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रविवार, 25 मई, 2025
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सलाहकार मंडल की पुष्टि पर तीन महीने बाद भी एहतियातन हिरासत में रखा जा सकता है :न्यायालय

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नयी दिल्ली, 17 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने अपने एक आदेश में कहा है कि एक व्यक्ति को तीन महीने से ज्यादा समय तक एहतियातन हिरासत में नहीं रखे जा सकने संबंधी संवैधानिक प्रावधान ऐसी अवस्था में प्रभावी नहीं होगा अगर सलाहकार मंडल पुष्टि करता है कि व्यक्ति को हिरासत में रखने के लिए पर्याप्त कारण हैं।

शीर्ष अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसले में यह भी कहा कि सलाहकार मंडल की रिपोर्ट के आधार पर पुष्टि आदेश पारित होने के बाद राज्य सरकारों को हिरासत संबंधी आदेश की प्रत्येक तीन महीने पर समीक्षा करने की आवश्यकता नहीं है।

संविधान का अनुच्छेद 22(4) कुछ मामलों में गिरफ्तारी और हिरासत से संरक्षण से जुड़ा हुआ है और उसमें कहा गया है, ‘‘निवारक निरोध का उपबंध करने वाली कोई विधि किसी व्यक्ति की तीन माह से अधिक अवधि के लिए तब तक निरुद्ध किया जाना प्राधिकृत नहीं करेगी जब तक कि… (क) ऐसे व्यक्तियों से, जो उच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं या न्यायाधीश रहे हैं या न्यायाधीश नियुक्त होने की अर्हता रखते हैं, मिलकर बने सलाहकार बोर्ड ने तीन माह की उक्त अवधि की समाप्ति से पहले यह प्रतिवेदन नहीं दिया है कि उसकी राय ऐसे निरोध के लिए पर्याप्त कारण हैं।’’

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने अपने 75 पृष्ठ के फैसले में कहा, ‘‘संविधान के अनुच्छेद 22(4)(क) में दी गई तीन महीने की अवधि शुरूआती हिरासत से जुड़ी हुई है, जब तक कि सलाहकार मंडल से रिपोर्ट प्राप्त नहीं हो जाती और जिसका हिरासत की अवधि पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, यह (हिरासत अवधि) सलाहकार मंडल की रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार द्वारा पारित पुष्टि आदेश पर आधारित हो।’’

फैसला लिखते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा पारित (हिरासत अवधि पर) पुष्टि आदेश में हिरासत अवधि का उल्लेख करना अनिवार्य नहीं है और नाही वह सिर्फ तीन महीने की समय सीमा तक सीमित है।

न्यायालय ने कहा, ‘‘अगर पुष्टि आदेश में कोई समयावधि तय की गई है तो, हिरासत की अवधि उसी समय तक रहेगी, अगर कोई समयावधि तय नहीं है तो यह हिरासत की तारीख से अधिकतम 12 महीनों तक के लिए हो सकती है। हमारे विचार में राज्य सरकार को पुष्टि आदेश जारी करने के बाद प्रत्येक तीन महीने पर हिरासत आदेश की समीक्षा करने की आवश्यकता नहीं है।’’

न्यायालय ने यह फैसला पेसला नूकाराजू की अपील पर दिया है। नूकाराजू को आंध्र प्रदेश शराब तस्कर, डकैत, मादक पदार्थ से जुड़े अपराधी, गुंडे, मानव तस्करी/वेश्यावृत्ति से जुड़े अपराधी और भू-माफिया जैसी खतरनाक गतिविधियां निरोध कानून, 1986 के तहत शराब तस्करी के आरोप में 25 अगस्त, 2022 को हिरासत में लिया गया था।

आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने काकिनाडा के जिला मजिस्ट्रेट द्वारा नूकाराजू के खिलाफ पारित हिरासत के आदेश को चुनौती देने वाली उसकी याचिका खारिज कर दी थी।

शीर्ष अदालत ने भी याचिका खारिज कर दी और कहा कि एक बार सलहाकार मंडल द्वारा हिरासत की पुष्टि किए जाने के बाद उसे (नूकाराजू) अधिकतम 12 महीनों तक एहतियातन हिरासत में रखा जा सकता है।

भाषा अर्पणा वैभव

वैभव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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