जाता है. कोई भी अभिभावक सुबह जल्दी इसे नहीं पकाता. इसमें बदबू आती है, यह बासी होता है और दूसरे छात्रों को असहज करता है. हमें खुशी है कि स्कूल ने हमारी मांग पर ध्यान दिया और छात्रों से ऐसे खाद्य पदार्थ न लाने को कहा.”
हालांकि, प्रिंसिपल चौहान का कहना है कि सर्कुलर का उद्देश्य “छात्रों के हित” में था क्योंकि कुछ खाद्य पदार्थ जल्दी खराब हो जाते हैं.
चौहान ने कहा, “हमारे छात्रों के किसी भी अभिभावक को भी जारी किए गए सर्कुलर से कोई समस्या नहीं है, क्योंकि उन्हें इसके उद्देश्य के बारे में पता है.”
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