नई दिल्ली: सोनिया गांधी को लिखे अपने पत्र में पार्टी को कमजोर करने वाले “गलत फैसलों और भटके हुए नेतृत्व विकल्पों” की बात उठाने के एक हफ्ते के भीतर ही कांग्रेस ने सोमवार को ओडिशा के पूर्व विधायक मोहम्मद मोक़िम को पार्टी से निष्कासित कर दिया. उनके पत्र में प्रियंका गांधी वाड्रा को पार्टी में केंद्रीय भूमिका देने का सुझाव भी था.
ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने एक बयान में कहा, “सभी संबंधित लोगों की जानकारी के लिए सूचित किया जाता है कि एआईसीसी ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण श्री मोहम्मद मोक़िम को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.”
निष्कासन के बाद मोक़िम ने पत्रकारों से कहा कि उन्हें सोनिया गांधी को पत्र लिखने का कोई पछतावा नहीं है. उन्होंने कहा, “उन्होंने मुझे पार्टी से निकाल दिया है, लेकिन कांग्रेस की उस विचारधारा से मुझे अलग नहीं कर सकते, जिसका मैं पूरी निष्ठा से पालन करता हूं.”
सोनिया गांधी को लिखे अपने पत्र में मोक़िम ने, जिन्होंने 2019 में सत्तारूढ़ बीजद से बाराबती-कटक विधानसभा सीट छीनी थी, पार्टी के कामकाज में प्रियंका गांधी वाड्रा को केंद्रीय भूमिका देने की मांग की थी. उन्होंने यह भी कहा कि विधायक होने के बावजूद वे लगभग तीन साल से राहुल गांधी से नहीं मिल पाए.
उन्होंने लिखा, “मैडम, पूरी विनम्रता के साथ मेरा दृढ़ विश्वास है कि देश और खासकर उसके युवा, श्रीमती प्रियंका गांधी जी के पार्टी में एक केंद्रीय, स्पष्ट और सक्रिय नेतृत्व भूमिका निभाने का इंतजार कर रहे हैं. यह भी उतना ही जरूरी है कि श्री सचिन पायलट, श्री डी.के. शिवकुमार, श्री ए. रेवंत रेड्डी, डॉ. शशि थरूर जैसे नेता आगे चलकर पार्टी के मुख्य नेतृत्व का हिस्सा बनें, क्योंकि उनमें युवाओं को प्रेरित और संगठित करने के लिए जरूरी विश्वसनीयता, ऊर्जा और जुड़ाव है.”
2024 में मोक़िम की बेटी सोफिया फिरदौस ने बाराबती-कटक सीट से जीत हासिल की थी. वे कांग्रेस के 14 विजयी उम्मीदवारों में शामिल थीं और ओडिशा विधानसभा में चुनी जाने वाली पहली मुस्लिम महिला बनीं. मोक़िम खुद कर्ज धोखाधड़ी के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के कारण चुनाव नहीं लड़ सके थे.
ओडिशा के प्रमुख रियल एस्टेट समूह मेट्रो ग्रुप के संस्थापक और प्रबंध निदेशक मोक़िम ने ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भक्त चरण दास की तीखी आलोचना की. उन्होंने कहा कि फरवरी 2025 में नियुक्त दास अपने ही निर्वाचन क्षेत्र में “विश्वास तक नहीं जीत पाए”.
इसी बीच, सोफिया फिरदौस विधानसभा सत्रों के दौरान सक्रिय हस्तक्षेप और विभिन्न मुद्दों पर पार्टी का पक्ष प्रभावी ढंग से रखने की क्षमता के कारण ओडिशा में एक प्रमुख राजनीतिक चेहरा बनकर उभरी हैं.
अपनी पांच पन्नों की चिट्ठी में मोक़िम ने कहा कि कांग्रेस को गहरे संरचनात्मक, संगठनात्मक और वैचारिक सुधार की जरूरत है. उनके मुताबिक, इसके बिना “हम अपनी प्रासंगिकता खोने और इतिहास के पन्नों में सिमट जाने का खतरा उठाते हैं, जो न सिर्फ पार्टी के लिए, बल्कि भारत की अवधारणा के लिए भी एक त्रासदी होगी”.
उन्होंने भारतीय युवाओं के साथ पार्टी के “गहरे और लगातार बढ़ते अलगाव” को रेखांकित किया.
मोक़िम ने लिखा, “पूरे सम्मान के साथ कहना चाहूंगा कि मौजूदा नेतृत्व शैली में, खासकर जब श्री मल्लिकार्जुन खड़गे जी की उम्र 83 वर्ष है, पार्टी भारत के युवाओं से जुड़ पाने में असमर्थ है.” उन्होंने इस पत्र की प्रतियां खड़गे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को भी भेजी थीं.
मोक़िम ने लिखा कि कांग्रेस की हालत चिंताजनक और असहनीय हो चुकी है, लेकिन गलतियों को सुधारने के बजाय पार्टी उन्हें दोहराए जा रही है.
उन्होंने कहा, “ओडिशा में हम लगातार छह चुनाव हार चुके हैं और राष्ट्रीय स्तर पर हाल ही में तीन बड़े झटके एक के बाद एक लगे हैं. भौगोलिक, संगठनात्मक और यहां तक कि भावनात्मक रूप से भी हमारी मौजूदगी सिमटती जा रही है. बिहार, दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र और कश्मीर में हाल के नतीजे, जहां हमें भारी अंतर से हार मिली, सिर्फ चुनावी पराजय नहीं हैं, बल्कि एक गहरे संगठनात्मक अलगाव को दर्शाते हैं. गलत फैसलों की एक श्रृंखला, भटके हुए नेतृत्व विकल्प और जिम्मेदारियों का गलत हाथों में लगातार केंद्रीकरण पार्टी को भीतर से कमजोर कर रहा है.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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