कोलकाता, 28 अप्रैल (भाषा) कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह प्राथमिक स्कूल के करीब 32,000 शिक्षकों की नौकरियां रद्द किए जाने को चुनौती देने वाले पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड और अन्य की अपील पर सात मई से सुनवाई करेगा।
न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल पीठ ने 12 मई, 2023 को लगभग 32,000 उम्मीदवारों की नियुक्ति रद्द करने का आदेश दिया था, जिन्होंने 2014 की शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के आधार पर 2016 में चयन प्रक्रिया के माध्यम से प्राथमिक शिक्षकों के रूप में भर्ती होने पर शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम पूरा नहीं किया था।
प्राथमिक शिक्षा बोर्ड और अन्य ने एकल पीठ के फैसले के खिलाफ अपील की।
न्यायमूर्ति तपब्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति रीतोब्रतो कुमार मित्रा की खंडपीठ ने कहा कि वह सात मई से अपील पर सुनवाई करेगी। मुख्य न्यायाधीन ने खंडपीठ को मामला सौंपा था।
शिक्षकों के वकील प्रतीक धर ने अदालत से कहा कि फरवरी 2017 से सेवारत शिक्षकों का एक वर्ग भी इस मामले में अपीलकर्ताओं में शामिल है। एकल पीठ ने प्राथमिक विद्यालय के 32,000 शिक्षकों की सेवा रद्द कर दी थी और नयी चयन प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया था।
एक खंडपीठ ने अंतरिम आदेश में शिक्षकों की सेवा रद्द किए जाने पर रोक लगा दी। इसके बाद मामला उच्चतम न्यायालय में गया, जिसने अपील की सुनवाई के लिए इसे वापस उच्च न्यायालय भेज दिया।
धर ने अदालत के समक्ष कहा कि शिक्षक वर्तमान में अपने-अपने स्कूलों में काम कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि एकल पीठ ने जिन दस्तावेजों के आधार पर 32,000 शिक्षकों की सेवा रद्द करने का आदेश पारित किया, उन्हें मामले से संबंधित पक्षों को नहीं बताया गया।
भर्ती किए गए शिक्षकों के एक अन्य वर्ग की ओर से वरिष्ठ वकील कल्याण बनर्जी ने दावा किया कि एकल पीठ के समक्ष भर्ती प्रक्रिया को चुनौती देने वाले असफल उम्मीदवारों की मंशा यह थी कि जिन लोगों की नियुक्ति हुई थी, उन सभी की नौकरियां समाप्त कर दी जाएं।
उन्होंने खंडपीठ के समक्ष दलील दी कि धर के दावे के अनुसार, जिन दस्तावेजों के आधार पर 32,000 शिक्षकों की सेवा समाप्त करने का आदेश पारित किया था, उस बारे में पक्षकारों को नहीं बताया गया तो इस आधार पर एकल पीठ के फैसले को रद्द कर दिया जाना चाहिए।
प्राथमिक विद्यालय बोर्ड की ओर से उपस्थित महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने कहा कि इस मामले में दस्तावेज की ‘सॉफ्ट कॉपी’ अपील में किसी भी पक्ष को अनुरोध करने पर उपलब्ध कराई जाएगी।
एक अलग मामले में, उच्चतम न्यायालय ने तीन अप्रैल को अपने फैसले में पश्चिम बंगाल के विभिन्न सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में 25,753 शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्ति को अवैध करार दिया था। बाद में उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा बेदाग पाये गये बर्खास्त शिक्षकों की सेवाएं बढ़ा दीं।
भाषा आशीष प्रशांत
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