कोलकाता, 22 अगस्त (भाषा) कलकत्ता उच्च न्यायालय ने शहर और उसके आसपास के इलाकों में आवारा कुत्तों के टीकाकरण एवं बंध्याकरण को लेकर संबंधित प्रशासनों से रिपोर्ट मांगी है।
एक जनहित याचिका में, याचिकाकर्ता ने दावा किया कि पश्चिम बंगाल में पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियमावली, 2023 लागू नहीं की गयी है।
यह नियमावली आवारा पशुओं, मुख्यतः कुत्तों का मानवीय तरीके से बंध्याकरण और टीकाकरण को अनिवार्य बनाती है ताकि उनकी आबादी नियंत्रित की जा सके, रेबीज की रोकथाम की जा सके और मानव-पशु संघर्ष को कम किया जा सके।
न्यायमूर्ति सुजॉय पॉल और न्यायमूर्ति स्मिता दास डे की खंडपीठ ने बृहस्पतिवार को कोलकाता नगर निगम, विधाननगर नगर निगम और मामले में पक्षकार अन्य निकायों को चार सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
याचिकाकर्ता से कहा गया कि वह इसके बाद दो सप्ताह के भीतर, यदि कोई आपत्तियां हों, तो दाखिल करे।
उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को आश्रय स्थलों से छोड़े जाने पर रोक संबंधी अपने 11 अगस्त के निर्देश में शुक्रवार को संशोधन किया है और कहा है कि पकड़े गए कुत्तों का बंध्याकरण किया जाए, उनका टीकाकरण किया जाए और उन्हें वापस उन्हीं क्षेत्रों में छोड़ दिया जाए।
भाषा
राजकुमार पवनेश
पवनेश
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