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Monday, 11 August, 2025
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अजमेर की ऐतिहासिक तारागढ़ पहाड़ी पर अतिक्रमण के खिलाफ अभियान

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जयपुर, चार अगस्त (भाषा) राजस्थान के अजमेर में ऐतिहासिक तारागढ़ पहाड़ी पर दशकों पुराने अतिक्रमणों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई करते हुए अधिकारियों ने अवैध रूप से किए गए निर्माण को या तो ढहा दिया या सील कर दिया है।

अधिकारियों ने बताया कि पहाड़ी पर अभियान के दौरान शनिवार को कुल 213 चिन्हित दुकानों के खिलाफ कार्रवाई की गई जिनमें से 192 को ध्वस्त कर दिया गया और 21 को सील कर दिया गया। यह इलाका 900 फुट की ऊंचाई पर स्थित है।

तारागढ़ की वन भूमि पर पहली बार इस तरह की कार्रवाई बड़े पैमाने पर की गई। यह इलाका न केवल अपने पारिस्थितिक महत्व के लिए बल्कि 12वीं शताब्दी के शासक पृथ्वीराज चौहान के साथ अपने ऐतिहासिक संबंध के लिए भी जाना जाता है।

अधिकारियों ने बताया कि यह पहल राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष और अजमेर उत्तर के विधायक वासुदेव देवनानी के निर्देशों के बाद शुरू की गई। देवनानी ने अधिकारियों को पहाड़ी क्षेत्रों को अवैध कब्जाधारकों से मुक्त करने का निर्देश दिया था। वन विभाग ने जिला प्रशासन और पुलिस के सहयोग से यह अभियान चलाया।

अधिकारियों ने बताया कि दुर्गम इलाके को देखते हुए इस अतिक्रमण हटाओ अभियान के लिए 1,700 से ज्यादा कर्मचारियों को तैनात किया गया था जिनमें वे मजदूर भी शामिल थे जिन्होंने फावड़े और लोहे की सरिए जैसे बुनियादी उपकरणों से अवैध रूप से बनाए कंक्रीट निर्माण को गिराया। वाहनों एवं मशीनरी का यहां तक पहुंचना मुश्किल था।

अजमेर के जिला कलेक्टर लोक बंधु ने कहा,‘‘अतिक्रमणकारियां ने घने वन क्षेत्र में पक्की दुकानें और घर बना लिए थे। कुछ ने तो वेल्डिंग का इस्तेमाल करके लोहे के बड़े ढांचे भी खड़े कर लिए थे। इस अवैध अतिक्रमण के खिलाफ संयुक्त अभियान चलाया गया।’’

यह कार्रवाई जिला प्रशासन, वन विभाग, पुलिस, अजमेर विकास प्राधिकरण (एडीए) और नगर निगम की संयुक्त टीम द्वारा किए गए विस्तृत सर्वेक्षण के बाद की गई। वन विभाग के अधिकारियों का कहना था कि 1,100 बीघे से अधिक वन भूमि पर अतिक्रमण किया गया था, जिसमें से ज्यादातर पर अनधिकृत बस्तियां बस गईं। दुकानें बना ली गईं और यहां तक कि उनके पानी और बिजली के कनेक्शन भी थे।

पुलिस ने बताया कि पहले भी 52 बांग्लादेशी नागरिकों को इस इलाके से हिरासत में लिया गया था। आरोप है कि यह इलाका ‘‘राष्ट्र-विरोधी और मादक पदार्थ से जुड़ी गतिविधियों’’ में शामिल तत्वों का अड्डा बन गया था।

पुलिस ने कहा, ‘‘घना जंगल और सुनसान होने के कारण, यह इलाका घुसपैठियों और अपराधियों द्वारा पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा था।’’

अधिकारियों ने बताया कि कुछ अतिक्रमणकारियों ने अदालत से अस्थायी रोक के आदेश ले रखे हैं जिनके खिलाफ भी कानूनी प्रयास किए जा रहे हैं।

एक अधिकारी ने दावा किया,‘‘इनमें से ज्यादातर लोगों के पास वैध स्वामित्व के दस्तावेज नहीं हैं। कुछ ने तो विभाजन काल से जुड़े संपत्ति अधिकारों का दावा करते हुए जाली दस्तावेज भी पेश किए हैं।’’

तारागढ़ पहाड़ी का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व भी है। साल 1996 में अजमेर नगर सुधार न्यास के तत्कालीन अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत की पहल पर यहां पृथ्वीराज चौहान का एक स्मारक बनाया गया था। उसका उद्घाटन उस समय भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत ने किया था।

चौहान ने 1177 में अजमेर को अपनी राजधानी बनाया। अजमेर नगर निगम के उप महापौर नीरज जैन ने कहा,‘‘तारागढ़ किले से ही उन्होंने अफगान आक्रमणकारी मुहम्मद गोरी के खिलाफ कई लड़ाइयां लड़ीं, उसे कई बार हराया। अंततः विश्वासघात कर उन्हें बंदी बना लिया गया था।’’

उन्होंने कहा,‘‘यह ऐतिहासिक जगह और वन भूमि है जिस पर अतिक्रमण किया जा रहा था। भूमि को अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराने और क्षेत्र में शरण लेने वाले असामाजिक तत्वों पर अंकुश लगाने के लिए यह कार्रवाई बहुत जरूरी थी।’’

एक स्थानीय इतिहासकार ने कहा, ‘‘यह कार्रवाई एक बड़ा कदम है। किले और उसके आसपास के क्षेत्र को पूरी तरह से मुक्त कराने और संरक्षित करने के लिए और भी बहुत कुछ किए जाने की आवश्यकता है।’’

भाषा पृथ्वी राजकुमार

राजकुमार

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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